रेलिंग पर चढ़ी, बैलेंस बिगड़ा और फिसल गई... स्कूल की चौथी मंजिल से गिरी बच्ची का CCTV आया सामने

जयपुर के एक निजी स्कूल में 9 साल की बच्ची की मौत ने पूरे शहर को झकझोर दिया है. कक्षा 4 में पढ़ने वाली अमायरा स्कूल की चौथी मंजिल से नीचे गिरी थी. अब इस घटना का सीसीटीवी सामने आया है. इस घटना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. एक नन्ही बच्ची रेलिंग पर क्यों चढ़ी? स्कूल प्रशासन ने सच छिपाने की कोशिश क्यों की?

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जयपुर में 9 साल की बच्ची की मौत से सनसनी. (Photo: Screengrab) जयपुर में 9 साल की बच्ची की मौत से सनसनी. (Photo: Screengrab)

विशाल शर्मा

  • जयपुर,
  • 02 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:59 AM IST

राजस्थान की राजधानी जयपुर से बेहद दर्दनाक घटना सामने आई है. यहां के प्रतिष्ठित निजी स्कूल में चौथी क्लास में पढ़ने वाली बच्ची स्कूल की बिल्डिंग से गिर गई, जिससे उसकी मौत हो गई. इस घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है. बच्ची की उम्र महज 9 साल थी. इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

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सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि 9 साल की अमायरा स्कूल की चौथी मंजिल के गलियारे में बिल्कुल सामान्य तरीके से कुछ देर तक टहलती रहती है. इसके बाद वह रेलिंग के पास जाती है और धीरे-धीरे उस पर चढ़ने की कोशिश करती है. फुटेज के अगले हिस्से में वह कुछ सेकंड तक संतुलन बनाती नजर आती है, लेकिन अचानक उसका संतुलन बिगड़ता है और वह नीचे गिर जाती है. यह नजारा बेहद दर्दनाक और संवेदनशील है, जिसने हर किसी को दहला दिया.

यहां देखें Video

सबूत नष्ट करने का आरोप

चौंकाने वाली बात यह है कि CCTV फुटेज सामने आने से पहले ही स्कूल प्रशासन ने घटनास्थल को पानी से धुलवा दिया, जिससे खून के धब्बों और अन्य महत्वपूर्ण सबूतों को मिटाने की कोशिश की गई. इस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या स्कूल प्रशासन घटना को छिपाने का प्रयास कर रहा था. पुलिस की फोरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर दीवारों और फर्श से खून के सैंपल (blood traces) इकट्ठा किए और DVR जब्त कर बैकअप लेना शुरू कर दिया है.

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मानसरोवर थाना पुलिस ने तुरंत स्कूल के CCTV सिस्टम का पूरा DVR सीज किया. फोरेंसिक एक्सपर्ट्स DVR की कॉपी निकालकर जांच कर रहे हैं कि फुटेज में किसी प्रकार की एडिटिंग या छेड़छाड़ तो नहीं की गई.

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जांच अधिकारी लखन खटाना ने बताया कि फुटेज से ये साफ है कि बच्ची रेलिंग पर चढ़ी थी, लेकिन यह समझना जरूरी है कि वो वहां तक कैसे पहुंची और उसके पहले क्या हुआ. ऐसे में अब फोरेंसिक टीम ये जांच कर रही है कि क्या वीडियो में किसी ने उसके आसपास कुछ कहा या किया, जिससे उसने ये कदम उठाया हो. वहीं फोरेंसिक टीम ने दीवारों और फर्श से खून के ट्रेस सैंपल इकट्ठा किए, ताकि सबूत दोबारा वैज्ञानिक रूप से जुटाए जा सकें.

शिक्षा विभाग की टीम को भी नहीं दी गई एंट्री

घटना के बाद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 6 सदस्यीय जांच समिति स्कूल भेजी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से स्कूल प्रबंधन ने टीम को गेट पर ही रोक दिया. जिला शिक्षा अधिकारी रामनिवास शर्मा सहित सभी अधिकारी डेढ़ घंटे तक बाहर खड़े रहे, लेकिन न तो स्कूल प्राचार्य सामने आए और न ही मैनेजमेंट टीम का कोई सदस्य. अधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सहयोग नहीं मिला तो स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है.

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सवाल उठ रहे हैं कि क्या स्कूल में किसी ने उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया? क्या यह किसी हादसे का नतीजा था या किसी ने उसे मजबूर किया? और सबसे बड़ा सवाल है कि स्कूल प्रशासन ने सबूत क्यों मिटाए? लोगों का कहना है कि यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि स्कूलों की सुरक्षा, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल उठाती है. 9 साल की मासूम के साथ क्या हुआ, इसका सच सामने आना बेहद जरूरी है.

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