इस साल पितृपक्ष 7 सितंबर से लेकर 21 सितंबर तक रहेंगे. 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण पड़ रहा है और इसी दिन पूर्णिमा तिथइ का श्राद्ध होगा. जबकि 8 सितंबर को प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध किया जाएगा. हिंदू धर्म में इन 15 दिनों का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि इस दौरान लोग अपने पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करते हैं. (Photo: Pexel)
माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान मृत पूर्वज धरती पर आते हैं और अगर इस समय उनका तर्पण कर दिया जाए तो उनकी आत्मा को शांति मिलती है. साथ ही, वो प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. (Photo: Pexel)
शास्त्रों के अनुसार, पितृ तर्पण में कुछ गलतियों से हमेशा बचना चाहिए, क्योंकि इन गलतियों से पितृ नाराज हो सकते हैं, जिससे परिवार में परेशानियां, आर्थिक बाधाएं और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है. (Photo: Ai Generated)
शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में हमेशा तर्पण पितरों की मृत तिथि के अनुसार ही करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि उसी दिन उनका श्राद्ध पूर्ण फलदायी माना जाता है. (Photo: Freepik)
तर्पण के बाद ब्राह्मण को भोजन जरूर कराना चाहिए. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. (Photo: Pexel)
पितृपक्ष के दौरान नदी या पवित्र जल में स्नान करना उत्तम होता है. साथ ही, तर्पण के लिए तिल, कुशा, अरवा चावल, सफेद फूल और जल का इस्तेमाल करें. तर्पण करते समय पितरों का नाम लेकर जल अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है. (Photo: Pexel)
पितृपक्ष समाप्त होने के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान अवश्य करना चाहिए. दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है. ऐसा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है. (Photo: Pexel)