राजस्थान में कफ सिरप से मौत का मामला, दवा ब्लै​कलिस्ट थी तो मार्केट में कैसे पहुंची? आजतक की पड़ताल में सामने आया सच

राजस्थान में केसन फार्मा कंपनी का कफ सिरप पीने से एक बच्चे की मौत गई और 10 बच्चे बीमार पड़ गए. कंपनी का यह सिरप ब्लैकलिस्ट हुआ था, लेकिन दूसरे फॉर्मूले से इस दवा का उत्पादन जारी था, जिसकी सरकारी अस्पतालों और मार्केट में सप्लाई भी हो रही थी.

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राजस्थान में 'डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड' साल्ट वाली खांसी की दवा  पीने से एक बच्चे की मौत हो गई और 10 बीमार पड़ गए. (Photo: ITG) राजस्थान में 'डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड' साल्ट वाली खांसी की दवा पीने से एक बच्चे की मौत हो गई और 10 बीमार पड़ गए. (Photo: ITG)

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 02 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 6:40 AM IST

राजस्थान में खांसी की दवा पीने से एक बच्चे की मौत हो गई, 10 अन्य बच्चे और एक डॉक्टर गंभीर रूप से बीमार पड़ गए. मामला सीकर, जयपुर, झुंझुनू, भरतपुर और बांसवाड़ा जिलों से जुड़ा है. केसन फार्मा कंपनी का कफ सिरप 'डेक्स्ट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड' ब्लैकलिस्टेड होने के बावजूद सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा योजना के तहत सप्लाई हो रहा था. इस हादसे के बाद कंपनी ने फैक्ट्री पर ताला जड़ दिया और कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया. राज्य सरकार ने एहतियातन सभी कंपनियों के इसी साल्ट वाले कफ सिरप की सप्लाई रोक दी है और तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है. 

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केसन फार्मा की फैक्ट्री पर लटका ताला

आजतक की टीम जब जयपुर के सरणाडूंगर स्थित केसन फार्मा की फैक्ट्री पहुंची, तो गेट पर ताला लगा मिला. पड़ोस में स्थित नमकीन फैक्ट्री के मालिक ने बताया, 'यहां 30-40 लोग काम करते थे, लेकिन तीन दिन से कोई दिखाई नहीं दे रहा.' फैक्ट्री के पीछे बिखरे दवाओं के भंडार के बीच एक नया गार्ड मिला, जो बोला, 'मैं तीन दिन पहले आया हूं, तब से जगह बंद पड़ी है.' कंपनी ने गार्ड तक बदल दिया, ताकि जांच से बच सके.

बैन साल्ट की जगह नया फॉर्मूला बनाया

दस्तावेजों से खुलासा हुआ कि केसन फार्मा कंपनी के एक कफ सिरप को 2023 और 2025 में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था. फरवरी 2025 में सरकारी जांच के बाद इसकी सप्लाई पर पाबंदी लगी, लेकिन कंपनी मार्केट में दवा बेचती रही और प्रतिबंधित साल्ट की जगह नया फॉर्मूला बनाकर सरकारी अस्पतालों में सप्लाई जारी रखी. केसन फार्मा के मालिक वीरेंद्र कुमार गुप्ता से आजतक ने संपर्क किया, तो उन्होंने फोन पर सफाई दी, 'एक सिरप ब्लैकलिस्टेड है, लेकिन डेक्स्ट्रोमेथोर्फन बैन नहीं है. हादसा डॉक्टरों द्वारा दवा का ओवरडोज देने से हुआ.' उन्होंने कैमरे पर आने से इनकार कर दिया.

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सरकारी नहीं, निजी लैब में होती है जांच

आजतक की पड़ताल में सामने आया कि राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा योजना के तहत मरीजों को दी जाने वाली दवाओं की जांच प्राइवेट लैब में होती है, सरकारी में नहीं. साल 2024 में 101 दवाओं के सैंपल जांच में फेल रहे थे, 2025 में अब तक 81 दवाओं के सैंपल जांच में मानकों पर खरे नहीं उतरे. फिर भी ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने इन दवाओं की मार्केट में सप्लाई पर कोई रोक नहीं लगाई. 

सेम साल्ट वाले सभी कफ सिरप पर बैन

राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन के एमडी पुखराज सेन ने आजतक से बातचीत में कहा, 'अब बोर्ड में प्रस्ताव लाएंगे कि किसी कंपनी की एक दवा ब्लैकलिस्ट होने पर उसकी सभी दवाओं की सप्लाई रोकी जाए. मौजूदा नियमों में जो दवा ब्लैकलिस्ट होती थी, सिर्फ उसी की सप्लाई को प्रतिबंधित किया जाता था.' राजस्थान सरकार ने डेक्स्ट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड साल्ट वाली सभी कफ सिरप की सप्लाई रोक दी है. तीन सदस्यीय समिति मामले की गहन जांच करेगी.
 

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