13 अप्रैल से चैत्र के महीने की शुरूआत हो चुकी है. इस माह से ही भारतीय पंचांग हिंदू कैलेंडर की शुरुआत होती है. धार्मिक परिदृश्य से चैत्र का महीना बेहद अहम माना जाता है. चित्रा नक्षत्र से संबंध होने के कारण इसका नाम चैत्र है. इस महीने में बसंत का अंत और ग्रीष्म का आरम्भ होता है. ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा से हिंदू कैलेंडर के आधार पर भारत का वार्षिक राशिफल जानते हैं.
ज्योतिषविद के मुताबिक, विक्रम संवत 2078 की आरंभ वृष लग्न में हुआ है. लग्नेश शुक्र खर्च के भाव में है. लग्न में मंगल राहु की युति है. सप्तम में केतु है. भाग्य स्थान में न्यायदेव शनि हैं. कर्म स्थान में देव गुरु बृहस्पति हैं. लाभ भाव में सूर्य चंद्रमा और बुध हैं. लग्न से देखें तो सभी ग्रह राहु-मंगल और केतु के एक ओर हैं.
ऐसे में विश्व में क्रूर ग्रहों का प्रभाव अधिक रहने वाला है. लग्न में पाप ग्रहों का प्रभाव देश की जनता के स्वास्थ्य, मनोबल और समृद्धि में अवरोध पैदा करने वाला है. जनता में उत्साह की कमी रहेगी. आर्थिक दृष्टि से यह वर्ष भारतवर्ष के लिए असंतुलन का सूचक है. महंगाई बढ़ने के साथ आय का संकट भी बढ़ सकता है.
पूर्वी राज्यों में राजनीतिक हलचल बढ़ेगी. पश्चिम और उत्तर भारत में फसल कम रह सकती है. इसकी तुलना में दक्षिण भारत में धनधान्य की प्रचुरता रहेगी. भारत में व्यापार में संवार होगा. प्राकृतिक आपदाओं की अधिकता रह सकती है. शासन प्रशासन का नजरिया जनता के प्रति दंडात्मक रहेगा.
गुरु की शुभता वाणिज्यिक मामलों में सहजता ला सकती है. बाजार में सुधार की संभावना रहेगी. संगठित उद्योंगों में सकारात्मकता का प्रभाव रहेगा. असंगठित क्षेत्र में परिस्थितियां सामान्य से कमतर रहेंगी.
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लाभ स्थान में सूर्य चंद्र और बुध की स्थिति युवाओं में उत्साह और सहयोग की भावना बनाए रखेगी. व्यक्तिगत और सामाजिक विषयों में सकारात्मकता का प्रभाव रहेगा.
विक्रमादित्य काल से शुरू हिंदू पंचांग- दरअसल भारतीय कैलेंडर की गणना सूर्य और चंद्रमा के अनुसार होती है. माना जाता है विक्रमादित्य के काल में सबसे पहले भारत से कैलेंडर अथवा पंचाग का चलन शुरू हुआ. इसके अलावा 12 महीनों का एक वर्ष और सप्ताह में 7 दिनों का प्रचलन भी विक्रम संवत से ही माना जाता है.
आज भी धार्मिक अनुष्ठान और शादी-विवाह हिंदू कैलेंडर के अनुसार ही होते हैं. इसके अलावा शुभ मुहूर्त और महापुरुषों की जयंती भी इसी कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है. इस दिन को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है.
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