साल का पहला सूर्य ग्रहण लग चुका है. सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से आंरभ होकर शाम 6 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा. ज्योतिष में ग्रहण को बहुत ही महत्वपूर्ण घटना माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण की अवधि खत्म होने के बाद भी इसका प्रभाव समाप्त नहीं होता है. इन प्रभावों से बचने के लिए कुछ विशेष उपाय करना जरूरी होता है. आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कौन से उपाय किए जाने चाहिए.
सूर्य ग्रहण के दौरान भगवान के दर्शन करना वर्जित होता है. कहा जाता है कि ग्रहण काल के दौरान सिर्फ भगवान का ध्यान और जाप करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण समाप्त होने के बाद भगवान के दर्शन करना शुभ फल देता है.
सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के बाद गंगा में डुबकी लगाना या किसी तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान करना शुभ माना जाता है. अगर किसी कारण ऐसा होना संभव न हो तो स्नान के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें.
सूर्य ग्रहण में दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. ग्रहण समाप्त होने के बाद किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति को अन्न, फल, सब्जी और वस्त्रों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है.
सूर्य ग्रहण के समाप्त होने पर मंदिर की साफ-सफाई करें. ग्रहण के दौरान घर में बने भोजन और अनाज में तुलसी की कुछ पत्तियां डाली हैं तो ग्रहण खत्म होने के बाद इन्हें खाने और अनाज से हटा दें.
शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है. इसलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव कर इसे शुद्ध करना चाहिए. ग्रहणकाल के बाद घर की सभी दिशाओं में कपूर और गूगल की धूप दिखाएं.
शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के दौरान रखा हुआ भोजन दूषित माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के बाद बचे हुए भोजन को फेंक देना चाहिए और ताजा भोजन पकाकर खाना चाहिए.
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सूर्य ग्रहण के बाद तिल और चने की दाल दान करने का विशेष महत्व है. ऐसा करने से जीवन से सभी संकट दूर जाते हैं और सफलता के नए अवसर मिल सकते हैं.
सूर्य ग्रहण के बाद घर में रखे तुलसी के पौधे पर गंगाजल छिड़कर इसे शुद्ध कना चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है. इसलिए ग्रहण की समाप्ति के बाद इन स्त्रियों को तुरंत स्नान करना चाहिए.