धर्म का नाम आते ही हमारे समाज में एक सोच ऐसी बन चुकी है कि तुरंत हम हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी के खांचे में बंटकर देखने और दिखाने लगते हैं. उस धर्म के बारे में सोचते ही नहीं, जो धर्म व्यक्ति के कार्य से जुड़ा होता है. देखिए 10तक.