रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की 3 जून 2025 को आईपीएल 2025 की ऐतिहासिक जीत से पूरे देश में उत्साह की लहर थी. पूरे देश ने इस जीत को सेलिब्रेट किया. पर हद तो बेंगलुरू में हो गई. कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने आरसीबी की जीत को सरकार की जीत से जोड़ दिया. जीत के बाद सीएम, डिप्टी सीएम, पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता और पार्टी के हैंडल्स लगातार इस खुशी पर झूमने लगे. कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने इस जीत को भुनाने की कोशिश की, और इसे अपनी पार्टी की उपलब्धि के रूप में पेश करने का प्रयास किया. सरकार को होश ही नहीं रहा कि आरसीबी की जीत को सरकारी सेलिब्रेशन बनाने के लिए व्यवस्था भी करनी होती है.
यही कारण है कि चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून को हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत के लिए लोग कर्नाटक सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जाहिर है कि यह सब राजनीतिक माइलेज लेने के चक्कर में हुआ. आखिर देश ने इससे पहले 17 बार और आईपीएल फाइनल में बहुत सी टीमों को ऐसे जीतते हुए देखा है. किसी भी राज्य की सरकार ने इसे अपनी जीत मानकर इस तरह प्रचारित नहीं किया कि जैसे आईपीएल की जीत उस पार्टी की सरकार की जीत है. इसलिए कांग्रेस से भी सवाल तो पूछे ही जाएंगे. कम से कम ये 4 सवाल तो मौजूं हैं ही.
1. रात भर के जश्न के बाद शाम को फिर से जश्न की जरूरत क्यों थी? क्या कुछ दिन बाद का प्रोग्राम नहीं बन सकता था?
3 जून 2025 को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की आईपीएल 2025 की ऐतिहासिक जीत के बाद बेंगलुरु में रात भर उत्सव का माहौल रहा. प्रशंसकों ने सड़कों पर, पबों में, और सोशल मीडिया पर जीत का जश्न जमकर मनाया. इसके बावजूद, कर्नाटक सरकार और आरसीबी प्रबंधन ने अगले दिन, 4 जून 2025 की शाम को चिन्नास्वामी स्टेडियम में एक और जश्न का आयोजन प्लान कर लिया. भगदड़ तो मचना ही था. सवाल उठता है कि रात भर के उत्सव के बाद तुरंत शाम को फिर जश्न की क्या जरूरत थी, और क्या इसे कुछ दिन बाद आयोजित नहीं किया जा सकता था?
दरअसल कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने आरसीबी की जीत को एक राजनीतिक अवसर के रूप में देखा. 2023 के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद, सरकार इस उत्सव को अपनी उपलब्धि से जोड़कर जनता के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाना चाहती थी. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने विधान सभा में सम्मान समारोह और स्टेडियम में जश्न की योजना बनाई ताकि इसे कर्नाटक की जीत के रूप में पेश किया जा सके. यह जल्दबाजी प्रचार और छवि चमकाने की रणनीति का हिस्सा थी.
जश्न कुछ दिन बाद आयोजित करना संभव था और त्रासदी को टाला जा सकता था. रात भर के उत्सव के बाद तुरंत आयोजन करने के बजाय, कुछ दिन बाद का कार्यक्रम बेहतर भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था, और समन्वय की सुविधा देता. सरकार और बेंगलुरु पुलिस को 2-3 लाख की भीड़ का अनुमान लगाने और पर्याप्त पुलिसकर्मी तैनात करने का भी समय मिलता. फ्री पास और विजय परेड की अफवाहों को स्पष्ट करने के लिए समय मिलता, जिससे भ्रम और अराजकता कम होती. सरकार और आरसीबी प्रबंधन सोशल मीडिया पर सटीक जानकारी प्रसारित कर सकते थे.
रात भर के जश्न के बाद तुरंत शाम को आयोजन की जल्दबाजी ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया. सिद्धारमैया का बयान कि 'महाकुंभ में भी भगदड़ हुई थी,' इस जल्दबाजी को सामान्य करने का असंवेदनशील प्रयास माना गया. जनता ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाया कि क्या सरकार को प्रचार से ज्यादा लोगों की जान की चिंता नहीं थी?
2. खेल में जीत सरकार की जीत कैसे हो सकती है
3 जून 2025 को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की आईपीएल 2025 की ऐतिहासिक जीत को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करने की कोशिश की. यह कदम, हालांकि, 4 जून को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ त्रासदी के बाद विवादास्पद बन गया. सवाल उठता है कि एक खेल की जीत, जो एक निजी फ्रेंचाइजी की उपलब्धि है, उसे सरकार अपनी जीत कैसे मान सकती है?
बेंगलुरु में आरसीबी का बड़ा प्रशंसक आधार और "Ee Sala Cup Namde" का नारा कर्नाटक की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इसे कर्नाटक की जीत के रूप में पेश कर अपनी सरकार को जनता के करीब लाने की कोशिश की. विधान सभा में सम्मान समारोह और जश्न की योजना इस रणनीति का हिस्सा थी.
डीके शिवकुमार ने सोशल मीडिया पर लिखा, "RCB की जीत कर्नाटक की भावना की जीत है. हमारी सरकार इस खुशी को हर घर तक पहुंचाएगी. यह प्रयास सरकार की छवि को सकारात्मक और उत्सवप्रिय दिखाने का था. नेताओं ने खिलाड़ियों के साथ फोटो सेशन और रील्स बनाकर अपनी व्यक्तिगत छवि को भी चमकाने की कोशिश की.
3. 12 घंटे रात में ड्यूटी करने वाले अधिकारी और पुलिस कैसे अगले दिन ड्यूटी किए होंगे?
जाहिर है कि थके अधिकारियों और कर्मचारियों ने ही ड्यूटी संभाली होगी. 11 लोगों की मौत पर कर्नाटक सरकार और पुलिस की तैयारियों पर सवाल खड़े हुए हैं. एक प्रमुख मुद्दा यह है कि 3 जून की रात को शहर में रात भर चले उत्सव की निगरानी के लिए तैनात पुलिस और अधिकारियों ने 12 घंटे की ड्यूटी की, और अगले दिन शाम को फिर ड्यूटी संभाली. थके हुए कर्मचारियों की तैनाती ने स्थिति को बिगाड़ने में भूमिका निभाई.
3 जून को आरसीबी की जीत के बाद बेंगलुरु में सड़कों और पबों में उत्सव चला. पुलिस ने यातायात, सुरक्षा, और कानून-व्यवस्था के लिए लगभग 5,000 कर्मचारियों को तैनात किया था. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कई कर्मचारी रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक ड्यूटी पर थे, जो 12 घंटे की कठिन शिफ्ट थी. इस दौरान भीड़ नियंत्रण और यातायात प्रबंधन जैसे तनावपूर्ण काम किए गए.
4 जून को स्टेडियम में जश्न के लिए वही थके हुए पुलिसकर्मी तैनात किए गए. पुलिस सूत्रों के अनुसार, कर्मचारियों की कमी के कारण रात की शिफ्ट वालों को दोबारा बुलाया गया. 2-3 लाख की भीड़ के लिए केवल 5,000 कर्मचारी अपर्याप्त थे. थकान के कारण पुलिसकर्मियों की प्रतिक्रिया धीमी रही, और जब बैरिकेड्स टूटे, वे भीड़ को नियंत्रित नहीं कर पाए. थके हुए कर्मचारियों की कार्यक्षमता कमजोर थी, जिससे समन्वय और आपातकालीन प्रतिक्रिया में कमी आई. पुलिस को मिले सीपीआर जैसे आपातकालीन प्रशिक्षण की कमी थी, और थकान ने इसे और बदतर किया. बीजेपी ने इसे प्रशासनिक लापरवाही करार दिया है.
4. देश 17 आईपीएल जीत को सेलिब्रेट कर चुका है, ऐसे हादसे क्यों नहीं हुए
भारत में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की 17 सीजन की जीत को पूरे देश ने उत्साह के साथ मनाया है, लेकिन 4 जून 2025 को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की आईपीएल 2025 की जीत के बाद कर्नाटक सरकार का उत्सव और दृष्टिकोण अन्य राज्यों की तुलना में अनूठा और अतिशयोक्तिपूर्ण रहा.
कर्नाटक सरकार ने आरसीबी की जीत को कर्नाटक की जीत के रूप में पेश किया. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने विधान सौधा में सम्मान समारोह और चिन्नास्वामी स्टेडियम में जश्न का आयोजन किया. सिद्धारमैया ने एक्स पर लिखा, यह कर्नाटक का गौरव है. Ee Sala Cup Namde का सपना साकार हुआ! यह उत्सव विधानसौधा जैसे सरकारी प्रतीक स्थल पर आयोजित किया गया, जो सामान्यतः खेल आयोजनों के लिए उपयोग नहीं होता. अन्य राज्यों, जैसे चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) या मुंबई इंडियंस (एमआई) की जीत के समय, सरकारों ने इतने बड़े पैमाने पर सरकारी संसाधनों का उपयोग नहीं किया.
डीके शिवकुमार ने व्यक्तिगत रूप से खिलाड़ियों को एयरपोर्ट पर स्वागत किया और विधानसौधा में सम्मानित किया. यह एक राजनीतिक रणनीति थी, जिसका उद्देश्य 2028 के चुनावों से पहले क्षेत्रीय गौरव को उभार कर फायदा उठाना था. तुलनात्मक रूप से, अन्य राज्यों में, जैसे महाराष्ट्र (एमआई) या तमिलनाडु (सीएसके), सरकारें जीत की बधाई देती हैं, लेकिन इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करने से बचती रही हैं. 2023 में सीएसके की जीत पर तमिलनाडु सरकार ने केवल बधाई संदेश जारी किया, बिना सरकारी आयोजन के.
संयम श्रीवास्तव