सांप को बहुत दुष्प्रचार मिला, इसे बदलने का यही सही वक्त

साल 1979 से 2003 तक किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 51 प्रतिशत अमेरिकी लोग सांपों से आतंकित रहते हैं. उस दौरान पूरे देश में प्रति वर्ष औसतन केवल पांच लोगों की मौत सांप के काटने से हुई थी.

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सद्गुरू सद्गुरू

सद्गुरु

  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST

सांप दुनिया में सबसे ज्यादा गलत समझे जाने वाले जीव हैं. वे बहुत सीधे और सुंदर जीव हैं लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें इस हद तक खराब छवि मिली है कि जिस क्षण लोग उन्हें देखते हैं, वे सोचते हैं कि सांप को मार देना चाहिए.

मैं अभी पढ़ ही रहा था कि कैसे 1979 से 2003 तक किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 51 प्रतिशत अमेरिकी लोग सांपों से आतंकित रहते हैं. उस दौरान पूरे देश में प्रति वर्ष औसतन केवल पांच लोगों की मौत सांप के काटने से हुई थी. फिर, जब आप एक कार, एक पुरुष या एक महिला को देखते हैं, तो आपको आतंकित होना चाहिए क्योंकि उन्होंने प्रति वर्ष पांच से अधिक लोगों को मारा है. जब आप सिगरेट या शराब की बोतल देखते हैं तो आप जरूर आतंकित होते होंगे. सिर्फ एक बोतल पानी पीने से हर साल पांच से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है! लेकिन आप ऐसी चीज से आतंकित हैं जो एक साल में पांच लोगों की जान ले लेती है.

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'आपके दांत हैं लेकिन क्या आप जिस मर्जी को काटते हैं?'

आपको सांप को पकड़कर चोट नहीं पहुंचानी चाहिए. अगर आप इसे चोट पहुंचाते हैं, केवल तभी हो सकता है कि यह आपको भी थोड़ी बहुत चोट पहुंचाना चाहे. यदि आप इसके साथ बुरा बर्ताव करते हैं, तो यह एक पल में आप पर हमला करेगा. आपके दांत हैं, लेकिन क्या आप जिसे देखते हैं उसे काटना चाहते हैं? नहीं, लेकिन अगर कोई आपको पीटता है और आपको मारने या नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो आप उन्हें काट लेंगे. सांप के साथ भी यही सच है. यह वहां बैठकर नहीं सोच रहा है कि किसे काटूं. लेकिन अगर इसकी जान को खतरा हो तो यह काटेगा.

गलत व्याख्या बना सांप से डर की वजह

पश्चिमी संस्कृति में सांपों का डर मूल रूप से ईसाई दर्शन के कुछ पहलुओं की गलत व्याख्या के कारण है. यदि आप आदम और हव्वा की कहानी को देखें, तो यह एक सांप है जिसने जीवन प्रक्रिया की शुरुआत की. जो जीव इस ग्रह पर जीवन की शुरुआत करता है, वह ईश्वर का एजेंट होगा, शैतान का नहीं. लेकिन उसके लिए, सांप को इतना दुष्प्रचार मिला. 2000 साल से, वे सांपों को बहिष्कृत कर रहे हैं और उन्हें बेहद खतरनाक बता रहे हैं.

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भारत में नागों की पूजा की जाती है. एक कारण यह है कि मनुष्य के विकास में सांप को एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में देखा जाता है. योग विज्ञान में, सर्प को कुंडलिनी के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. "कुंडलिनी" शब्द आम तौर पर ऊर्जा के उस आयाम को दर्शाता है, जिसे अभी तक अपनी क्षमता का एहसास नहीं हुआ है. आपके भीतर ऊर्जा का एक विशाल भंडार है जिसकी क्षमता का उजागर होना अभी बाकी है. ये पहलू ईसाई संस्कृति में भी मौजूद हैं.

बाइबिल में, मूसा ने विभिन्न बीमारियों के लोगों को ठीक करने के लिए तांबे या पीतल के सांप का इस्तेमाल किया. यहां तक कि जीसस ने भी बताया कि मनुष्य का उन्नत होना कैसे सांप का खड़ा होना है, क्योंकि ऐसा केवल तभी होता है जब अंतर्निहित ऊर्जा प्रकट होती है ताकि मनुष्य वास्तव में रूपांतरित होता है.

दूसरा कारण यह है कि सांप के पास एक विशेष बोध क्षमता होती है जो मनुष्य में भी नहीं होती. अगर कोई बहुत ध्यानमय हो जाता है, तो सबसे पहला प्राणी जो ध्यानमयता की ओर आकर्षित होता है वह सर्प है. यही कारण है कि आप हमेशा साधु-संतों की छवियों में सांपों को देखते हैं जिनके चारों ओर बांबी उगी होती है. यह सिर्फ इस जीव का सम्मान करने के लिए है जिसके पास बोध की ऐसी क्षमता है कि वह कुछ ऐसे आयामों को समझने में सक्षम है जिसे जानने के लिए मनुष्य बेताब है.

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रहस्यवाद बोध का एक विशेष आयाम है और सर्प उस क्षमता से संपन्न आया है. इसीलिए बोध का उच्चतम रूप, जो शिव के माथे में तीसरी आँख का खुलना है, सर्प की उपस्थिति से चिन्हित होता है. एक सरीसृप आमतौर पर जमीन पर रेंग रहा होता है, लेकिन शिव ने इसे अपने सिर के ऊपर यह इंगित करने के लिए धारण किया है कि, "कुछ मायनों में, वह मुझसे भी बेहतर है."

इन पहलुओं की समझ के साथ, भारतीय संस्कृति ने इस प्रबल भावना को विकसित किया कि आप सांप को नहीं मार सकते. यदि वे किसी तरह मर जाते हैं, तो लोग वास्तव में उनका एक इंसान की तरह अंतिम संस्कार करते हैं. आज भी कुछ लोग इसका पालन करते हैं. डर के बजाय, सांप के प्रति कृतज्ञता और विस्मय का भाव विकसित होना चाहिए. जब हम "साँप" शब्द का उच्चारण करते हैं, तो आपको इसके बारे में एक जहरीले जीव के रूप में सोचना बंद कर देना चाहिए. आपको इसके लिए ऐसा सोचना शुरू करना चाहिए कि वह शिव का आभूषण होने के लिए पर्याप्त योग्य है.

सांपों को लंबे समय से बहुत दुष्प्रचार मिला है, अब समय आ गया है कि उन्हें कुछ अच्छी छवि प्रदान की जाए.

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