Ajmer Dargah Controversy: अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में जियारत करने के लिए खादिमों को दरगाह कमेटी से लाइसेंस लेने की बात को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. इस प्रक्रिया से पहले ही अजमेर दरगाह अंजुमन कमेटी की ओर से कड़ा रुख अपनाते हुए इसे गलत बताया है.
अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा, ''यह दरगाह किसी के बाप की नहीं. यह ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह इस्लामिक संस्था है और यह आज की नहीं, मुगल सल्तनत के दौरान बनाई गई है. इसमें किसी का अधिकार नहीं. यह खादिमों की है.
यह अन्य संस्थाओं की तरह नहीं है. सभी धर्म और संप्रदाय के लोग यहां अपने आस्था रखते हैं. इस तरह की फरमान कभी भी जारी नहीं होने दिए जाएंगे. केवल अपने हिसाब से दरगाह कमेटी फैसला नहीं ले सकती, जिसे कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
सरवर ने कहा कि दरगाह में अतिक्रमण को लेकर भी विवाद खड़े होते हैं. लेकिन इससे कोई समझता नहीं. दरगाह के स्थान में कैमरे लगाने की बात हो रही है लेकिन वहां हम ध्यान रखेंगे या कर्मचारी रखेंगे यह भी होना चाहिए. ऐसे तुगलक की फरमान नहीं चलेंगे, न ही लाइसेंस लिए जाएंगे.
दरगाह के नियमों की बात होती है लेकिन उस पर अमल नहीं होता. न खादिमों से कभी पूछा जाता है और न ही उनके मेंटेनेंस रजिस्टर को देखा जाता है. खादिम समुदाय को मजाक समझ रखा है. हमेशा उससे पहले इस तरह की कदम उठाए जाते हैं.''
उन्होंने चेतावनी वाले स्वर में कहा कि समुदाय के लाखों में अनुयाई है और उन्हें जबरन परेशान नहीं किया जाए. अल्पसंख्यक विभाग के नुमाइश पर पैसा खर्च नहीं करते बल्कि दरगाह से उनके पास पैसा जाता है.
सरवत चिश्ती ने आरोप लगाए कि यह दरगाह का नाजिम ही गलत है और गलत तरीके से नियुक्त किया गया है और उसके माध्यम से नोटिस जारी होना किसी को बर्दाश्त नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि आज कुछ ही लोग इसका विरोध जाता रहे हैं और जरूरत पड़ेगी तो खादिम समुदाय के 10000 से अधिक लोग दरगाह को भर देंगे और उनके लाखों अनुयाई हैं, इसलिए हमें कोई मजबूर न करे और हल्के में न ले.
यह तुगलक की फरमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. खादिमों के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू करके देखें और उनके आदेश को कोई नहीं मानता और न ही मानेंगे.
गौरतलब है कि दो दिन पहले अजमेर दरगाह कमेटी नाजिम मोहम्मद बिलाल खान ने विज्ञापन जारी कर 15 जनवरी से लाइसेंस के लिए आवेदन मांगे थे.
चंद्रशेखर शर्मा