आडवाणी को नेहरू-इंदिरा जैसा बताकर थरूर ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को नाखुश कर दिया

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लालकृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर बधाई देते हुए उनको नेहरू और इंदिरा गांधी जैसा बताया है. कांग्रेस ने शशि थरूर के बयान से दूरी बना ली है - सवाल ये है कि बीजेपी को शशि थरूर की राय कैसी लगी है?

Advertisement
शशि थरूर के हाल के ज्यादातर बयान बीजेपी को खुश करने वाले रहे हैं, लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ वैसी नहीं है. (Photo: PTI) शशि थरूर के हाल के ज्यादातर बयान बीजेपी को खुश करने वाले रहे हैं, लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ वैसी नहीं है. (Photo: PTI)

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST

8 नवंबर को बीजेपी के सबसे सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन था. देश भर के प्रमुख नेताओं ने हमेशा की तरह बधाई दी, लेकिन कांग्रेस नेता शशि थरूर  विवादों में आ गए. शुभकामनाओं में लालकृष्ण आडवाणी के बारे में शशि थरूर की राय कुछ लोगों को रास नहीं आईं. करीब करीब वैसे ही जैसे एक जमाने में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को लालकृष्ण आडवाणी का सेक्युलर बताया जाना बहुतों को हजम नहीं हुआ. 

Advertisement

98 साल के लालकृष्ण आडवाणी के बारे में सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े को शशि थरूर की राय नागवार गुजरी, तो कांग्रेस सांसद ने आगे बढ़ते हुए और अपनी दलील को दमदार बनाने के लिए आडवाणी की तुलना दो पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी से कर डाली - और लहजा ऐसा कि कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर शशि थरूर के बयान से दूरी बना ली. 

हाल ही में, शशि थरूर ने भारतीय राजनीति में वंशवाद पर एक लेख लिखा था जिस पर उनके पहले के बयानों की ही तरह विवाद हुआ. शशि थरूर ने वैसे तो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक वंशवाद की राजनीति का हवाला दिया था, लेकिन सबसे ऊपर चर्चा थी लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और बिहार चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव की.

Advertisement

शशि थरूर के ताजा बयान पर कांग्रेस ने तो अपनी राय जाहिर कर ही दी है, बीजेपी की प्रतिक्रिया सामने आना बाकी है - वैसे भी 2014 में बीजेपी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद से लगता तो यही है कि लालकृष्ण आडवाणी तो बस सम्मान की मूर्ति बनाकर पूजे जाते रहे हैं. मार्गदर्शक मंडल तो अब नाम मात्र भी नहीं बचा है, लेकिन 2024 में राम मंदिर उद्घाटन समारोह से भी उनको दूर ही रहना पड़ा. 

शशि थरूर के बयान पर विवाद क्यों?

लालकृष्ण आडवाणी के 98वें जन्मदिन के मौके पर शशि थरूर ने सोशल साइट X पर शुभकामनाएं देते हुए लिखा, लालकृष्ण आडवाणी जी को उनके 98वें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं! जनसेवा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, उनकी विनम्रता और शालीनता और आधुनिक भारत की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अमिट है. एक सच्चे राजनेता, जिनका सेवामय जीवन अनुकरणीय रहा है.

विरोध के स्वर अक्सर शशि थरूर को कांग्रेस के भीतर से सुनने पड़ते हैं, लेकिन ये बाहर से था. सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े ने शशि थरूर के बयान पर कड़ा विरोध जताया. 'माफ कीजिए मि. थरूर' के साथ संजय हेगड़े ने अपनी पोस्ट की शुरुआत की, और लेखक खुशवंत सिंह का हवाला देते हुए लिखा, नफरत के बीज फैलाना जनसेवा नहीं है. 

Advertisement

संजय हेगड़े ने आगे लिखा, रथयात्रा कोई एक वाकया नहीं थी. वो भारतीय गणराज्य के बुनियादी सिद्धांतों को पलटने की एक लंबी यात्रा थी. 2002 और 2014 की जमीन उसी यात्रा ने तैयार की, और उसके बाद की राजनीति को भी दिशा दी. जैसे द्रौपदी का अपमान महाभारत की पृष्ठभूमि बना, वैसे ही रथयात्रा और उसकी हिंसक विरासत आज तक देश की नियति को सताती रही है. अपने मौजूदा शरशय्या से भी उनकी तरह से कोई राजधर्म नहीं बताया गया.

शशि थरूर ने संजय हेगड़े को जवाब देते हुए उनकी राय से सहमति तो जताई, लेकिन अपनी बात को वजन देने के लिए अपनी ही कांग्रेस पार्टी के दो नेताओं जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी का भी मूल्यांकन उससे से जुड़ी किसी एक घटना के आधार पर नहीं किया जा सकता. 

शशि थरूर ने X पर लिखा, 'संजय हेगड़े आपकी बात से सहमत हूं, लेकिन आडवाणी की लंबी सेवा को एक वाकये तक सीमित करना, चाहे वो कितनी भी महत्वपूर्ण क्यों न हो गलत है. नेहरू के पूरे राजनीतिक करियर का आकलन चीन की नाकामी के आधार पर नहीं किया जा सकता, और न ही इंदिरा गांधी के करियर का मूल्यांकन सिर्फ इमरजेंसी की वजह से किया जा सकता है... मेरा मानना ​​है कि हमें आडवाणी जी के प्रति भी यही शिष्टाचार दिखाना चाहिए.'

Advertisement

कांग्रेस ने बता दिया, बीजेपी को कैसा लगेगा?

बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ के साथ साथ नेहरू और इंदिरा गांधी से उनकी तुलना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा है, हमेशा की तरह, डॉक्टर शशि थरूर अपनी बात कह रहे हैं, और कांग्रेस अपने आप को उनके बयान से अलग करती है... कांग्रेस सांसद और CWC सदस्य के रूप में उनका ऐसा करना कांग्रेस की विशिष्ट लोकतांत्रिक और उदारवादी भावना को दर्शाता है.

भले ही कांग्रेस को शशि थरूर की ये दलील अच्छी लगी हो कि चीन के साथ जंग के मसले पर नेहरू और इमरजेंसी को लेकर इंदिरा गांधी के योगदानों समेट नहीं देना चाहिए, लेकिन किसी भी सूरत में लालकृष्ण आडवाणी से अपने नेताओं की तुलना कांग्रेस को अच्छी नहीं लगने वाली.

और वैसे ही, भले ही मौजूदा बीजेपी नेतृत्व लालकृष्ण आडवाणी को सम्मान की मूर्ति मात्र के रूप में देखता रहा है, लेकिन कांग्रेस नेताओं से उनकी तुलना बीजेपी के वैचारिक एजेंडे के खिलाफ चला जाता है. नए दौर की बीजेपी को तो लालकृण्ष आडवाणी का वो बयान भी अच्छा नहीं लगा होगा, जिसमें बीजेपी नेता ने देश में फिर से इमरजेंसी की आशंका जताई थी. 

2014 के आम चुनाव से पहले शशि थरूर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जो भी चुनावी तकरार हुई हो, लेकिन राष्ट्रहित के मुद्दों पर कांग्रेस नेता का स्टैंड बीजेपी नेतृत्व को अच्छा लगता है. ऐसे कई मौके देखे गए हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शशि थरूर की तारीफ की है. मोदी ने तो कांग्रेस नेतृत्व के विदेश नीति की समझ का मजाक उड़ाते हुए भी भरी संसद में शशि थरूर की तारीफ कर डाली है. 

Advertisement

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से तो शशि थरूर बीजेपी की आंखों के तारे ही बने हुए हैं. पाकिस्तान के खिलाफ सरकार की तरफ से विदेश दौरे पर भेजे गए प्रतिनिधिमंडल में तो शशि थरूर छाए ही रहे - लेकिन आडवाणी के साथ नेहरू-इंदिरा की तुलना करके शशि थरूर ने लगता है दोनों पक्षों की नाराजगी मोल ली है.

Read more!
---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement