इंडिया गठबंधन और तीसरे मोर्चे से जुड़ी पार्टियों का जोर वैसे तो दलित-ओबीसी और मुस्लिम वोटर्स को रिझाने में रहा है. पर तेलंगाना में केसीआर की पार्टी बीआरएस और कांग्रेस में मुस्लिम वोटर्स को लेकर जो होड़ मची है वह खतरनाक लेवल पर जा रहा है.तेलंगाना जैसे राज्य में कांग्रेस और बीआरएस का मेनिफेस्टो मुस्लिम तुष्टिकरण से भी ऊपर की चीज हो गई है. विशेषकर बीआरएस ने मुस्लिम्स के लिए अलग आईटी पार्क और कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों के लिए अलग घोषणाकर के एक नया मुद्दा ही छेड़ दिया है. हो सकता है कि इन फैसलों का राजनीतिक दलों को कुछ तात्कालिक फायदा मिल जाए पर दूरगामी परिणाम इसके अच्छे नहीं होंगे. इस तरह के फैसले देश की सामाजिक समरसता हो या औद्योगिक विकास दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं.
मुस्लिम वोटरों को पलकों पर बैठाने को बेकरार कांग्रेस-BRS
तेलंगाना की जनसंख्या में मुस्लिम वोटर्स का परसेंटेज करीब 12.5 परसेंट है. देश के कई राज्यों में मुस्लिम जनसंख्या की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है पर जिस तरह का मुस्लिम तुष्टीकरण तेलंगाना में चल रहा है उस तरह का तुष्टिकरण राजनीतिक दलों द्वारा किसी भी प्रदेश में नहीं देखा जा रहा है. तेलंगाना कांग्रेस ने कहा है कि अगर वह 30 नवंबर के विधानसभा चुनावों में अगर विजयी होती है, तो सत्ता में आने के छह महीने के भीतर जाति जनगणना कराने के अलावा, अल्पसंख्यक कल्याण के लिए बजट को सालाना 4,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाएगी. गुरुवार को पार्टी ने "अल्पसंख्यक घोषणा" जारी किया. जिसमें कहा गया है कि पार्टी नौकरियों, शिक्षा और सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यकों सहित सभी पिछड़े वर्गों के लिए उचित आरक्षण सुनिश्चित करेगी. इसके अलावा कांग्रेस सरकार बनने पर बेरोजगार अल्पसंख्यक युवाओं और महिलाओं को हर साल 1000 करोड़ रुपये रियायती दर पर कर्ज उपलब्ध कराएगी.
पार्टी अब्दुल कलाम तौफा-ए-तालीम योजना के तहत मुस्लिम, ईसाई, सिख और अन्य अल्पसंख्यक युवाओं को एम.फिल और पीएचडी कार्यक्रम पूरा करने पर पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने, इमाम- मुअज्जिन- खादिम- पादरी और ग्रंथी सहित सभी धर्मों के पुजारियों के लिए 10,000 रुपये से 12,000 रुपये का मासिक मानदेय देने का वादा भी कर रही है. पार्टी ने उर्दू माध्यम के शिक्षकों के लिए विशेष भर्ती आयोजित करने का भी वादा किया है. बेघर अल्पसंख्यक समुदायों को घर बनाने के लिए जगह और 5 लाख रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे.अल्पसंख्यक समुदाय के नवविवाहित जोड़ों को 1.6 लाख रुपये शादी के बाद घर बसाने के लिए भी दिए जाएंगे.
बीआरएस की एक घोषणा से कांग्रेस हुई चित
महेश्वरम में शुक्रवार को चुनावी रैली में केसीआर ने मुस्लिम समुदाय के लिए ऐसी घोषणा कर दी कि कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है. पर केसीआर ने मुस्लिम समुदाय के लिए अलग आईटी पार्क बनाने का वादा करके बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है. बीजेपी इसे मुद्दा बनाएगी ही कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया है. केसीआर ने कहा कि अगर फिर से उनकी सरकार आती है तो वह हैदराबाद के पास पाहड़ी शरीफ में मुस्लिमों के लिए अलग से आईटी पार्क बनाएंगे. उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए उस पर मुस्लिमों को सिर्फ वोट बैंक समझने और उनके विकास के लिए कुछ भी नहीं करने का आरोप लगाया. बीआरएस चीफ ने दावा किया कि उनकी सरकार ने 10 साल के दौरान अल्पसंख्यकों के विकास के लिए 12000 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि कांग्रेस ने अपने 10 साल के शासनकाल में सिर्फ 2000 करोड़ रुपये ही खर्च किए.
मुस्लिम वोटों के लिए केसीआर अपनी सरकार में कई वेलफेयर स्कीम ला चुके हैं. शादी मुबारक योजना के तहत गरीब मुस्लिम परिवार को शादी में हुए खर्च के एवज में 1 लाख रुपये की मदद मिलती है. केसीआर ने सिर्फ मुस्लिमों के लिए 296 आवासीय स्कूल और कॉलेज खोले हैं. 2014 में केसीआर ने राज्य में मुस्लिमों के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था. 2017 में उनकी सरकार ने मुस्लिमों का आरक्षण बढ़ाने का बिल भी पास किया लेकिन वह लागू नहीं हो पाया. फिलहाल अभी मुस्लिमों को 4 प्रतिशत आरक्षण हासिल है.
40 सीटों पर मुस्लिम वोटर तय करते हैं हार जीत
तेलंगाना में विधानसभा की 119 सीटें हैं और सत्ता हासिल करने के लिए 60 सीटों की जरूरत होगी. तेलंगाना की करीब 29 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स की हिस्सेदारी 15 फीसदी से अधिक है. दूसरी ओर हैदराबाद की सात सीटों पर मुसलमानों की आबादी 50 फीसदी के करीब है और इन सीटों पर असुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएआईएम का कब्जा है. कुल मिलाकर 40 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. इस तरह बहुमत के आंकड़े को छूने के लिए मुस्लिम्स वोटर्स का समर्थन जरूरी हो जाता है.कांग्रेस, बीआरएस और एआईएआईएम तीनों ही मुस्लिम वोटों को पाने के लिए अपने घोड़े छोड़ रखे हैं. चूंकि एआईएआईएम केवल हैदराबाद (कुल 9 सीटों ) में ही अपने प्रत्याशियों को उम्मीदवारी बनाई है बाकी सीट पर उसका समर्थन बीआरएस को ही है. इसलिए निश्चित ही बीआरएस मुस्लिम वोटों की तगड़ी दावेदार. यही कारण है कि कांग्रेस और बीआरएस में मुस्लिम वोटों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. केसीआर ने मुसलमानों को रिझाने के लिए पहले ही अपनी सरकार में डिप्टी सीएम और गृह मंत्री का पद एक मुस्लिम नेता महमूद अली को दिया हुआ है. महमूद अली का दावा है कि 2014 के बाद से तेलंगाना में सांप्रदायिक हिंसा या दंगों की कोई घटना नहीं हुई है. 2014 और 2018 में तेलंगाना विधानसभा में 8 अल्पसंख्यक विधायक थे. दोनों बार एआईएमआईएम से 7 और बीआरएस से 1 विधायक चुने गए.
हिंदुत्व के लिए कितनी गुंजाइश है तेलंगाना में
2014 के लोकसभा चुनाव में अविभाजित आंध्र प्रदेश में तेलगुदेशम पार्टी को 16, बीआरएस (तत्कालीन नाम टीआरएस) को 11, जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी को नौ सीटें मिली थीं. 42 लोकसभा सीटों वाले आंध्रप्रदेश में भाजपा को केवल तीन सीटों पर सफलता मिली थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने चार सीटें जीतकर अपने दक्षिण विजय की नींव रख दी थी. मुसलमानों की सबसे बड़ी हितैशी बनने वाली पार्टी ओवैसी की पार्टी को यहां केवल एक सीट पर सफलता मिली थी.
दरअसल बीजेपी को दूसरे राज्यों की तरह यहां भी धार्मिक ध्रुवीकरण का ही लाभ हुआ था. जिसे बीजेपी और बढ़ाने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ रही है. गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश के दौरे पर बार-बार यह वादा किया है कि अगर बीजेपी सरकार में आती है तो वह मुस्लिम समुदाय को दिया जा रहा 4 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर देगी.बीजेपी अगर प्रदेश की जनता को यह समझाने में सफल होती है कि प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और बीआरएस किस तरह मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए समाज का बांटने का काम कर रही हैं. तो यह बीजेपी के लिए चुनावों में बढ़त हासिल कराने वाला होगा.
मुस्लिम युवाओं के लिए अलग आईटी पार्क का वादा करने पीएम मोदी ने हैदराबाद ने कहा कि अब देश में धर्म के आधार पर आईटी पार्क स्थापित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि एक ओर केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ‘फूड पार्क’ और ‘टेक्सटाइल पार्क’ स्थापित कर रही है, वहीं बीआरएस और कांग्रेस का तुष्टिकरण एक अलग स्तर पर चल रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘बीआरएस प्रौद्योगिकी में भी तुष्टिकरण लेकर आई है. क्या यह भारत के संविधान का सम्मान है? क्या यह बाबासाहेब आंबेडकर की भावना का सम्मान है.’’
हालांकि केसीआर हिंदुत्व कार्ड पर भी भाजपा से कमजोर नहीं हैं. राज्य में उन्होंने 1800 करोड़ रुपये लगाकर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया है, तो स्वयं परंपरागत हिंदू की तरह जीवन जीते हैं,आदिवासियों और श्रमिकों के बीच उनकी अच्छी पकड़ है.
बीजेपी को तेलंगाना से ज्यादा देश में काम आएगा यह मुद्दा
केसीआर ने मुस्लिम समुदाय के लिए अलग आईटी पार्क बनाने की मांग कर बीजेपी के लिए एक बहुत बड़ा मौका दे दिया है. बीजेपी इसे तेलंगाना के इसी विधानसभा चुनावों में मुद्दा बनाने की कोशिश करेगी. फिलहाल अगर आईटी पार्क बनाने का वादा होता है तो यह निश्चित है कि आने वाले दिनों में मुस्लिम समुदाय के लिए अलग सोसायटीज बनाने की मांग भी होगी. कुछ साल पहले एक बिल्डर ने मुस्लिम समुदाय के लिए अलग सोसायटी का प्रोजेक्ट लॉन्च किया जो विवादों का भेंट चढ़ने के बाद बंद करना पड़ा था. अगर केसीआर मुस्लिम समुदाय के लिए अलग आईटी पार्क का प्रोजेक्ट की शुरूआत कर देते हैं तो वह दिन दूर नहीं है जब मुस्लिम्स के लिए अलग रेजिडेंशल सोसायटीज की भी बातें होंगी. जो आगे चलकर अलग हॉस्पिटल , स्कूल-कॉलेज से लेकर फैक्ट्रीज और इंडस्ट्रीज तक पहुंचेगा. इस तरह बीजेपी को हिंदुओं के वोट को एकजुट करने के लिए बैठे-बिठाये बढ़िया मुद्दा मिल जाएगा.
संयम श्रीवास्तव