Parivartini Ekadashi 2021: कब है परिवर्तिनी एकादशी, क्या है इस व्रत का महत्व? देखें पूजन विधि

Parivartini Ekadashi 2021 इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी 17 सितंबर 2021, शुक्रवार के दिन मनाई जा रही है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और कभी भी घर में धन की कमी नहीं होती है.

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 परिवर्तिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की होती है पूजा परिवर्तिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की होती है पूजा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST
  • भगवान विष्णु विश्राम के दौरान परिवर्तिनी एकादशी पर बदलते हैं करवट
  • भगवान विष्णु के वामन अवतार का पूजन करने का है विशेष महत्व

Parivartini Ekadashi 2021 भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी या पद्मा एकादशी (padam ekadashi) कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी 17 सितंबर 2021, शुक्रवार के दिन मनाई जा रही है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और कभी भी घर में धन की कमी नहीं होती है. 

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मिलती है पापों से मुक्ति 
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और एकादशी के दिन वे करवट बदलते हैं. करवट बदलने से भगवान विष्णु का स्थान परिवर्तन होता है, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. इतना ही नहीं माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और धन धान्य की कमी नहीं रहती है.  

ये है कथा 
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि जो श्रद्धालु परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखते हैं और वामन अवतार की विधिपूर्वक पूजा करता हैं, उन्हें वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. अनजाने में किए गए पाप नष्ट होते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सब कुछ दान में मांग लिया था. उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी प्रतिमा भगवान विष्णु ने सौंप दी थी. इस वजह से इसे वामन ग्यारस भी कहते हैं. 

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परिवर्तिनी एकदशी पर कैसे करें पूजा?
प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा करें. भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. गणेश जी को मोदक और दूर्वा अर्पित करें. पहले भगवान गणेश और फिर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें. किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अन्न-वस्त्र या जूते व छाते का दान करें. आज के दिन अन्न का सेवन बिलकुल न करें, जलाहार या फलाहार ही ग्रहण करें.

 

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