क्रिकेट का इतिहास अक्सर उन खिलाड़ियों से बना है जिनकी ऊंचाई कम, लेकिन हौसला आसमान से भी ऊपर रहा है. टेम्बा बावुमा भी उसी विरले समूह के सदस्य हैं- कद में छोटे, पर दिल इतना बड़ा कि दबाव के सबसे भारी पलों में भी स्थिर रहता है. 5 फुट 4 इंच के इस क्रिकेटर ने दुनिया को सिखाया है कि कद शायद तालियों की गूंज नहीं तय करता, लेकिन हिम्मत से रिकॉर्ड लिखा जा सकता है.
रविवार को ईडन गार्डन्स में भारत के खिलाफ तीसरे दिन दक्षिण अफ्रीका जिस मोड़ पर खड़ा था, वहां साहस और सहजता दोनों की आवश्यकता थी और यही दो खूबियां कप्तान बावुमा की असली पहचान हैं.
भारत को जीत के लिए केवल 47 रन चाहिए थे, हाथ में 7 विकेट और सामने स्पिनर जिनके सामने दक्षिण अफ्रीका पहले ही लड़खड़ा चुका था. ऐसे तनावपूर्ण पलों में बावुमा ने एक ऐसा फैसला लिया, जिस पर शायद दुनिया का कोई और कप्तान दांव लगाने की हिम्मत न करता. उन्होंने केशव महाराज को गेंद थमा दी और खतरे की दिशा में गेंद घुमाने वाले इस बदलाव ने मैच का रुख बदल दिया.
चार गेंदों तक लगा कि यह निर्णय उलटा पड़ गया है. अक्षर पटेल के चौके–छक्कों ने दक्षिण अफ्रीका के दिल की धड़कन बढ़ा दी. लेकिन पांचवीं गेंद हवा में तैरते ही एक और कहानी लिखने को तैयार थी. बावुमा मिडविकेट से लगभग लॉन्ग-ऑन तक दौड़ पड़े और एक पल को लगा कि वह जरूरत से ज्यादा आगे निकल गए हैं. गेंद लगभग उनके पीछे जा चुकी थी, लेकिन पीछे मुड़कर देखते हुए उन्होंने... उनके ही शब्दों में कहें तो अपने “small hands” से वह कैच पकड़ लिया...मैच, मोमेंटम और विश्वास तीनों उसी एक पल में दक्षिण अफ्रीका की ओर लौट आए.
बल्लेबाजी में भी क्लास- ऐसी कि परिस्थितियां भी सम्मान दें
पहली पारी में सिर्फ 3 रन पर आउट होने के बाद बावुमा ने दूसरी पारी में 55* की ऐसी पारी खेली जो इस मैच का एकमात्र ‘पूर्ण’ टेम्पलेट बन गई. 136 में से 59 गेंदें सिर्फ डिफेंस में खेलना, अनिश्चित उछाल और तेज टर्न के बीच खुद को शांत रखना. यह वही कला है जो महान बल्लेबाजों की पहचान है.
... और फॉर्म का ग्राफ सिर्फ ऊपर ही चढ़ा है
फॉर्म इतनी स्थिर और चमकदार कि पिछले चार सालों से उनका ग्राफ सिर्फ ऊपर ही चढ़ा है. टेस्ट क्रिकेट में बावुमा का एवरेज हर साल बेहतर होता गया
- 2021: 53.60
- 2022: 40.07
- 2023: 50.40
- 2024: 55.88
- 2025: 60.50
एक बल्लेबाज, जो सिर्फ रन नहीं बनाता, वह टीम का धैर्य बन जाता है. कप्तानी, जहां बावुमा इतिहास के सबसे खास नामों में शामिल हो गए. बावुमा की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका ने 11 टेस्ट खेले, 10 जीते, 1 ड्रॉ कराया और एक भी मैच नहीं हारा. यह रिकॉर्ड ही बताता है कि इस छोटे कद वाले खिलाड़ी का प्रभाव कितना ऊंचा है.
कप्तानी के आंकड़े का तो जवाब नहीं
क्रिकेट इतिहास में, कप्तानी के पहले 10 टेस्ट में 9 जीत केवल इंग्लैंड के पर्सी चैपमैन के नाम थी, बावुमा ने यह बराबरी पहले ही कर ली थी और फिर अपने 11वें टेस्ट में 10वीं जीत लेकर उनसे आगे निकल गए.
और यह उपलब्धि तब और बड़ी हो जाती है जब आप याद करते हैं कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) फाइनल में ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम को हराकर खिताब भी दिलाया.
ईडन गार्डन्स में लगभग 40,000 दर्शकों की तालियां, वह कैच, वह पारी, वह कप्तानी- ये सब सिर्फ एक मैच की कहानी नहीं हैं. यह उस खिलाड़ी की यात्रा है, जिसने हर कदम पर दुनिया को अपनी मौजूदगी से प्रभावित किया.
ईडन की भीड़, जो आमतौर पर सिर्फ नीली जर्सी के लिए दहाड़ती है, बावुमा के पचास पर खड़ी होकर ताली बजा रही थी. यह किसी विदेशी खिलाड़ी के लिए सम्मान नहीं- एक स्वीकृति थी. दरअसल, यही वही मैदान था जहाँ 2023 वर्ल्ड कप में उन्हें आलोचनाओं का बोझ झेलना पड़ा था.अब वहीं भीड़ उन्हें सम्मान दे रही थी.
टेम्बा बावुमा- कद में भले छोटे, पर फॉर्म में विशाल और कप्तानी में उन विरले योद्धाओं में से एक, जिन्हें इतिहास लंबे समय तक याद रखेगा.
विश्व मोहन मिश्र