Bada Mangal 2024: ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की उपासना परम पुण्यकारी बताई गई है. इस महीने आने वाले प्रत्येक मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. इस दिन बजरंगबली के भक्त उनकी पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को ही भगवान राम से उनके दूत हनुमान की मुलाकात हुई थी. भक्त और भगवान के इसी मिलन की तिथि को उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा है. यह परंपरा त्रेतायुग से जुड़ी हुई है. 28 मई यानी आज पहला बड़ा मंगल है.
ज्येष्ठ महीने में चार बड़े मंगल
पहला बड़ा मंगल- 28 मई
दूसरा बड़ा मंगल- 4 जून
तीसरा बड़ा मंगल- 11 जून
चौथा बड़ा मंगल- 18 जून
बड़े मंगल की उपासना विधि
बड़े मंगल को व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन भगवान के सामने चमेली का दीपक जलाकर उन्हें बूंदी के प्रसाद का भोग लगाया जाता है. हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. बजरंग बाण का भी पाठ करना लाभकारी होता है. स्नान करके हनुमान जी को रोली चंदन का तिलक लगाएं. हनुमान जी को लाल वस्त्र से अत्यधिक प्रेम है, इसलिए लाल वस्त्र का दान करने पर विशेष फल प्राप्त होता है. इस दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है.
क्या होता है हनुमान चोला?
सिंदूर में चमेली का तेल और गाय का शुद्ध देसी घी मिलाने से जो लेप बनता है, उसे चोला कहते हैं. सिंदूरी चोले को ही भगवान को लेपा जाता है. वीर बजरंगी पवनपुत्र हनुमान को चोला चढ़ाने का विशेष शास्त्रीय विधान है, जिससे कुछ परंपराएं जुड़ी हैं तो कुछ मान्यताएं.
चोला चढ़ाने के लिए चमेली के तेल का ही उपयोग किया जाता है. चोला चढ़ाते समय एक दीपक हनुमान जी के सामने जलाकर रखना चाहिए. दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करें. चोला चढ़ाने से पहले प्रतिमा को स्नान करवाएं. देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ाएं. चोला कभी भी एक या दो नहीं चढ़ाया जाता है. चोला चढ़ाने से पहले संकल्प करना चाहिए. फिर 5,11, 21, 51 या फिर 101 चोला चढ़ाना चाहिए.
11 या 21 चोला चढ़ाने से हनुमान जी सभी मनोरथों को सिद्ध करते हैं. भगवान को सबसे पहले बाएं पैर में चोला चढ़ाएं. चोला हमेशा पैर से सिर की ओर चढ़ाना चाहिए. कभी भी चोला सिर से पैर की ओर न चढ़ाएं. चोला चढ़ाने के बाद हनुमान जी को साफ वस्त्र और जनेऊ पहनाएं. रेशम का लाल धागा अर्पित करके उसे गले में धारण करें. आखिर में भगवान को भोग लगाकर आरती करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें.
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