चिराग पासवान के लिए लड़ने-मरने की बात करने की नौबत क्यों आ गई?

बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद समझा जा रहा है कि चिराग सीट शेयरिंग से पहले ही एनडीए से नाराज हैं. जाहिर है कि ये अपनी बात मनवाने के लिए उनका उपक्रम भी हो सकता है. लेकिन, बिहार में विपक्ष यही चाहता है कि चिराग किसी तरह टूट कर उनके साथ आ जाएं. पर इससे लोजपा को हासिल क्या होगा?

Advertisement
चिराग पासवान के नाम पर हर दिन अटकलों का बाजार गर्म है. चिराग पासवान के नाम पर हर दिन अटकलों का बाजार गर्म है.

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 08 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

बिहार की राजनीति ही नहीं देश की राजनीति में जितने भी नेता पुत्र आज सक्रिय हैं उनमें सबसे शानदार शख्सियत का अगर सर्वे करवाया जाए तो केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान शायद नंबर एक पर रहेंगे. कई मायने में वो सचिन पायलट से भी आगे हैं. यह शानदार व्यक्तित्व शायद उन्हें अपने पिता से मिला पर फिल्म इंडस्ट्री के संघर्ष ने उसे और चमका दिया. बेहद संतुलित बातचीत, अपने विरोधियों के साथ भी सम्मानित ढंग से पेश आने वाले चिराग पासवान आज दूसरी पार्टियों के लोगों के बीच भी लोकप्रिय हैं. 

Advertisement

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद बिहार के इकलौते नेता हैं जिनके दोस्त हर पार्टी में हैं. इतना ही नहीं है आज की तारीख में नीतीश की तरह सभी पार्टियां उन्हें भी अपने साथ लेने के लिए उतावली हैं. बिहार की राजनीति को समझने वाले इस बात से इनकार नहीं करेंगे कि चिराग पासवान जिस भी पार्टी को अपना समर्थन दे दिया उसकी विधानसभा चुनावों में तकदीर बन सकती है. यही कारण है कि प्रशांत किशोर उन्हें जनसुराज में आने का खुला निमंत्रण दे रहे हैं. पर क्या चिराग पिछली बार की तरह एक बार गलती करने को तैयार हैं?

क्या यह चिराग पासवान का अप्रत्यक्ष इशारा है ?

दरअसल बुधवार को चिराग पासवान ने अपने पिता रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कुछ ऐसा कहा है जिसके बारे में किसी को अंदाजा नहीं था. उन्होंने X पर लिखा, पापा हमेशा कहा करते थे- जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत. जीना है तो मरना सीखो. कदम-कदम पर लड़ना सीखो. 

Advertisement

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं, लेकिन एनडीए गठबंधन (बीजेपी, जेडीयू, लोजपा-रामविलास आदि) में सीट बंटवारे पर विवाद उफान पर है. चिराग पासवान अपनी पार्टी लोजपा (रामविलास) के लिए 40 से अधिक सीटें मांग रहे हैं. समझा जा रहा है कि इसके चलते बातचीत अटक गई है.

नीतीश कुमार और बीजेपी के साथ तनाव बढ़ रहा है. इस पेच के बीच चिराग का यह पोस्ट राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है.यह एक अप्रत्यक्ष इशारा है कि वे अन्याय (कम सीटें मिलना) सहेंगे नहीं और हर कदम पर लड़ेंगे. कई मीडिया रिपोर्ट्स में इसे NDA के लिए चेतावनी के रूप में विश्लेषित किया गया है.

जाहिर है कि चिराग जिस तरह की बातें कर रहे हैं उससे यही लगता है कि उनके बारे में पिछले महीने से जो अटकलें लगाईं जा रही हैं वो सच साबित हो सकती हैं. जाहिर है कि उनके इस ट्वीट की वजह से आज की तारीख में जब बिहार विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग का टाइम एक महीने से भी कम रह गया है, राज्य में सबसे अधिक चर्चा चिराग की हो रही है. राज्य में विपक्ष को लगता है कि अगर चिराग को एनडीए से अलग कर दिया गया तो बीजेपी और जेडीयू के अंधेरा ही अंधेरा हो जाएगा. शायद यही कारण है कि प्रशांत किशोर उन्हें अपनी पार्टी में आने का न्योता दे रहे हैं. पर सवाल उठता है कि क्या चिराग ऐसा करेंगे?

Advertisement

क्या चिराग अपने पिता को फॉलो नहीं कर रहे हैं?

चिराग पासवान के इस ट्वीट को अगर चेतावनी भरा इशारा समझा जाए तो क्या उन्हें अपने पिता रामविलास पासवान की तरह राजनीतिक मौसम विज्ञानी भी समझा जाए? रामविलास पासवान को उनकी राजनीतिक चतुराई और बदलते राजनीतिक परिदृश्य में गठबंधन बनाने-बदलने की कला के चलते उन्हें राजनीतिक मौसम विज्ञानी मान लिया गया था. वे 6 अलग-अलग प्रधानमंत्रियों के साथ सरकार में रहे और हमेशा सत्ता के करीब रहे, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों. 

पर चिराग पासवान ने अपने पिता की तरह शायद बिल्कुल भी नहीं हैं. चिराग अपने पिता की तुलना में अधिक भावनात्मक और सिद्धांतवादी दिखते हैं. 2020 में नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत (बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट) और 2025 में सीट शेयरिंग पर अड़ियल रुख दिखाता है कि वे अपने पिता की तरह लचीले नहीं हैं. चिराग लड़ने मरने  की बात कर रहे हैं.

2020 विधानसभा चुनाव में चिराग ने NDA छोड़कर अकेले लड़ा, लेकिन केवल 1 सीट जीती, हालांकि 5.3% वोट शेयर था. यह दिखाता है कि उनकी रणनीति गठबंधन के बिना कमजोर रही, जो रामविलास की तरह सियासी मौसम भांपने की कमी के चलते हुआ.चिराग अपने पिता रामविलास की तरह सौदेबाजी में माहिर होने के बजाय बच्चों की तरह सब कुछ पाने या कुछ नहीं लेने की प्रवृत्ति रखते हैं.

Advertisement

चिराग के लिए कितना मुश्किल है एनडीए छोड़ना

हालांकि चिराग पासवान के लिए एनडीए छोड़ना निश्चित रूप से इतना आसान भी नहीं है. वे केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं. अगर वे गठबंधन छोड़ते हैं, तो न केवल मंत्री पद से हाथ धोना पड़ेगा, बल्कि राजनीतिक रूप से भी कई चुनौतियां सामने आएंगी. अब भी पासवान वोट बैंक (लगभग 5-6% पॉपुलेशन) मजबूत है, लेकिन बिना गठबंधन के बिखराव का खतरा है. कहा जा रहा है कि अगर एनडीए से बात बिगड़ती है, तो चिराग प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से हाथ मिला सकते हैं. 
लेकिन जन सुराज नई पार्टी है, और इसका कोई सिद्ध प्रदर्शन नहीं. अगर किसी तरह जनसुराज सत्ता में आ जाती है तो भी चिराग के लिए क्या मिल सकता है? चिराग खुद को सीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं, लेकिन जनसुराज में भी उनकी ये इच्छा पूरी होने वाली नहीं है.
चिराग ने खुद कहा है कि जब तक पीएम मोदी हैं, मैं एनडीए नहीं छोड़ूंगा.एनडीए में रहकर वे बिहार में भाई-भतीजावाद से ऊपर उठकर युवा लीडर के रूप में उभर रहे हैं. एनडीए छोड़ने से उनकी छवि गद्दार की बन सकती है, जो लंबे समय तक उन्हें नुकसान पहुंचाएगी. 8 अक्टूबर को पटना में एनडीए की अहम बैठक हो रही है, जहां फैसला हो सकता है.

Advertisement

चिराग कितनी सीटों पर एनडीए का खेल बिगाड़ सकते हैं?

चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) बिहार की 243 विधानसभा सीटों वाली राजनीति में एक महत्वपूर्ण फैक्टर हैं. खासकर दलित-पासवान वोट बैंक (लगभग 5-6% आबादी) के कारण। अगर वे एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) से अलग होकर अकेले लड़ते हैं या प्रशांत किशोर की जन सुराज से गठजोड़ करते हैं, तो वोट बंटवारा हो सकता है.  2020 में यह खासतौर पर जेडीयू के लिए नुकसानदेह रहा था. चूंकि चिराग ने नारा लगाया था कि मोदी तुझसे बैर नहीं ,पर नीतीश की खैर नहीं. पर शायद इस बार ऐसा न हो. 2020 में चिराग की बगावत ने नीतीश कुमार की पार्टी को कई सीटों पर दूसरे स्थान पर धकेल दिया था. जाहिर है कि ऐसा इस बार बीजेपी के साथ भी हो सकता है. 

पिछले विधानसभा चुनावों में लोजपा को सिर्फ 1 सीट मिली, लेकिन 5.3% वोट शेयर के साथ उन्होंने करीब 20-25 सीटों पर एनडीए के वोट कटे. जिसका फायदा आरजेडी को मिला था. पर इस बार यह संख्या ज्यादा हो सकती है. क्योंकि इस बार अगर चिराग एनडीए छोड़ते हैं तो  बीजेपी को भी टार्गेट करेंगे.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement