'बहू-बेटियों के स्मार्टफोन यूज पर रोक' का मामला... पंचायत बोली- ऐसा नहीं है,  वो तो बस सुझाव मांगा था

जालौर में 24 गांवों में महिलाओं के स्मार्टफोन पर बैन की खबर वायरल होने के बाद समाज के पांच पटेल ने स्थिति स्पष्ट की. उन्होंने बताया कि यह कोई फैसला नहीं बल्कि महिलाओं की ओर से दिया गया सुझाव था, जिस पर 26 जनवरी तक राय मांगी गई थी. बच्चों पर मोबाइल के दुष्प्रभाव को देखते हुए प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन सोशल मीडिया विरोध के बाद इसे वापस ले लिया गया है.

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'बहू-बेटियों के स्मार्टफोन यूज पर रोक' का मामला, पंचायत ने मारा यूटर्न (Photo: ITG) 'बहू-बेटियों के स्मार्टफोन यूज पर रोक' का मामला, पंचायत ने मारा यूटर्न (Photo: ITG)

नरेश सरनाऊ (बिश्नोई)

  • जालौर ,
  • 25 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:06 AM IST

राजस्थान के जालौर में भीनमाल व रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के 24 से अधिक गांवों में 21 दिसंबर को एक पंचायत ने महिलाओं के स्मार्टफोन पर बैन करने का फरमान जारी किया था. इसको लेकर सोशल मीडिया पर एक बहस छिड़ गई थी कि कैसे सुंधा पट्टी के 24 गांव में महिलाओं के स्मार्टफोन बंद करने को लेकर कहा जा रहा है. जब पूरा मामला वायरल हुआ इसको लेकर पड़ताल की गई और समाज के पांच पटेल से बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि बैठक का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है उसमें निर्णय नहीं लिया गया था बल्कि महिलाओं की ओर से दिए गए सुझाव को समाज के समक्ष रखा गया था. इसमें कहा गया था कि 26 जनवरी तक समाज के लोगों को ये अच्छा लगे तो इसको लेकर बताएं ताकि इसको लागू किया जा सके.

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'ये तो बस सुझाव था'

समाज के पांच पटेल का कहना है कि यह फैसला इसलिए किया गया है कि महिलाओं के पास मोबाइल होने से बच्चों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है. गेमिंग के साथ-साथ साइबर ठगी के मामलों में भी लगातार उनको नुकसान झेलना पड़ता है साथ ही सोशल मीडिया के जरिए आने वाले कुछ अश्लील जैसे विज्ञापनों से भी बच्चों की मानसिकता पर असर पड़ता है. हालांकि यह समाज के समक्ष रखा गया एकमात्र सुझाव था जो 26 जनवरी तक समाज के लोगों से राय मांगी गई है. लेकिन यह कोई निर्णय लिया नहीं गया है और अब पांच पटेलन का कहना है कि इस निर्णय को वापस ले लिया है.

'कोई निर्णय नहीं लिया गया है'

समाज के पांच सुजानाराम ने बताया कि रविवार को हुई बैठक में समाज की महिलाओं की ओर से बच्चों पर पड़ रहे मोबाइल के दुष्प्रभाव को लेकर दिए गए सुझाव के संबंध में समाज के समक्ष यह सुझाव रखा गया था लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया है. और न हीं इसे कोई लागू किया है. समाज के लोग इस बात पर सुझाव रखें ताकि जनवरी तक यह निर्णय लिया जा सके. उन्होंने बताया कि आजकल स्मार्टफोन की वजह से बच्चे अधिक गेम खेल रहे हैं , साथ ही भोजन खाने में भी आनाकानी करते हैं. स्कूल से घर आने के बाद होमवर्क नहीं करते , केवल मोबाइल लेकर बैठ जाते हैं. बच्चों को इतना ज्ञान नहीं होता कई बार इसके चलके साइबर ठगी के मामलों में भी नुकसान का सामना करना पड़ता है.

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'स्कूली बच्चियों को मोबाइल रखना जरूरी है'

उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है इसके पीछे का महिलाओं और बेटियों को मोबाइल बिल्कुल बंद करने के लिए कहा गया है. आज की जमाने में इसके साथ ही पढ़ाई करने वाली बच्चियों को मोबाइल रखना जरूरी होगा तो वह अपने घर में ही मोबाइल से पढ़ाई करेंगे. वह घर में ही मोबाइल का उपयोग कर सकती है जिससे उनकी पढ़ाई में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं हो.  

'सुझाव और प्रस्ताव को वापस ले लिया है'

समाज की महिलाओं ने बताया कि यह उनका सुझाव था कि बच्चे दिन भर पढ़ाई ना करते हुए मोबाइल लेकर बैठ जाते हैं. इससे उनकी आंखों पर असर पड़ रहा है. इसके साथ ही दिनभर वीडियो गेमिंग के कारण स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. बच्चे स्कूल जाने में आनाकानी करते हैं और स्कूल से आने के बाद घर पर बैठकर मोबाइल देखते हैं जिससे उनपर दुष्प्रभाव पड़ता है. इसी वजह से गांव के बुजुर्गों को यह सुझाव दिया गया था जिस पर समाज की बैठक में  प्रस्ताव और रखा गया था. अभी इसको लागू नहीं किया गया था केवल समाज के सुझाव मांगे गए थे. लेकिन अब इस पूरे मामले का सोशल मीडिया पर विरोध को लेकर समाज के पांच पटेल में बैठक बुलाकर इस निर्णय को वापस ले लिया है. और समाज के समक्ष रखें इस सुझाव और प्रस्ताव को वापस ले लिया गया है. 

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