ज्योतिषाचार्य डॉ. अजय भांबी कहते हैं कि ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’, बड़ी पुरानी कहावत है और जब ये चरितार् होती है तो ऐसा व्यक्ति पूरी दुनिया पर छा जाता है. टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली जब तीन साल के थे तो इनके पिता ने एक छोटा सा बैट पकड़ा दिया. जैसा अक्सर होता है कि बच्चे ज्यादा तंग ना करें और बैट से अपना मन बहलाते रहें. बैट हाथ में आते ही विराट उसे हवा में लहराने लगे. कोहली के पिता एक वकील थे. एक दिन उन्हें कोर्ट जाने की जल्दी थी और वह बस निकल ही रहे थे कि जनाब विराट ने बॉल पिता के हाथ में थमा दी. फिर पूरे दिन बैट और बॉल का खेल चलता रहा और पिता कोर्ट जाना भूल गए. अफसोस की बात ये है कि जब विराट इंटरनेशनल क्रिकेटर हुए तब पिता का देहांत हो चुका था.
Photo: Getty Images
बचपन में विराट ने जब बैट पकड़ा तो स्कूल से लेकर तमाम टूर्नामेंट या ट्रॉफीज में न केवल अपनी जगह बनाई बल्कि अमिट छाप भी छोड़ी. फिर चाहे वो अंडर-15 हो या अंडर-19, उनका जलवा पूरे देश ने देखा. साल 2008 में विराट के नेतृत्व में टीम इंडिया ने अंडर-19 वर्ल्ड कप जीता और कोहली के बल्ले से खूब रन निकले. कोहली ने इतनी तेजी से रन बनाने शुरू किए कि आईपीएल से लेकर वन-डे तक उनकी धाक जमी रही. विश्व कप 2011 के पहले ही मुकाबले में बांग्लादेश के खिलाफ कोहली ने शतक जड़कर अपने इरादे साफ कर दिए थे. आगे चलकर विराट वन-डे और टेस्ट टीम के कप्तान बने और ये सिलसिला अभी भी जारी है.
Photo: Getty Images
डॉ. अजय भांबी के मुताबिक, विराट कोहली का जन्म 5 नवम्बर 1988 को सुबह दिल्ली में हुआ था और इनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार हैः लग्न-तुला, सूर्य, बुध-तुला, शनि-धनु, राहू-कुंभ, मंगल-मीन, वक्री बृहस्पति-वृष, चन्द्र, केतु-सिंह और शुक्र कन्या में स्थित हैं. आइए आपको कप्तान कोहली की कुंडली से इनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी देते हैं
कोहली का जन्म तुला लग्न और कुंभ नवमांश में हुआ. लग्न में नीच का सूर्य और बुध है. कोहली चाहे फील्ड में हों या पैवेलियन में बैठकर मैच देख रहे हों, इनके आक्रामक रवैये से पूरी दुनिया वाकिफ है. शुरू-शुरू में इन पर आरोप भी लगता था कि ये जरूरत से ज्यादा फील्ड पर गुस्सा दिखाते हैं और दूसरी टीम के लोगों से लड़ने-झगड़ने को भी तैयार हो जाते हैं. इस व्यवहार को लेकर इनकी काफी आलोचना भी होती थी.
Photo: Getty Images
अब सवाल ये उठता है कि कोहली को इतना गुस्सा आखिर आता क्यों है? लग्न में नीच का सूर्य है और उस पर मित्र ग्रह मंगल की छठे भाव से दृष्टि है. जब सूर्य लग्न में हो और खासतौर से नीच का हो तो व्यक्ति बहुत जल्दी परिणामों को अपने पक्ष में करना चाहता है. मंगल की दृष्टि उसे और आक्रामक बना देती है. ऐसा व्यक्ति निडर होता है और जोखिम उठाने से पीछे नहीं हटता. जब व्यक्ति अपने लक्ष्यों को सिद्ध ना कर पाए तो उसके यही गुण दुर्गुण हो जाते हैं.
Photo: Reuters
कप्तान कोहली पंगा भी लेते हैं. फिल्ड में दहाड़ते भी हैं. इनकी इनकी कलात्मक बल्लेबाजी का जौहर पूरी दुनिया जानती है और दूसरी टीम के लोग इनसे डरते भी हैं. इन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों को डराने-धमकाने और आतंकित करने में मजा आता है. ये इनके व्यवहार का सबसे बड़ा गुण है.
Photo: Getty Images
तृतीय भाव में शनि है. तुला लग्न के लिए शनि बड़ा सहयोगी ग्रह है. कुंडली का तीसरा घर व्यक्ति के पराक्रम को दर्शाता है. इनके गुस्सैल व्यक्तित्व से तो सभी परिचित हैं. शनि से इन्हें वो क्षमता मिलती है कि व्यक्ति अगर क्रीज पर डट गया तो फिर वो सबके छक्के छुड़ा सकता है. इनके पास मात्र ऐग्रेशन नहीं है, बल्कि एक बहुत उम्दा टेक्निक भी है जिसके कारण ये क्रिकेट के सारे फॉर्मेट (टी-20, वन-डे और टेस्ट) में जबर्दस्त प्रदर्शन करते हैं. लोग इन्हें हर फॉर्मेट में देखना पसंद करते हैं. इनके बैटिंग स्किल्स और ऐग्रेशन को पूरी दुनिया में सराहा जाता है. अगर टीम का लीडर इतना मजबूत हो तो बाकी खिलाड़ियों का मनोबल अपने आप बढ़ जाता है.
Photo: Getty Images
पंचम में राहु बहुत अच्छा है. जब राहु पांचवें स्थान में होता है तो फिर व्यक्ति किसी भी फील्ड में क्यों ना हो, वो अपनी स्किल और टेक्नीक से पहचान बनाता है. किस स्थिति में वो कौन सा पैंतरा बदलेगा, ये हर किसी के लिए रहस्य रहता है और यह देखने और परखने वालों को हर क्षण रोमांचित करता रहता है.
Photo: Getty Images
छठे भाव में मंगल अपने प्रतिद्वंद्वियों को नेस्तनाबूत करने की क्षमता रखता है और ऐसे व्यक्ति जब फील्ड में होते हैं तो इनका जलवा देखने लायक होता है. दुनियाभर में कोहली की बल्लेबाजी के लोग दीवाने हैं और जब ये बल्लेबाजी करने मैदान में आते हैं तो इन्हें देख फैंस की धड़कनें तेज हो जाती हैं. जब ये फील्ड में होते हैं तब पूरा एक्शन पैक्ड माहौल होता है.
Photo: Getty Images
गुरू 8वें स्थान में हैं और विपरीत राजयोग में है और लग्नेश शुक्र को देखता भी है. इस कुंडली में विपरीत राजयोग ये दर्शाता है कि जब-जब इनके खिलाफ परिस्थितियां होती हैं, तब-तब इनका मनोबल और मजबूत हो जाता है. यह घबराने वाले व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि सामने वाले व्यक्ति में डर पैदा करना जानते हैं. इनकी कुंडली में गुरू की स्थिति बहुत अच्छी है.
Photo: Getty Images
चन्द्रमा 11वें भाव में केतु के साथ है जो अच्छा है. इनके ज्यादातर फैसले अच्छे होते हैं, लेकिन कभी-कभी धोखा भी देते हैं. जैसे वर्तमान इग्लैंड-इंडिया सीरीज में हाल ही में इन्होंने टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला किया और सारी टीम 78 रन पर ऑलआउट हो गई.
Photo: Getty Images
12वें घर में लग्नेश शुक्र स्थित है जो नीच का है, लेकिन यहां से नीच के दोष से मुक्त है. इसके तीन कारण हैं- एक तो शुक्र-बुध में राशि परिवर्तन है, दूसरा स्वयं विपरीत राजयोग में है और दूसरे विपरीत योगकारक ग्रह गुरू से दृष्ट है.
Photo: Getty Images
भविष्य
वर्तमान में इनके राहु में केतु चल रहा है जो अगले वर्ष सितम्बर तक चलेगा. केतु अप्रत्याशित ग्रह है और इसके परिणाम बताना आसान कार्य भी नहीं है. पिछले टेस्ट में भारत अकस्मात इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में जीता और अब पहले बैटिंग करने की गलती के कारण हार की राह पर है.
Photo: Getty Images
कुंडली में राहु-केतु एक वर्ष चलेंगे. यह समय इनके लिए परीक्षा जैसा होगा. अगर इस अवधि में ठीक फैसले नहीं लिए गए या बहुत ज्यादा ऐग्रेशन दिखाया तो यह इनके खिलाफ भी जा सकता है. संभवतः इस दौरान इनसे टेस्ट मैच की कप्तानी भी छिन सकती है.
Photo: Getty Images