बीते 1 नवंबर को जयपुर के एक नामी स्कूल की चौथी मंजिल से 9 साल की अमायरा कूद गई. अमायरा की मौत ने पूरे शहर को झकझोर दिया. जो बच्ची एक रात पहले हैलोवीन पार्टी में हंस-हंसकर ट्रॉफियां जीत रही थी, अगले ही दिन स्कूल में ऐसी त्रासदी हो गई कि फैमिली के लोग यकीन नहीं कर पा रहे कि वो अब कभी 'मॉम, वेक मी अप अर्ली; नहीं कहेगी.
परिवार का कहना है कि अमायरा लंबे समय से स्कूल में बुलिंग का शिकार थी, मगर टीचर्स ने कभी उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया. अब उसके माता-पिता स्कूल प्रशासन और शिक्षकों पर लापरवाही और साक्ष्य मिटाने के आरोप लगा रहे हैं.
अमायरा की मां शिवानी ने कहा कि 'हमारे अपार्टमेंट में हैलोवीन का इवेंट था, उसमें वो बहुत एन्जॉय करके आई थी. एक सौ सात ट्रॉफीज लाई थी, जो उसने आकर खानी थीं. रात को सोने से पहले उसने मुझसे कहा था कि मॉम प्लीज वेक मी अप लिटल अर्ली, आई वांट टू वाश माई हेयर बिफोर गोइंग टू स्कूल. वो बहुत खुश थी. वो ऑल राउंडर थी.'
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शिवानी आगे कहती हैं- 'वो स्कूल में अक्सर अवार्ड जीता करती थी. हाल ही में हमने उसका एक फंक्शन अटेंड किया था. उसके बहुत सारे ड्रीम्स थे. वो बहुत ब्यूटीफुल थी. वो बहुत सुंदर बच्चा है. She wanted to be like कल्पना चावला, Sometimes दीपिका पादुकोण, Sometimes a band English singer... Mostly singing का उसको शौक था. सिंगर बनना चाहती थी. जैसे ब्लैक पिंक वगैरह बैंड थे. इस तरह के बैंड का उसका सपना था.'
शिवानी कहती हैं कि अमायरा बहुत ही खुशमिजाज बच्चा थी. बियॉन्ड इमैजिनेशन है कि वो इस तरह का कदम उठा सकती है. उसने सुबह बाल धोए, तैयार हुई, मुस्कुराती हुई स्कूल गई.
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शिवानी बताती हैं कि घटना वाले दिन उन्होंने पुलिस के साथ स्कूल जाकर सीसीटीवी फुटेज देखे. फुटेज में साफ दिख रहा था कि इस घटना से करीब एक घंटा पहले अमायरा चार-पांच बार अपनी सीट से उठकर क्लास टीचर के पास जाती है, कुछ कहती है और फिर वापस लौट आती है. हर बार कुछ परेशान सी दिख रही है.
अमायरा के मामा साहिल ने कहा कि पिछले एक साल से स्कूल में बुलिंग को लेकर शिकायत की जा रही थी. हमने कई बार टीचर्स को बताया कि बच्ची को परेशान किया जा रहा है. इंसिडेंट वाले दिन भी वो क्लास टीचर के पास चार से पांच बार गई, कुछ कहने के बाद सीट पर लौटती रही. उसकी एक क्लासमेट ने भी हमें बताया कि वो कह रही थी कि बच्चे मुझे परेशान कर रहे हैं.
साहिल कहते हैं कि सीसीटीवी में दिख रहा है कि उसके आगे बैठा एक बच्चा कुछ स्लेट पर लिखकर या बनाकर बार-बार उसे दिखा रहा है. अमायरा परेशान होती है, बार-बार टीचर के पास जाती है. टीचर ने खुद भी पुलिस के सामने कहा कि हां, वो दो बार आई थी और बोला कि बच्चे बैड वर्ड्स बोल रहे हैं और परेशान कर रहे हैं. मगर टीचर ने सिर्फ इतना कहा कि जाओ, बैठ जाओ. हमारा सवाल यही है कि अगर बच्ची इतनी परेशान दिख रही थी, तो उस वक्त टीचर ने उसे हैंडल क्यों नहीं किया? सिर्फ उसे वापस भेज देना एक संवेदनशील बच्चे की मदद नहीं है.
वो बहुत कुछ बनना चाहती थी... कभी सिंगर, कभी स्पेस साइंटिस्ट
मां शिवानी बताती हैं कि वो बहुत ही ड्रीमी बच्चा था. कभी कहती, मैं कल्पना चावला बनूंगी’, कभी कहती ‘दीपिका पादुकोण की तरह एक्ट्रेस बनना है. उसे ब्लैकपिंक बैंड बहुत पसंद था, सिंगिंग का बहुत शौक था. उसके दो कजिन्स के साथ मिलकर उसने ‘गर्ल बैंड’ बनाया हुआ था. वो स्कूल में हर फंक्शन में अवॉर्ड जीतती थी. एक ऑल-राउंडर बच्ची थी. शिवानी की आंखों में आंसू भर आते हैं- उस रात उसने कहा था- ‘मॉम, कल जल्दी उठाना, मुझे स्कूल जाने से पहले बाल धोने हैं.
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अमायरा के पिता विजय बताते हैं कि उन्होंने खुद पैरेंट-टीचर मीटिंग में कुछ देखा था. मैंने अपनी आंखों से देखा कि एक लड़का किसी लड़की की तरफ उंगली करके इशारे कर रहा था और अमायरा साइड में खड़ी थी. वो घबराई हुई थी. जब मैंने पूछा कि दोस्तों के पास क्यों नहीं जा रही, तो वो चुप रही.
विजय बताते हैं कि मैं टीचर के पास गया तो उन्होंने कहा कि देखिए, ये को-एड स्कूल है. यहां लड़के-लड़कियां साथ पढ़ते हैं, अमायरा को उनसे बात करना सीखना चाहिए. मैंने कहा कि हर बच्चे का नेचर अलग होता है. मगर उन्होंने बात को हल्के में लिया. वो बताते हैं कि अमायरा अक्सर शिकायत करती थी कि क्लास में कुछ बच्चे उसे चिढ़ाते हैं, नाम लेकर बुलाते हैं, मजाक उड़ाते हैं.
उन्होंने कहा कि हम बार-बार स्कूल को कहते रहे, मगर कभी किसी ने सीरियस नहीं लिया. परिवार का आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने न केवल शिकायतों को नजरअंदाज किया, बल्कि घटना के बाद साक्ष्य भी छिपाने की कोशिश की. परिवार ने पुलिस से कार्रवाई की मांग की है. एक सवाल है- क्या स्कूल में बुलिंग को अनदेखा करना किसी मासूम की जान लेने तक पहुंच सकता है? क्या टीचर्स की संवेदनशीलता और सिस्टम की लापरवाही अब भी किसी और अमायरा की कीमत पर सुधरेगी?
देव अंकुर