अरविंद केजरीवाल अपने कैंपेन में जेल जाने का काउंटडाउन याद दिलाना नहीं भूल रहे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान वे INDIA गठबंधन का भी नाम भी याद रख कर लेते हैं, लेकिन कांग्रेस के प्रति उनका पुराना रवैया ही नजर आता है - तेवर जरूर पहले जैसे नहीं हैं, लेकिन इरादे तो बिलकुल पहले जैसे ही लगते हैं.
जेल जाने से पहले अरविंद केजरीवाल मौका देखते ही ये बताना शुरू कर देते थे कि 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुकाबले के लिए सिर्फ वो ही हैं, बाकी कोई नहीं है. इसका मतलब किसी और से नहीं बल्कि सिर्फ राहुल गांधी से ही हुआ करता था.
जेल से चुनाव कैंपेन में शामिल होने के लिए बाहर आते ही, अरविंद केजरीवाल से उनके प्रधानमंत्री बनने के इरादे को लेकर सवाल होता है तो साफ इनकार कर देते हैं, लेकिन बाद में घुमाफिरा कर ये भी जता देते हैं कि कांग्रेस उनको नजरअंदाज नहीं कर सकती.
प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिर्फ इतना ही कहते हैं, 'नहीं... मैं नहीं हूं.'
लेकिन उसके विस्तार में जो कहते हैं, समझने वाली बात उसमें है. अरविंद केजरीवाल का कहना है कि अगर विपक्षी गठबंधन सत्ता में आता है, तो वो ये सुनिश्चित करेंगे कि आम आदमी पार्टी की गारंटी पूरी जरूर हो. अरविंद केजरीवाल ने चुनावी वादे के तहत 10 गारंटी पेश की ही, जिसमें दिल्ली सरकार की योजनाओं पर मुख्य फोकस है.
एक प्रेस कांफ्रेंस में अरविंद केजरीवाल देश के वोटर को समझाते भी हैं, लोगों को ‘मोदी की गारंटी' और ‘केजरीवाल की गारंटी' के बीच चुनाव करना पड़ेगा - आखिर इस बात का क्या मतलब हुआ?
मोदी की गारंटी के साथ सिर्फ केजरीवाल की गारंटी का भी मुकाबला है? बाकी क्षेत्रीय दलों का नहीं है? कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी जो पहली सरकारी नौकरी पक्की, और केंद्र सरकार की नौकरियों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने जैसी बातें कर रहे हैं - उनका मोदी की गारंटी से कोई मुकाबला नहीं है?
1. कांग्रेस और कैजरीवाल साथ-साथ हैं भी या नहीं?
मीडिया से बातचीत में अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि केजरीवाल की गारंटी एक ब्रांड है. हालांकि, ये भी कहते हैं, मैंने इसके बारे में अपने इंडिया गठबंधन के साझेदारों से चर्चा नहीं की है - लेकिन ज्यादा जोर इस बात पर ही है, मैं इन गारंटी को पूरा करने के लिए अपने इंडिया गठबंधन के पार्टनर पर दबाव डालूंगा.
देखा जाये तो INDIA गठबंधन में कांग्रेस को छोड़कर बाकी सहयोगियों से अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक हित अभी सीधे सीधे नहीं टकरा रहे हैं, आगे की बात और है. और ये चीज अरविंद केजरीवाल की हर बात में नजर आती है.
राहुल गांधी और उनकी टीम का स्टैंड भले ही आम आदमी पार्टी के प्रति बहुत कुछ बदल गया हो, लेकिन अरविंद केजरीवाल का स्टैंड कांग्रेस के प्रति बिलकुल नहीं बदला है - अब उनके निशाने पर कांग्रेस करीब करीब वैसी ही है, जैसे रामलीला आंदोलन के समय था. 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले.
कांग्रेस के रुख पर ध्यान दें, तो रामलीला मैदान की रैली में सुनीता केजरीवाल को सबसे ज्यादा अहमियत दी गई थी. सुनीता केजरीवाल को सोनिया गांथी की बगल में बिठाया गया था - लेकिन अरविंद केजरीवाल के ताजा रूख को देखकर ऐसा तो नहीं लगता कि उनको ऐसी बातों से कोई फर्क पड़ा हो.
दिल्ली में भी अब तक आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग अलग और अपने हिस्से की लोकसभा सीटों पर कैंपेन करते रहे हैं. केजरीवाल को जमानत मिलने से ठीक पहले दोनों दलों के नेताओं की मीटिंग और संयुक्त कैंपेन की खबरें आ रही थीं - लेकिन जैसे ही सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत मंजूर हुई, पहले के सारे ही कार्यक्रम रद्द कर दिये गये.
और बाहर आते ही अरविंद केजरीवाल ने शुरुआत आपबीती सुनाने से की. तिहाड़ जेल में इंसुलिन न मिलने से लेकर जेल में डाले जाने के बीजेपी के इरादे तक गिनाये - और फिर अपना खेल शुरू कर दिया.
अरविंद केजरीवाल ने अपनी तरफ से 10 गारंटी कार्यक्रम जारी किया है. ये गारंटी विपक्षी गठबंधन INDIA की सरकार बनने की संभावनाओं को लेकर है. कहते हैं, विपक्ष की सरकार बनने पर वो आम आदमी पार्टी की गारंटी लागू करवाएंगे.
ये गारंटी कार्यक्रम दिल्ली में दी जाने वाली मुफ्त की सुविधाओं जैसे ही हैं. कुछ तो ऐसे हैं जिन पर कांग्रेस और विपक्ष भी सहमत लगते हैं, लेकिन पूरे देश में गरीबों को मुफ्त बिजली देने और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने जैसी चीजें ऐसी हैं जो कांग्रेस से टकराव का कारण बन सकती हैं - ये सब कांग्रेस के प्रति केजरीवाल के इरादे की झलक दिखाते हैं.
पहले की तरह अरविंद केजरीवाल ये तो नहीं कह रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर सिर्फ वही दे सकते हैं - लेकिन परोक्ष रूप से जताने की कोशिश तो बिलकुल यही लगती है.
2. INDIA ब्लॉक पर कितना असर होने वाला है
दिल्ली में कैंपेन शुरू करने के साथ ही अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि वो देश भर का दौरा करेंगे. अब तक संजय सिंह विपक्षी दलों के नेताओं, खासकर अखिलेश यादव के साथ प्रेस कांफ्रेंस करते रहे हैं. कन्नौज की रैली में भी गये थे, राहुल गांधी और अखिलेश यादव के सपोर्ट में.
अरविंद केजरीवाल का सबसे ज्यादा प्रभाव दिल्ली और पंजाब की राजनीति में है, जहां आम आदमी पार्टी की सरकारें भी हैं - लेकिन बाकी राज्यों में अरविंद केजरीवाल के बाहर आने से बहुत फर्क पड़ेगा ऐसी कम संभावना लगती है. ऐसे राज्यों में मुकाबला मोदी बनाम क्षेत्रीय दल ही लगता है.
वैसे तो अब तक इंडिया गठबंधन की दो रैलियों, रामलीला मैदान और रांची रैली, में सुनीता केजरीवाल शामिल हो चुकी हैं - सुनीता केजरीवाल के भाषण से केजरीवाल के प्रति सहानुभूति जग रही थी, केजरीवाल की मौजूदगी का कितना असर होगा, देखना बाकी है.
3. BJP को घेरने में तो जुटे ही हैं
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के निशाने पर सिर्फ बीजेपी है. वो बीजेपी में झगड़ा बढ़ाने की भी कोशिश कर रहे हैं, और समर्थकों में फूट डालने की भी.
मसलन, मोदी और योगी समर्थकों के बीच. केजरीवाल का दावा है, चूंकि मोदी 75 साल के होने जा रहे हैं, इसलिए वो अमित शाह को प्रधानमंत्री बनवाएंगे - और उसके फौरन बाद ही यूपी के मुख्यमंत्री पद से योगी आदित्यनाथ को हटा दिया जाएगा.
अरविंद केजरीवाल का ये दावा कितना असरदार रहा है, ये अमित शाह के मोर्चा संभालने से समझा जा सकता है. अमित शाह ने तत्काल बाद सामने आकर साफ किया कि बीजेपी सत्ता में लौटेगी और नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे.
दिल्ली और पंजाब के अलावा, हो सकता है अरविंद केजरीवाल के इस बयान का थोड़ा बहुत प्रभाव यूपी में भी हो, लेकिन देश के बाकी हिस्सों में भी कोई असर छोड़ पाएगा, लगता तो नहीं है.
क्योंकि गुजरात चुनाव में 5 सीटें जीतने के अलावा आम आम आदमी पार्टी को कहीं और कुछ भी नहीं मिला है.
4. AAP को जोश तो हाई है ही!
एक आशंका जताई जा रही थी कि अरविंद केजरीवाल को जेल में रहते जितनी सहानुभूति मिलती, बाहर आने पर खत्म हो सकती है - तस्वीर पूरी तरह तो 4 जून को नतीजे आने के बाद ही सामने आ सकेगी, लेकिन दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी का कुछ असर तो दिखाई देने ही लगा है. मीडिया से बातचीत में लोग अरविंद केजरीवाल की बात करते पाये जा रहे हैं.
सबसे बड़ी बात तो अरविंद केजरीवाल पूरे कैंपेन को नये सिरे से अपने हिसाब से चलाने लगे हैं. आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का जो अनाथ जैसा हाल हो गया था, उनके लिए अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी जोश बढ़ाने वाली है.
लेकिन केजरीवाल के लिहाज से सबसे बुरी खबर जो आ रही है, वो है दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास में मारपीट की घटना. दिल्ली पुलिस को मिली शिकायत के मुताबिक, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकीं राज्यसभा सांसद स्वाती मालीवाल का आरोप है कि मुख्यमंत्री की शह पर उनके साथ उनके पीए ने मारपीट की है.
मृगांक शेखर