सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 814वें सालाना उर्स के मौके पर केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेण रिजिजू आज अजमेर शरीफ दरगाह पहुंचेंगे. वह दरगाह पर पारंपरिक चादर भेंट करेंगे. उर्स के मौके पर हर साल केंद्र सरकार की तरफ से यह चादर चढ़ाई जाती है. दरगाह को लेकर कुछ विवाद भी चल रहा है और कोर्ट से इस तरह चादर चढ़ाने पर रोक लगाने की मांग भी की गई है.
दरगाह पहुंचने से पहले किरेण रिजिजू ने साफ कहा कि उनका यह दौरा पूरी तरह धार्मिक है. उन्होंने कहा, "मैं वहां लोगों की भलाई और देश की तरक्की के लिए दुआ करने जा रहा हूं. मैं कोई राजनीति करने नहीं जा रहा हूं."
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किरेण रिजिजू ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हम हर साल अजमेर शरीफ जाते हैं. पिछले साल भी गए थे. मैं यही दुआ करता हूं कि हमारा देश आगे बढ़े, सभी लोग खुशहाल रहें और देश में भाईचारा और शांति बनी रहे. हम सभी मिलकर विकसित भारत की ओर आगे बढ़ें."
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का 814वां उर्स
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का 814वां उर्स इस साल 22 दिसंबर को इस्लामी महीने रजब की शुरुआत के साथ शुरू हुआ, जो 30 दिसंबर 2025 तक चलेगा. उर्स के मुख्य दिन 22 से 30 दिसंबर के बीच हैं, जिनमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अजमेर शरीफ पहुंचते हैं.
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अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर क्या विवाद है?
हर साल की तरह इस बार भी अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से दरगाह में चादर पेश की जाएगी. हालांकि, इस बीच उर्स को लेकर एक विवाद भी चर्चा में है. हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अदालत में याचिका दायर कर दरगाह परिसर में शिव मंदिर होने का दावा किया है. इस मामले में उन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा चादर चढ़ाने पर रोक लगाने की मांग भी की थी.
इस याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने तारीख 3 जनवरी तय की है. फिलहाल कोर्ट की ओर से कोई रोक नहीं लगाई गई है, जिसके चलते उर्स और चादर पेश करने की परंपरा जारी है.
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