Lalita Shashti 2022: कब है ललिता षष्ठी? जानें महत्व और पूजन विधि

Lalita Shashti 2022: ललिता षष्ठी भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है. इस बार ललिता षष्ठी का व्रत 02 सिंतबर 2022, शुक्रवार को रखा जाएगा. यह व्रत प्रत्येक स्त्रियों द्वारा अपने पति की रक्षा और आरोग्य जीवन तथा संतान सुख के लिए रखा जाता है. ललिता व्रत के दिन पति एवं संतान के दीर्घजीवन और सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रार्थना की जाती है.

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कब है ललिता षष्ठी? जानें महत्व और पूजन विधि  कब है ललिता षष्ठी? जानें महत्व और पूजन विधि

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:18 PM IST

Lalita Shashti 2022: ललिता षष्ठी भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है. इस बार ललिता षष्ठी का व्रत 02 सितंबर 2022, शुक्रवार को रखा जाएगा. इस व्रत का कथन भगवान श्री कृष्ण जी ने स्वयं किया है. भगवन कहते हैं कि भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को किया गया यह व्रत शुभ सौभाग्य एवं योग्य संतान को प्रदान करने वाला होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार शक्तिस्वरूपा देवी ललिता को समर्पित ललिता षष्ठी शुक्ल पक्ष के सुअवसर पर भक्तगण व्रत रखते हैं. 

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ललिता षष्ठी व्रत पूजन (Lalita Shashti 2022 Pujan)

सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करना है और साफ सुथरे कपड़े पहनकर घर के ईशान कोण में पूर्व की तरफ मुख करके या उत्तर की तरफ बैठकर व्रत के लिए आवश्यक सामग्री जैसे भगवान शालिग्राम जी का विग्रह, कार्तिकेय का चित्र, माता गौरी और शिव भगवान की मूर्तियों सहित सभी को एक स्थान पर रखकर पूजन की तैयारी करनी चाहिए. तांबे का लोटा, नारियल, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, मौसमी फल, मेवा, मौली, आसन इत्यादि इन सारी सामग्रियों द्वारा पूजा करनी चाहिए.

पूजन में समस्त सामग्री भगवान को अर्पित करके "ओम ह्रीं षष्ठी देव्यै स्वाहा" मंत्र से षष्ठी देवी का पूजन करना चाहिए. अंत में प्रार्थना करें कि सुख और सौभाग्य देने वाली ललिता देवी को नमस्कार करें, सुहाग का आशीर्वाद लिजिए और  संतान सुख का आशीर्वाद लिजिए. यह व्रत पुत्रवती स्त्रियों को विशेष तौर पर करना चाहिए. इस दिन इस व्रत को विभिन्न रुपों में मनाए जाता है और इसकी पूजा भारत में अलग अलग तरीकों से देखी जा सकती है. 

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ललिता षष्ठी व्रत का महत्व (Lalita Shashti 2022 importance)

यह व्रत प्रत्येक स्त्रियों द्वारा अपने पति की रक्षा और आरोग्य जीवन तथा संतान सुख के लिए रखा जाता है. ललिता व्रत के दिन पति एवं संतान के दीर्घजीवन और सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रार्थना की जाती है. मेवा मिष्ठान्न, मालपुआ और खीर इत्यादि का प्रसाद बांटा जाता है. कई जगहों पर इस दिन चंदन से विष्णु पूजन एवं गौरी पार्वती और शिवजी की पूजा का भी चलन है.

ललिता षष्ठी के व्रत को संतान षष्ठी व्रत भी कहा जाता है. इस व्रत से संतान प्राप्ति होती है और संतान की पीड़ाओं का इलाज भी होता है. यह व्रत शीघ्र फलदायक और शुभत्व प्रदान करने वाला होता है. यह व्रत विधिपूर्वक करने से संतान की प्राप्ति होती है. यदि संतान को किसी प्रकार का कष्ट अथवा रोग पीड़ा हो तो इस व्रत को करने से बचाव होता है.

इस दिन मां ललिता के साथ साथ स्कंदमाता और शिव शंकर की भी पूजा की जाती है. इस दिन का व्रत भक्तजनों के लिए बहुत ही फलदायक होता है. मान्यता है कि इस दिन मां ललिता देवी की पूजा भक्ति-भाव सहित करने से देवी मां की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा भक्त का जीवन सदैव सुख शांति एवं समृद्धि से व्यतीत होता है.

 

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