2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में अदालत ने 17 साल बाद सात आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि जांच एजेंसियां आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत और विश्वसनीय गवाह पेश करने में विफल रहीं. इस फैसले के बाद 'हिंदू आतंकवाद' और 'भगवा आतंकवाद' जैसे शब्दों की उत्पत्ति पर बहस तेज हो गई है.