भगवान शिव के भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने वालों पर हमेशा महादेव की कृपा बनी रहती है और उन्हें सुख-समृद्धि मिलती है. प्रदोष व्रत एक महीने में दो बार आता है. कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर. इस दिन प्रदोष काल में शिवजी की पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है. इस बार भादो में पड़ने वाला पहला बुध प्रदोष व्रत बेहद खास रहने वाला है.
कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत?
भाद्रपद महीने का पहला बुध प्रदोष व्रत 20 अगस्त को रखा जाएगा. इस दिन त्रयोदशी तिथि दोपहर 01 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 21 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 44 बजे होगा. ऐसे में 20 अगस्त को बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा. 20 अगस्त के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा.
बुध प्रदोष व्रत की पूजन विधि
बुध प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ देकर व्रत रखने का संकल्प लें. पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें और भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें. भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त पूजा करना और भी शुभ होगा. पूजा में भगवान शिव को बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. इसके बाद बुध प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें. इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें. इसके बाद ही अपना व्रत खोलें.
बुध प्रदोष व्रत में क्या न करें?
ऐसी मान्यताएं हैं किप्रदोष व्रत के किसी का अपमान नहीं करना चाहिए. मन में किसी के प्रति बुरे विचार या घृणा नहीं रखनी चाहिए. इस दिन प्याज-लहसुन जैसी तामसिक चीजें, मदिरा, मांस का भी सेवन नहीं करना चाहिए. प्रदोष व्रत रखने वालों को काले रंग का वस्त्र और काले रंग की चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. भगवान शिव या शिवलिंग पर तुलसी दल, केतकी का फूल और कुमकुम अर्पित नहीं करना चाहिए.
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