शेफाली जरीवाला: एक फूल सी लड़की, जिसे हमने कांटे के लिए याद रखा...

वो जरीवाला थी, जो 2002 में टैटू बना रही थी, क्लब जा रही थी, गीत गा रही थी और लड़कों की आंखों में आंखें डालकर उनसे द्वंद्व को तैयार थी. जरीवाला ऐसी ही थी- विलक्षण, अल्हड़, उद्धत, आजाद ख्याल, अलहदा, अनकन्वेन्शनल.

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42 साल की उम्र में शेफाली जरीवाला का निधन 42 साल की उम्र में शेफाली जरीवाला का निधन

योगेश मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2025,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

रात का वक्त था. पीली रौशनी कहां से आ रही थी, नहीं पता. बीच में जलती आग के ऊपर बकरा लटका हुआ था. कुटिल चेहरा और वासना की मुस्कान. खाट पर बैठा सरदार और सामने नाचती उल्लास से भरपूर एक खूबसूरत नायिका. गब्बर के अड्डे पर वो सैटरडे नाइट थी. नायक गाता है, 

हुस्न-ओ-इश्क़ की राहों में
बाहों में, निगाहों में
दिल डूबा...

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अगर यह कहा जाए कि हिंदी फिल्मों में आइटम सॉन्ग का कोई दौर था तो वो ठीक नहीं होगा. आइटम सॉन्ग हर दौर में प्रासंगिक रहे. फिल्म 'शोले' का यह गीत 'महबूबा-महबूबा' आइटम सॉन्ग की यात्रा में महज एक चेकपोस्ट है. शोले से पहले भी बॉलीवुड में आइटम सॉन्ग सुनाई देते रहे. 1958 में आई फिल्म 'हावड़ा ब्रिज' का गीत 'मेरा नाम चिन-चिन चू' भी एक आइटम सॉन्ग माना जाता है जो यह साबित करता है कि लंबे समय तक आइटम सॉन्ग की दुनिया पर हेलेन का राज था. लेकिन हेलेन के बाद क्या? 

'शोले' के बाद परवीन बाबी, ज़ीनत अमान, रेखा, जया प्रदा, फिर रवीना टंडन, करिश्मा कपूर, माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी और तमाम मुख्यधारा की अभिनेत्रियां आइटम सॉन्ग कर रही थीं. 'चाइना गेट' का 'छम्मा-छम्मा' गीत इसका सबसे माकूल उदाहरण है. फिर आता है 2002. इन दिग्गजों के बीच दूर एक बेरी के पेड़ के नीचे से रात के अंधेरे में आवाज आती है, 'कांटा लगा...' ये पुकार थी जरीवाला की, शेफाली जरीवाला की.

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(फोटो: वीडियोग्रैब/इंस्टाग्राम- शेफाली जरीवाला) 

2002 वो वक्त था जब समाज में मॉरल पुलिसिंग जोरों पर थी. टीवी पर शक्तिमान 'छोटी, मगर मोटी बातें' के नाम पर कुछ भी बता रहा था क्योंकि बच्चे इतने बच्चे थे कि उन्हें बताना पड़ता था कि सुपरहीरो की नकल में छत से न कूदें. मोबाइल फोन का जमाना अभी दूर था. मनोरंजन के लिए टीवी ही एकमात्र साधन था. लोग 'गदर' की अमीषा और 'लगान' की ग्रेसी सिंह को देख रहे थे और बदलते बॉलीवुड को लेकर धारणाएं गढ़ रहे थे. इन सब के बीच एक 19 साल की लड़की का गाना आता है और 80s किड्स को खींचकर 'युवा' से 'जवान' बनने को मजबूर कर देता है.
 
गाना शुरू होता है. क्लब में 19 साल की एक लड़की 'द ड्यूड' मैग्जीन पढ़ रही है. आंखों का रंग जो कतई काला नहीं था लेकिन उतना ही गहरा था. चेहरे पर मादकता और मासूमियत दोनों का अनुपात 7:7 का था. दाएं हाथ पर एक क्रॉस टेप और घोर बोल्ड और वेस्टर्न पहनावा और फिर इतना वेस्टर्न जितना नक्शे पर ब्रिटिशर्स के लिए अमेरिकी. लड़कों के बीच लाइन में खड़ी ये लड़की उन्हें डॉमिनेट कर रही थी. शायद इसलिए भी कि उस क्लब की डीजे भी एक महिला ही थी. औसत कहानी पर फिल्माया यह गीत जब खत्म होता है तब पता चलता है कि लड़की के दाएं कंधे पर लगा टेप, वास्तव में 'आई लव यू' का टैटू था. 

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यही वो वक्त था जब बॉलीवुड में रीमिक्स गानों का चलन शुरू हो रहा था. लोग 1972 में आई फिल्म 'समाधि' का गीत 'कांटा लगा' बिल्कुल नए अंदाज में देख रहे थे. हालांकि ये एक स्वतंत्र गीत था जो किसी फिल्म से संबद्ध नहीं था. उन दिनों बच्चों के लिए यह एक अश्लील गाना था, युवाओं के लिए सेलिब्रेट करने का नया एंथम और आर्केस्ट्रा के लिए नया लोकगीत. इस गीत ने जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की और उससे ज्यादा मकबूलियत मिली 19 साल की शेफाली जरीवाला को.    

वो जरीवाला थी, जो 2002 में टैटू बना रही थी, क्लब जा रही थी, गीत गा रही थी और लड़कों की आंखों में आंखें डालकर उनसे द्वंद्व को तैयार थी. जरीवाला ऐसी ही थी- विलक्षण, अल्हड़, उद्धत, आजाद ख्याल, अलहदा, अनकन्वेन्शनल.

2003 में फिल्म आई 'गंगाजल'. मान्यता दत्ता पर फिल्माए आइटम सॉन्ग में नायिका गाती है, 

'मेरे पल्लू के कोने में 
लाखों-लाखों दिल अटके हैं, 
किस-किस का रखूं ख्याल... 
हाय... अल्हड़ मस्त जवानी...'

ये बात ठीक है कि वो राखी सावंत के दौर की शुरुआत थी जिन्होंने आइटम सॉन्ग की दुनिया में एक बड़ा नाम बनाया लेकिन जरीवाला ने भी अपना रूमाल रख दिया था जो आजतक उसी बेरी के नीचे रखा हुआ है. मानो यह कह दिया गया हो कि भले मोहब्बत मिर्ची सही लेकिन जरीवाला के कांटे का कोई इलाज नहीं. 2000 का दशक राखी सांवत के लिए याद किया जाता है लेकिन जरीवाला उस दशक का वो धागा थी जिसे राखी के बजाय ज़रदोज़ी में बरता गया. आपको बहुत राखियां मिल जाएंगी, बहुत मल्लिकाएं मिल जाएंगी लेकिन जरीवाला अब कभी नहीं लौटेगी. जौन का शेर है, 

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कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूं मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएंगे

(फोटो: इंस्टाग्राम/शेफाली जरीवाला)

ढूंढ़ने जाएंगे तो जरीवाला का बहुत काम आपको नहीं मिलेगा. समाज को चकाचौंध की प्रस्तावना देने वाली जरीवाला उसी दुनिया के उपसंहार पर रहती थी. जरीवाला हाशिए पर थी इसीलिए हमारे दिलों के करीब थी. जब हम बड़े हुए तो उसे भूल गए. इंसानों की मूल प्रवृत्ति ही है भूल जाना. लेकिन बिगबॉस सीजन-13 से वो एक बार फिर हमारे बीच लौटी. उसी मुस्कुराहट, उसी सकारात्मकता, उसी खूबसूरती और उसी पहचान के साथ 'कांटा लगा वाली शेफाली जरीवाला'. विडंबना देखिए, एक फूल सी लड़की को हमने कांटे के लिए याद किया. आज जरीवाला का अंतिम संस्कार होगा. बीती रात दिल की धड़कन रुक जाने से उसका निधन हो गया. 42 साल की उम्र में शेफाली चली गई और अपने पीछे छोड़ गई हमारे दिलों में धंसे वो तमाम कांटे जिन्हें अब कोई निकालने नहीं आएगा.

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