बीजेपी ने आखिर क्यों चुना राष्ट्रीय 'कार्यकारी' अध्यक्ष? क्या कहता है पार्टी का संविधान

भारतीय जनता पार्टी को नया अध्यक्ष तो नहीं, लेकिन नितिन नबीन के रूप में फिलहाल राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जरूर मिल गया है. बिहार के बांकीपुर से विधायक नितिन नबीन छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रभारी, और फिलहाल बिहार सरकार में मंत्री हैं.

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बिहार सरकार में मंत्री और बीजेपी के नवनियुक्त राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन. (Photo: PTI) बिहार सरकार में मंत्री और बीजेपी के नवनियुक्त राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन. (Photo: PTI)

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:28 PM IST

बीजेपी के नए अध्यक्ष का इंतजार तो खत्म नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी ने एक तात्कालिक इंतजाम जरूर कर लिया है. बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. नितिन नबीन ने आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद दिया है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के तमाम नेताओं ने नितिन नबीन को बधाई दी है. 

याद करें, तो जेपी नड्डा की नियुक्ति भी इसी तरीके से हुई थी. मई, 2019 में आम चुनाव खत्म हो गया था. जून में जेपी नड्डा को भी ऐसे ही कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में लीडरशिप रोल में लाया गया. और फिर, 20 जनवरी, 2020 को जेपी नड्डा के भारतीय जनता पार्टी के निर्विरोध निर्वाचित अध्यक्ष के रूप में घोषित  कर दिया गया.

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प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल साइट X पर लिखा है, 'श्री नितिन नबीन जी ने एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है. वे एक युवा और परिश्रमी नेता हैं, जिनके पास संगठन का अच्छा-खासा अनुभव है. बिहार में विधायक और मंत्री के रूप में उनका कार्य बहुत प्रभावी रहा है, साथ ही जनआकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्होंने पूरे समर्पण भाव से काम किया है. वे अपने विनम्र स्वभाव के साथ जमीन पर काम करने के लिए जाने जाते हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी ऊर्जा और प्रतिबद्धता आने वाले समय में हमारी पार्टी को और अधिक सशक्त बनाएगी। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बनने पर उन्हें हार्दिक बधाई.'

क्या नितिन नबीन ने मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की जगह ले ही है? और क्या नितिन नबीन ही बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी होंगे? ऐसे सवाल अब भी बने हुए हैं. जब तक बीजेपी को नया अध्यक्ष नहीं मिल जाता, ये सवाल बना भी रहेगा.

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समझने वाली सबसे बड़ी बात है, बीजेपी के राष्ट्रीय 'कार्यकारी' अध्यक्ष की क्या भूमिका होती है? 

क्या होता है राष्ट्रीय 'कार्यकारी' अध्यक्ष?

बीजेपी ने सोशल मीडिया पर एक पत्र में 'संगठनात्मक नियुक्ति' की जानकारी दी है. पत्र में लिखा है, भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड ने नितिन नबीन, मंत्री, बिहार सरकार को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. 14 दिसंबर को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी पत्र में ये भी बताया गया है कि नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होती है.

भारतीय जनता पार्टी की वेबसाइट पर जो संविधान उपलब्ध है, उसमें खोजने पर राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जैसे किसी पद का उल्लेख नहीं मिलता. यहां तक कि 'कार्यकारी' शब्द भी नहीं. लेकिन, बीजेपी के संविधान में एक अंतरिम व्यवस्था जरूर बताई गई है. ये व्यवस्था 'रिक्त स्थान' की सूरत सझाई गई है. 

बीजेपी के संविधान में लिखा है, 'अध्यक्ष के रिक्त स्थान की पूर्ति उस प्रक्रिया से होगी, जिस प्रक्रिया से उस पद पर प्रथम निर्वाचन हुआ था. अंतरिम काल के लिए सम्बन्धित उच्चतर समिति के अध्यक्ष द्वारा तदर्थ नियुक्ति की जायेगी जो अपने पदाधिकारियों को वर्तमान कार्य समिति के सदस्यों में से ही मनोनीत करेगा.'

इस हिसाब से समझें तो राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना, तदर्थ नियुक्ति यानी अस्थाई व्यवस्था जैसा ही है. यानी जब तक औपचारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी अपने नए अध्यक्ष की बाकायदा घोषणा नहीं कर देती, ये अंतरिम व्यवस्था बनी रहेगी. 

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जेपी नड्डा का कार्यकाल तीन साल बाद खत्म हो गया था. लेकिन 2023 में कई राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव थे, लिहाजा एक्सटेंशन देना पड़ा. जब सिर पर चुनाव हों, तो संगठन को परवाह कौन करेगा? और, उसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव का वक्त आ गया. कोई भी प्रयोग जोखिमभरा हो सकता था, फिर एक्सटेंशन दे दिया गया. उसके बाद हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव. फिर दिल्ली का चुनाव, बिहार का चुनाव. 

लेकिन पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मिल गया है - और स्थाई इंतजाम होने तक ये व्यवस्था जारी रहने वाली है.  

राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया कैसी होती है?

भारतीय जनता पार्टी के संविधान की धारा-19 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बारे में विस्तार से बताया गया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा. 

1. निर्वाचक मंडल में राष्ट्रीय परिषद के सदस्य शामिल होते हैं. धारा-18 में ये भी समझाया गया है. निर्वाचक मंडल में प्रदेश परिषदों द्वारा धारा-18(2) के अनुसार निर्वाचित सदस्य और पार्टी के संसद सदस्यों द्वारा चुने गए 10 फीसदी सदस्य, लेकिन 10 से कम नहीं. अगर ये संख्या 10 से कम हो तो सभी सांसद.

2. ऐसे ही प्रदेश परिषद के सदस्यों के चुनाव का तरीका संविधान की धारा-16 में बताया गया है. इसमें जिला स्तर की इकाइयों द्वारा निर्वाचित सदस्य और विधायक भी सांसदों की तरह ही निर्वाचक मंडल के लिए चुने जाते हैं. संविधान में बताया गया है कि अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए निर्धारित नियमों के अनुसार ही कराया जाएगा. 

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3. राष्ट्रीय अध्यक्ष वही व्यक्ति हो सकेगा जो कम से कम चार अवधियों तक सक्रिय सदस्य और कम-से-कम 15 साल तक प्राथमिक सदस्य रहा हो. 

4. निर्वाचक मंडल में से कोई भी बीस सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की अर्हता रखने वाले व्यक्ति के नाम का संयुक्त रूप से प्रस्ताव कर सकेंगे. ये संयुक्त प्रस्ताव कम से कम ऐसे पांच प्रदेशों से आना जरूरी है जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों - और हां, नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति आवश्यक होगी.

जेपी नड्डा अब भी अध्यक्ष हैं या नहीं?

भारतीय जनता पार्टी के संविधान की धारा-21 में अध्यक्ष के कार्यकाल के बारे में बताया गया है. लिखा है, 'कोई पात्र सदस्य तीन-तीन वर्ष के लगातार दो कार्यकाल तक अध्यक्ष पद पर रह सकेगा.'

बीजेपी अध्यक्ष के दो कार्यकाल की व्यवस्था 2012 में हुए संविधान संशोधन के तहत हुई थी. तब नितिन गडकरी दूसरी बार अध्यक्ष बने होते, लेकिन राजनाथ सिंह को नया अध्यक्ष चुन लिया गया. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष बन गए थे, लेकिन उनकी पहली पारी को राजनाथ सिंह के बचे हुए कार्यकाल के रूप में लिया गया था. 

ये तो मोटे तौर पर समझ में आ जाना चाहिए. जेपी नड्डा तब तक बीजेपी के अध्यक्ष बने रहेंगे, जब तक वो औपचारिक तौर पर नए अध्यक्ष को अपनी कुर्सी हैंडओवर नहीं कर देते. नितिन नबीन की नियुक्ति राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर हुई है, जेपी नड्डा से नितिन नबीन ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया है. मतलब, बीजेपी के अध्यक्ष अभी जेपी नड्डा ही हैं. 

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नितिन नबीन बीजेपी संविधान की अंतरिम व्यवस्था के तहत नए अध्यक्ष के चुने जाने तक राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर काम करते रहेंगे - और मुमकिन है, आगे चलकर नितिन नबीन ही बीजेपी के अध्यक्ष बन जाएं. 

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