पाकिस्तान और भारत लंबे अरसे से एक-दूसरे के देश जाकर क्रिकेट मैच नहीं खेल रहे हैं. ऐसे में विश्वकप खेलने के लिए पाकिस्तान टीम का भारत आना बड़ी खबर थी. यह खबर और बड़ी सुर्खी तब बन गई, जब हैदराबाद एयरपोर्ट पर टीम के लैंड करने के बाद वहां जमा लोगों ने पाकिस्तान टीम, बाबर और शाहीन आफरीदी को चीयर किया. दोनों देशों में इन दृश्यों का जमकर विश्लेषण हुआ. दक्षिण एशिया में इसे क्रिकेट की दीवानगी के रूप में देखा गया. लेकिन, पाकिस्तान के टीवी शो में हिस्सा लेने आए वहां के पूर्व क्रिकेटर मुश्ताक अहमद हैदराबाद के दृश्यों को धार्मिक कट्टरपंथ की पिच पर ले गए.
मुश्ताक की बातों का विश्लेषण करने से पहले पाकिस्तान का भारत में विश्वकप का प्रोग्राम जानना दिलचस्प है. टीम अपने शुरुआती तीन मैच हैदराबाद में खेलेगी. जिसमें 3 अक्टूबर को ऑस्ट्रेलिया के साथ वॉर्मअप मैच शामिल है. फिर यहीं 6 अक्टूबर को नीदरलैंड्स और 10 अक्टूबर को श्रीलंका से विश्वकप मैच होगा. इसके बाद पाक टीम अहमदाबाद चली जाएगी, जहां उसका सामना भारत से होना है. हैदराबाद और अहमदाबाद में पाकिस्तान टीम को मिलने वाले सपोर्ट को लेकर मुश्ताक अहमद ने अलग ही रंग के कयास लगाए हैं.
पाकिस्तान के समा टेलीविजन पर प्रसारित एक शो में मुश्ताक अहमद के अलावा पाक महिला क्रिकेटर इरम जावेद भी मौजूद थीं. एंकर ने विश्वकप के लिए पाक टीम के भारत आगमन की खबर की भूमिका रखते हुए कहा कि जिस तरह हैदराबाद में पाक टीम का फैंस ने स्वागत किया है, वह इस खेल से जुड़ी सियासत को आईना दिखाता है. एंकर ने अपनी बात को मुश्ताक अहमद की ओर बढ़ाया कि हैदराबाद के दृश्य देखकर माना जा सकता है कि यह हमारे लिए अच्छा साइन है. तो इस पर बड़ी-बड़ी दाढ़ी बढ़ाए मुश्ताक ने कहा कि 'भारत के दो शहरों हैदराबाद और अहमदाबाद में मुसलमानों की तादाद बहुत ज्यादा है. इसलिए आप देखना कि एयरपोर्ट से लेकर बाहर सड़कों और होटल तक खड़े मिलेंगे. हमारे किसी नुमाइंदे, हमारे किसी ख्वाजा ने इसे कहीं कवर किया तो देखियेगा कि कैसे वहां ये लोग अपने हीरो का दीदार करने के लिए रात रातभर खड़े रहेंगे.
एक पॉडकास्ट शो में पाकिस्तान के तेज गेंदबाज राणा नावेद ने भी हैदराबाद-अहमदाबाद के क्रिकेट फैंस के बारे में कहा कि वे भी जब भारत में सीरीज़ खेलने गए थे तो वहां के मुसलमान क्राउड से उन्हें बड़ा सपोर्ट मिला था.
वैसे, पाकिस्तानी क्रिकेटरों की कट्टरपंथी बयानबाजी कोई नई बात नहीं है. अक्टूबर 2022 में पाकिस्तान ने भारत को जब पहली बार किसी विश्वकप के मुकाबले में हराया तो इससे अति-उत्साहित तेज़ गेंदबाज़ वकार युनूस ने अजीबोगरीब टिप्पणी की. मैच खत्म होने के बाद मैदान पर सिर झुकाकर प्रार्थना करते रिजवान अहमद को देखकर वकार ने कहा कि मुझे तो इस बात की खुशी है कि रिजवान ने मैदान में हिंदुओं के बीच नमाज़ पढ़ी. उस जीत को इमरान सरकार में मंत्री रहे शेख रशीद ने भारत-पाकिस्तान समेत दुनिया के मुसलमानों की जीत बताया.
दुनिया के बहुतायत देशों की क्रिकेट टीमें ईसाई धर्म को मानने वालों से बनी हैं. लेकिन, वे जहां जाते हैं वहां ईसाइयत की नुमाइश है, या उसे जीत-हार का मकसद नहीं बनाते. श्रीलंकाई टीम में ज्यादातर खिलाड़ी बौद्ध धर्म को मानते हैं, लेकिन इन खिलाडि़यों में भी धर्म का कोई दिखावा नहीं है. बस, पाकिस्तान दुनिया का अकेला मुल्क है, जो अपनी टीम के विदेश दौरों में मजहब की नुमाइश को इतना वैल्यू करता है.
आम लोगों का ऐसा चरम मजहबी झुकाव एक बार समझा जा सकता है. लेकिन, क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में पूरी दुनिया घूम चुके मुश्ताक अहमद और वकार युनूस जैसों का 'मजहबी' हो जाना अजीब है. खासतौर पर क्रिकेट फैंस में 'मुसलमान' ढूंढ निकालने की इनकी जहनियत को क्या ही कहा जाए!
चलते-चलते एक बात और. पाकिस्तानी टीम के ऑफिशियल X हैंडल से कल शाम एक संदेश जारी हुआ- 'विश्वकप में हिस्सा लेने आईं सभी 10 टीमों को भारत में गौमांस नहीं परोसा जा रहा है. लिहाजा प्रोटीन की भरपाई के लिए पाकिस्तान टीम अपनी खुराक बदल रही है.' खाने को लेकर ऐसी बेचारगी पाकिस्तान के अलावा किसी और टीम ने अब तक शेयर नहीं की है.
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