राहुल गांधी ये समझ लें कि शशि थरूर की बगावत को हवा भी मिलने लगी है

शशि थरूर हाल फिलहाल वैसे ही एक्टिव हैं, जैसे कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के वक्त दिखे थे, और भारतीय राजनीति में एक बार फिर उनकी अहमियत और हैसियत वैसी ही लग रही है, जैसी संयुक्त राष्ट्र से लौटने के बाद हुआ करती थी.

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शशि थरूर को राहुल गांधी की परवाह नहीं लगती, अब वो वाइल्ड-फायर बनते जा रहे हैं. शशि थरूर को राहुल गांधी की परवाह नहीं लगती, अब वो वाइल्ड-फायर बनते जा रहे हैं.

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:37 PM IST

शशि थरूर को लेकर भी कांग्रेस नेतृत्व बिल्कुल वैसे ही सोच रहा है, जैसे कभी हिमंत बिस्वा सरमा या ज्योतिरादित्य सिंधिया के मामले में - शशि थरूर भी अपने रुख पर कायम हैं, और ये कांग्रेस के लिए ठीक नहीं है. 

राहुल गांधी अब लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं. मतलब, कांग्रेस के ही नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष के. कांग्रेस को भी एक फुलटाइम अध्यक्ष मिला हुआ है, जो नेताओं की अपेक्षा के अनुसार काम करता हुआ नजर भी आता है. अब काम कौन सा है, या कांग्रेस के दायरे में काम की परिभाषा क्या है, अलग बात है.

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खास बात ये है कि शशि थरूर के इर्द-गिर्द हो रही घटनाओं से मालूम होता है कि कांग्रेस से बाहर भी उनके लिए जगह बन सकती है. ऐसे संकेत दूसरे दलों के नेता भी दे रहे हैं, और अपनी तरफ से शशि थरूर भी - लेकिन लगता नहीं की राहुल गांधी, या वे कांग्रेस नेता जो उनके मन की बात यूं भी समझ लेते हैं, को शशि थरूर के कांग्रेस में होने या न होने की संभावना से कोई फर्क भी पड़ रहा है. 

एक जमाने में कांग्रेस के प्रवक्ता रहे संजय झा ने ये बातें राहुल गांधी को पत्र लिखकर समझाने की कोशिश की है, लगे हाथ ये भी बता दिया है कि ‘कांग्रेस के भीतर शायद कोई आपको ये नहीं बताएगा.’

मुश्किल ये है कि जैसी सलाह शशि थरूर देते रहते हैं, संजय झा भी वैसी ही बातें कर रहे हैं. संजय झा का कहना है कि कांग्रेस को बीजेपी से मुकाबले पर फोकस करना चाहिये, लेकिन उसके पहले घर को ठीक करना जरूरी है. 

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सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी को भी ऐसा महसूस होता है? और अगर राहुल गांधी को लगता है कि जैसे लोकसभा में बीजेपी टास्क पूरा करने से पहले ही लुढ़क गई, और कांग्रेस को मौका मिल गया. आगे और भी मौके मिल सकते हैं - लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी का ग्राफ देखकर तो नहीें लगता कि कांग्रेस को हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना चाहिये. 

शशि थरूर अपने काम में लगे हुए हैं

25 फरवरी को शशि थरूर ने सोशल साइट X पर एक के बाद एक दो पोस्ट शेयर की है. राजनीतिक हिसाब से दोनो एक दूसरे की विरोधाभासी है, लेकिन मैसेज एक ही है. जो बात शशि थरूर कांग्रेस आलाकमान को समझाने की कोशिश कर रहे हैं, हर मौके पर वही दोहरा रहे हैं. चाहे वो इंटरव्यू हो, या फिर अंग्रेसी कवि थॉमस ग्रे का कथन.

एक पोस्ट में शशि थरूर ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ की तस्वीर शेयर की है. दूसरी पोस्ट में वो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की एक डिमांड को सपोर्ट करते देखे जा सकते हैं. 

शशि थरूर ने ब्रिटेन के साथ FTA यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट वार्ता शुरू होने पर खुशी जाहिर की है. लिखते हैं, 'ब्रिटेन के व्यापार और कारोबार मामलों के स्टेट सेक्रेट्री जोनाथन रेनॉल्ड्स के साथ केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में बातचीत करके अच्छा लगा… लंबे वक्त से रुकी हुई FTA वार्ता फिर से शुरू हो गई है, ये स्वागत योग्य कदम है.'

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वही बात, जो वो पहले भी कह चुके हैं, 'अगर पार्टी मुझे चाहती है तो मैं पार्टी के लिए मौजूद रहूंगा… अगर नहीं तो मेरे पास करने के लिए अपने काम हैं… आपको ये नहीं सोचना चाहिए कि मेरे पास समय बिताने का कोई विकल्प नहीं है… मेरे पास ऑप्शन हैं… मेरे पास किताबें हैं… भाषण देने के लिए दुनिया भर निमंत्रण पड़े हुए हैं.'

देखा जाये तो शशि थरूर समझा रहे हैं कि वो कांग्रेस के साथ भी हैं, और अगर कांग्रेस को उनकी फिक्र नहीं तो साथ देने के लिए और भी लोग हैं.

शशि थरूर को मिल रहा भरपूर सपोर्ट

शशि थरूर केरल में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर हुए एक ओपिनियन पोल के बाद ज्यादा मुखर हुए हैं. शशि थरूर का कहना है, ओपिनियन पोल ने भी दिखाया है कि मैं केरल में नेतृत्व की हिस्सेदारी में दूसरों से आगे था.

लेकिन, केरल कांग्रेस के मुखपत्र वीक्षणम डेली में शशि थरूर के बयानों के लिए उनकी आलोचना देखकर तो लगता है, कांग्रेस में उनके होने या न होने से बहुत फर्क नहीं पड़ता, ऐसा जताने की कोशिश की जा रही है. 


कांग्रेस की पॉलिसी और स्टैंड अपनी जगह है, लेकिन पीयूष गोयल के साथ अपनी तस्वीर शशि थरूर ने यूं ही तो की नहीं है. आम दिनों में ये संयोग भी माना जा सकता था, लेकिन अभी तो ये प्रयोग ही माना जाएगा. 

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केरल सरकार के स्टार्ट-अप पॉलिसी की तारीफ का असर भी देखने को मिल रहा है. सीपीएम के सीनियर नेता थॉमस इसाक का शशि थरूर को लेकर महत्वपूर्ण बयान भी आया है. सीपीएम नेता का कहना है कि अगर शशि थरूर कांग्रेस छोड़ते हैं तो वो केरल की राजनीति में अकेले नहीं रहेंगे.

थॉमस इसाक कहते हैं, उनको अपनी स्थिति साफ करने दीजिये, सीपीएम के लिए शशि थरूर को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है… हमारी पार्टी ने पहले भी कई कांग्रेस नेताओं का स्वागत किया है.

कांग्रेस की तरफ से केरल के सीनियर नेता के. मुरलीधरन ने सीपीएम नेता के बयान को कमतर बताने की कोशिश की है, ये कहते हुए कि ये आंतरिक मामला है. के. मुरलीधरन को 2026 के केरल विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी माना जा रहा है, जबकि वो ऐसी बातों से साफ इनकार कर रहे हैं. मुरलीधरन का कहना है कि कांग्रेस बिना चेहरे के ही चुनाव लड़ेगी.

संजय झा की राहुल गांधी को सलाह

रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को संबोधित पत्र के अंत में संजय झा काफी उम्मीद से लिखते हैं, मुझे विश्वास है कि पार्टी और आप इसे जल्द ही सुलझा लेंगे.

शुरू में ही संजय झा राहुल गांधी को आगाह भी कर देते हैं, मैं आपको यहां सार्वजनिक तौर पर लिख रहा हूं क्योंकि कांग्रेस के भीतर शायद कोई भी आपको ये नहीं बताएगा… लिहाजा हमेशा की तरह, मुझे ही ये मुश्किल काम करना होगा.

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शशि थरूर के बारे में राहुल गांधी को संजय झा बताते हैं, आप और मैं दोनो जानते हैं कि शशि थरूर उत्कृष्ट सांसद हैं. वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. 

संजय झा ने राहुल गांधी को नेतृत्व की अहमियत और जिम्मेदारियां भी समझाने की कोशिश की है, कांग्रेस को बीजेपी से मुकाबले पर फोकस करना चाहिये, लेकिन पहले खुद को व्यवस्थित करना जरूरी है.

देखें तो संजय झा के पत्र में भी वही सारी बातें हैं, जो G-23 वाली चिट्ठी भी थी - और सबको मालूम है उस पत्र और उन नेताओं का क्या हाल हुआ. और कांग्रेस की भी हकीकत मालूम ही है.

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