रविवार का दिन होने के चलते कल का दिन आम दिनों से अधिक बिजी था. इस बीच खबर मिलती है कि ऑस्ट्रेलिया में यहूदी उत्सव मना रहे कुछ लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग की गई है, जिससे करीब 15 लोगों की जान चली गई है. कुछ देर बाद पता चलता है यह फायरिंग सिडनी के बॉन्डी बीच पर हुई है जहां यहूदियों का कोई समारोह चल रहा था. हमलावर पाकिस्तान के रहने वाले हैं.
यह इन्फर्मेंशन मिलते ही मेरे जेहन में 2018 का सिडनी और बॉन्डी बीच सामने आ गया. दरअसल यह हमला सिडनी के बॉन्डी बीच पर यहूदियों के हनुक्का उत्सव के दौरान हुआ. दो बंदूकधारियों की गोलीबारी में करीब 15 लोग मारे गए, जिनमें एक बच्चा भी था, और दर्जनों घायल हुए. पाकिस्तानी मूल के हमलावर पिता साजिद अकरम और बेटा नावेद अकरम कथित रूप से आईएसआईएस से प्रेरित थे. यह ऑस्ट्रेलिया का अब तक का सबसे घातक आतंकवादी हमला बताया गया.
मेरे दिमाग में आज से ठीक आठ साल पहले की बॉन्डी बीच यादें ताजा हो गईं. मई 2018 के अंतिम सप्ताह में, जब मैं और मेरी वाइफ बॉन्डी बीच पर घूमने गए हुए थे. मुझे ठीक से याद नहीं, लेकिन हम फेरी से पहुंचे थे, सर्कुलर क्वे से वॉटसन्स बे या रोज बे तक फेरी लेकर. मुझे याद है कि बॉन्डी बीच शांति मेरे लिए अचंभित करने वाली थी. क्योंकि अभी तक मैं जितने भी पब्लिक बीच पर गया वह जगह शोर-शराबा और भीड़ से लबालब रही थी .
2018 में, मैं ऑस्ट्रेलिया में एक कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में गया था. सिडनी पहुंचा तो दोस्तों ने कहा कि बॉन्डी बीच जरूर देखो. प्रसिद्ध अमेरिकी सीरीज बेवॉच की शूटिंग इसी बीच पर हुई थी. कारण जो भी हो इस बीच को यहां ऑस्ट्रेलिया में न्यूड बीच के नाम से ही जाना जाता है. हालांकि दिल्ली के लोधी गार्डन में घूमने वालों जिस तरह आप जोड़ों को देखकर शर्मिंदा हो जाते हैं वैसा यहां कुछ भी नहीं था. यह केवल न्यूड बीच पर ही नहीं में 15 दिन के ऑस्ट्रेलिया प्रवास में मुझे कभी भी शर्मिंदगी की नौबत नहीं आई. बल्कि कई बार ऐसा लगा कि मेरे देश में ऑस्ट्रेलिया के मुकाबवे अब खुलापन कुछ ज्यादा ही है
फिलहाल सिडनी में ओपेरा हाउस और हॉर्बर ब्रिज के बाद सैलानियों के बीच सबसे अधिक आकर्षण इस बीच का ही रहता है. मई का अंतिम सप्ताह चल रहा था ऑस्ट्रेलिया में कड़ाके की सर्दी की शुरुआत हो चुकी थी. तेज चलती बर्फीली हवाओं के बीच हम बॉन्डी बीच पहुंचते हैं. सूरज के अस्त होने में अब केवल एक घंटे ही बचे थे. बीच पर ठंड के चलते वैसे ही भीड़ नहीं के बराबर है, पर रेस्त्रां फुल पैक्ड दिख रहे थे. तापमान 10 डिग्री के आसपास. भारत से आए हम दोनों के लिए यह नया अनुभव था. हमने मोटे जैकेट पहने हुए थे. फेरी से हार्बर के खूबसूरत नजारे देखते हुए हम वॉटसन्स बे पहुंचे. बीच पर कदम रखते ही ठंडी हवा ने झकझोर दिया. लहरें तेज थीं, रेत सफेद, लेकिन सूरज कमजोर.
पर्यटक कम थे.लेकिन लहरों से अठखेलियां करने के लिए बहुत से लोग अभी समुद्र की ओर सर्फ बोर्ड लेकर मूव कर रहे थे. कुछ वापसी भी कर रहे थे. मेरी वाइफ और मैं बीच पर घूमे, बॉन्डी पैविलियन के पास बैठे. हमने किसी रेस्त्रां में बैठने की बजाए मशीन से कॉफी ली और कुछ देर यूं ही इधर उधर बैठकर आम लोगों से बात करने की कोशिश की. पर लोकल कोई भी नहीं मिला. सभी दूसरे देशों से आए टूरिस्ट ही थे. मैं बार-बार यह जानने का प्रयास करता रहा कि आखिर यह जगह दुनिया की सबसे मशहूर बीचों में से क्यों है.
दरअसल मैंने पढ़ रखा था कि बॉन्डी सिर्फ समुद्र तट नहीं, एक संस्कृति है—सर्फिंग, लाइफगार्ड्स, और बहुसांस्कृतिकता का प्रतीक. बॉन्डी की फेम दुनिया भर में मशहूर टीवी सीरीज की वजह से भी है. अमेरिकी सीरीज बेवॉच (Baywatch) ने लाइफगार्ड्स की इमेज बनाई, लेकिन असली फेम ऑस्ट्रेलियन रियलिटी शो बॉन्डी रेस्क्यू से आया, जो बॉन्डी के लाइफगार्ड्स की रोजाना की जिंदगी और रेस्क्यू दिखाता है. इसे रियल लाइफ बेवॉच कहा जाता है. हमने वहां सर्फर्स को देखा, जो ठंडे पानी में डुबकी लगा रहे थे. हमने फोटो खींचीं, सूर्यास्त देखा. मैं बार-बार यह सोचता रहा कि इस खूबसूरत बीच पर कभी गर्मियों में आऊंगा और खूब मस्ती करूंगा.पर शायद अब यह बीच इतना सुरक्षित नहीं रहा.
ऑस्ट्रेलिया जाने के पहले मैंने ये पढ़ा था कि इस देश में नस्लवादी घटनाएं बहुत होती हैं. पर सिडनी प्रवास के दौरान मैंने महसूस किया ऐसा कुछ भी नहीं है. दिल्ली में आज से 25 साल पहले जितना संघर्ष मुझे पूर्व यूपी की टोन होने के चलते झेलनी पड़ी वो तो हद ही थी. अपने ही देश में बिहारी कहा जाना काफी हद तक गाली के समान ही था. सिडनी की आबादी में ज्यूइश, मुस्लिम, एशियन, सभी हैं.
सिडनी की डेमोग्राफी ऐसी है कि आपको महसूस नहीं होता कि हम बाहरी हैं. 5.3 मिलियन आबादी में 48% लोग विदेशी मूल के हैं. कई बार तो यहां ऐसा लगता है कि हम किसी दक्षिण एशायाई देश में पहुंच गए हैं. कोरोना काल के 2 साल पहले मास्क लगाए चाइनीज, कोरियन,जापानी और अन्य दक्षिण एशियायी लोगों की भरमार है सिडनी में है. पर कहीं से भी किसी भी तरह का भेदभाव कम से कम मुझे तो नहीं देखने को मिला.
कल की घटना कोई अपवाद नहीं है. इसके पहले अप्रैल 2024 में, पास के बॉन्डी जंक्शन वेस्टफील्ड शॉपिंग सेंटर में एक व्यक्ति ने चाकू से हमला किया और 6 लोग मारे गए. यह मानसिक बीमारी से जुड़ा था, लेकिन गाजा युद्ध के बाद एंटी-सेमिटिज्म बढ़ने के संदर्भ में देखा गया. अब 2025 की यह गोलीबारी, हनुक्का पर टारगेटेड अटैक. हमलावरों ने ज्यूइश सेलिब्रेशन को निशाना बनाया, जहां लोग मेनोराह जलाने का जश्न मना रहे थे.
एक हीरो भी उभरा—अहमद अल अहमद, मुस्लिम फ्रूट शॉप ओनर, जिसने हमलावर से बंदूक छीनने की कोशिश की और घायल हुआ. उसकी बहादुरी की तारीफ हो रही है. लेकिन यह कट्टरता की गहराई दिखाता है. कैसे कुछ लोग रेडिकलाइज होकर निर्दोषों पर हमला करते हैं. गाजा कॉन्फ्लिक्ट ने इसे भड़काया. यह मुझे इस्लामोफोबिया पर सोचने को मजबूर करता है.
बॉन्डी बीच पर अब खून से लथपथ लग रही है. इस घटना ने ऑस्ट्रेलिया के बारे में फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है. मुझे कट्टरता, इस्लामोफोबिया और मानवता पर सोचने को मजबूर कर दिया है. मेरा बॉन्डी जाने का प्लान अब जरूर बनेगा. मैं एक बार फिर बोंगी जाकर देखना चाहता हूं कि क्या वास्तव में सिडनी की वो शाम बदल चुकी है.
बॉन्डी पर कट्टरपंथ हावी हो चुका है. क्या अब वहां शांत समुद्र के किनारों पर जिस तरह हम अकेले घूम रहे थे अब नहीं घूम सकेंगे? हां , मैं एक बार फिर लहरों से उठती हुई ठंडी हवारों की नरमी को जांचना चाहता हूं. ठंडी शाम में फेरी से आते हुए, वाइफ के साथ वॉक करते हुए, मैंने सोचा था दुनिया कितनी खूबसूरत है. हमें कट्टरता के खिलाफ एकजुट होना होगा. बॉन्डी फिर शांति का प्रतीक बनेगा, मुझे यकीन है.
संयम श्रीवास्तव