Anant Chaturthi 2025: अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधा जाता है 14 गांठ वाला सूत्र? जानें इसका कारण

Anant Chaturthi 2025: अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के लिए एक खास धागा होता है जिसे अनंत सूत्र कहते हैं. ये धागा चौदह गांठों वाला होता है, जो भगवान विष्णु के चौदह लोकों का प्रतीक है. जो कोई भी इस व्रत को विधि-पूर्वक रखता है और अनंत सूत्र को पहनता है, उसे जीवन में सब कामयाबी और खुशहाली मिलती है.

Advertisement
14 गांठ वाला रक्षासूत्र बांधना (Photo: AI Generated) 14 गांठ वाला रक्षासूत्र बांधना (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

Anant Chaturthi 2025: हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. ये दिन इसलिए खास होता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है. साथ ही, जो दस दिन से गणेश उत्सव चलता आ रहा होता है, उसका यह आखिरी दिन होता है और भगवान गणेश का विसर्जन भी इसी दिन किया जाता है. इस बार अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर यानी कल मनाई जाएगी. मान्यताओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन 14 गांठ का सूत्र बांधने की परंपरा है. तो चलिए जानते हैं कि इस दिन क्यों बांधा जाता है 14 गांठ का सूत्र?

Advertisement

अनंत चतुर्दशी पर 14 गांठ का सूत्र बांधने का पौराणिक महत्व

अनंत चतुर्दशी के दिन 14 गांठ वाला अनंत सूत्र, जिसे अनंत डोर या रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. इस दिन इसे बांधने की परंपरा बहुत शुभ मानी जाती है और इसमें कुल 14 गांठें होती हैं. इसके पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो लोग भगवान विष्णु के पूजन के बाद ये अनंत सूत्र बांधते हैं, उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. इसलिए, हर कोई भगवान विष्णु की पूजा करके इस सूत्र को बांधता है.

अनंत चतुर्दशी पर इस परंपरा से जुड़ी एक खास कथा ये भी है कि जब पांडवों ने चौसर में अपना सब कुछ हार दिया था और वनवास में थे, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने को कहा. युधिष्ठिर ने इस व्रत को मानकर अनंत सूत्र बांधा था और इस व्रत को रखने से उनके सभी संकट भी दूर हो गए थे. तभी से यह दिन और यह व्रत बड़ा महत्वपूर्ण माना जाने लगा है. इसे करने से जीवन के दुख दर्द कम होते हैं और मनवांछित फल मिलते हैं. 

Advertisement

कैसे बांधा जाता है 14 गांठ का सूत्र?

इस सूत्र को आमतौर पर कच्चे सूत या रेशम के धागे से बनाया जाता है। इसमें पूजा के बाद पुरुष इसे दाहिने हाथ और महिलाएं बाएं हाथ में बांधती हैं. इसे चौदह दिन तक नहीं उतारना चाहिए. इस दौरान भगवान विष्णु से अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करनी चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. ऐसा करने से आपके जीवन की परेशानियां दूर होंगी और आपके मन की इच्छाएं भी पूरी होंगी. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement