मध्य प्रदेश को 'शांति का टापू' कहा जाता है और दावा किया जाता है कि पुलिस कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अथक प्रयास करती है. राज्य सरकार भी अपराध कम करने का दावा करती रहती है. लेकिन हाल के महीनों में हुई कई घटनाओं ने जमीनी हकीकत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि कानून के रक्षक यानी पुलिसकर्मी अब खुद हमलों का निशाना बन रहे हैं. इन घटनाओं ने एक परेशान करने वाला सवाल उठाया है: क्या अब कानून के रखवालों को खुद सुरक्षा की जरूरत है?
दरअसल, पिछले कुछ महीनों में मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं. कई मामलों में पुलिसकर्मी घटनास्थल पर व्यवस्था बहाल करने पहुंचे, लेकिन उग्र भीड़ ने उन पर हमला कर दिया. यह रिपोर्ट कुछ ऐसी ही चौंकाने वाली घटनाओं को उजागर करती है, जहां कानून लागू करने वाले लोग जनता के गुस्से का शिकार बने.
केस 1: मऊगंज में पुलिस टीम पर जानलेवा हमला
मार्च में मऊगंज जिले के शाहपुर थाना इलाके के एक गांव में हिंसक घटना हुई. दो समूहों के बीच विवाद सुलझाने पहुंची पुलिस टीम पर आदिवासी समुदाय के लोगों ने अचानक लाठियों, पत्थरों और अन्य हथियारों से हमला कर दिया. स्थिति बेकाबू हो गई और पुलिसकर्मी घटनास्थल पर फंस गए. इस हमले में सहायक उपनिरीक्षक (ASI) रामचरण गौतम की मौत हो गई, जबकि थाना प्रभारी और कई अन्य पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए. मृतक एएसआई भोपाल की 25वीं बटालियन में तैनात थे और सतना के कोठी थाना इलाके के पवैया गांव के रहने वाले थे. उनकी रिटायरमेंट में केवल 8 महीने बचे थे. बाद में इलाके में स्थिरता लाने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया और हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई.
केस 2: गुना में पुलिस अधिकारी पर त्रिशूल से हमला
मई में गुना जिले में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान एक घटना हुई. पुलिस और प्रशासनिक टीम ने जैसे ही काम शुरू किया, एक बुजुर्ग व्यक्ति ने थाना प्रभारी सुरेश कुशवाहा पर त्रिशूल से अचानक हमला कर दिया, जिससे उनकी बांह में चोट आई. अतिक्रमण करने वाले लोग उग्र हो गए, लेकिन पुलिस ने समय रहते स्थिति को नियंत्रित कर लिया. हमलावर को बाद में हिरासत में लिया गया.
केस 3: सागर में वारंट तामील के दौरान पुलिस पर हमला
मार्च में सागर जिले के सुरखी क्षेत्र में दो लोगों के खिलाफ वारंट तामील करने गई पुलिस टीम पर हमला हुआ. स्थानीय लोगों से पूछताछ के दौरान पुरुषों और महिलाओं की एक उग्र भीड़ ने पुलिसकर्मियों को घेर लिया और उन पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. चार पुलिसकर्मी घायल हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. अतिरिक्त पुलिस बल के पहुंचने तक तनाव बना रहा. बाद में हमलावरों की तलाश के लिए पुलिस ने अभियान शुरू किया.
केस 4: सीहोर में कोर्ट मैरिज विवाद में पुलिस पर हमला
सिहोर जिले के इछावर में कोर्ट मैरिज से जुड़े विवाद में पुलिस हस्तक्षेप के दौरान एक घटना हुई. पुलिस टीम के पहुंचते ही स्थानीय लोग हिंसक हो गए. एक उपनिरीक्षक (SI) घायल हो गए, और अन्य पुलिसकर्मियों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा. विवाद तब शुरू हुआ जब कमलेश नामक व्यक्ति ने एक महिला से कोर्ट मैरिज की. महिला के परिवार को इसकी जानकारी मिलने पर वे गांव पहुंचे, जिसके बाद कमलेश और उसका परिवार फरार हो गया. परिवार की अनुपस्थिति में महिला के रिश्तेदारों ने उसके घर में तोड़फोड़ की. स्थिति नियंत्रित करने पहुंची पुलिस पर पांच लोगों ने हमला किया. हमलावरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई.
केस 5: इंदौर में वकीलों ने पुलिसकर्मियों पर किया हमला
मार्च में इंदौर में एक असामान्य घटना हुई, जिसमें वकीलों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया. होली के दौरान परदेशीपुरा में पानी के गुब्बारे फेंकने को लेकर शुरू हुआ विवाद वकीलों और एक अन्य पक्ष के बीच शारीरिक झड़प में बदल गया. अगले दिन वकीलों की भीड़ ने तुकोगंज पुलिस स्टेशन का घेराव किया. थाना प्रभारी जितेंद्र सिंह यादव को भीड़ ने दौड़ाया और उनकी वर्दी फाड़ दी. एसीपी विनोद दीक्षित पर भी हमला हुआ, और उनकी शर्ट के बटन तोड़ दिए गए. पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उन पर हमला किया. इस हिंसा के सिलसिले में तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई.
केस 6: शहडोल में डकैती के संदिग्ध को पकड़ने गई पुलिस पर पत्थरबाजी
शहडोल जिले में बुढ़ार पुलिस एक ज्वेलर पर गोलीबारी की घटना के संदिग्धों की तलाश में इरानी बस्ती पहुंची. उसी समय उत्तर प्रदेश की महाराजगंज पुलिस भी डकैती के मामले में वांछित यूसुफ अली को गिरफ्तार करने पहुंची. यूसुफ को हिरासत में लेने से इलाके में तनाव फैल गया. बुढ़ार पुलिस के कांस्टेबल, जिनमें एक महिला कांस्टेबल भी शामिल थीं, ने पैदल बस्ती में प्रवेश कर दूसरे संदिग्ध फिरोज अली के बारे में पूछताछ शुरू की. अचानक स्थानीय लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया. इस हमले में तीन पुलिसकर्मी, जिसमें महिला कांस्टेबल भी शामिल थीं, गंभीर रूप से घायल हो गए. बाद में 18 पहचाने गए लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
केस 7: श्योपुर में अवैध खनन माफिया ने राजस्थान पुलिस पर हमला
बीते गुरुवार को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में राजस्थान पुलिस पर हिंसक हमला हुआ. राजस्थान पुलिस अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई के लिए क्षेत्र में पहुंची थी, तभी खनन माफिया ने उन पर पत्थरों से हमला कर दिया. हमला इतना अचानक था कि पुलिस को प्रतिक्रिया देने का समय नहीं मिला. अपनी जान बचाने के लिए पुलिसकर्मियों को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी और पानी में उतरकर भागना पड़ा. यह घटना अंतरराज्यीय खनन माफिया की बढ़ती हिम्मत को दर्शाती है.
मामला 8: दमोह में अवैध हथियारों की तलाश में गई पुलिस पर हमला
दमोह जिले के ग्रामीण थाना इलाके के मराहर गांव में पुलिस 23 अपराधों के आरोपी कासिम खान की गिरफ्तारी के बाद अवैध हथियारों की तलाश में पहुंची थी. सूचना थी कि उसके पास हथियारों का जखीरा है. जबलपुर नाका चौकी के राजनगर क्षेत्र में हथियार बरामद करने पहुंची पुलिस टीम पर आरोपी ने गोलीबारी की. उसने लगातार दो गोलियां चलाईं, जिनमें से एक गोली थाना प्रभारी के हाथ में लगी. जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली आरोपी के पैर में लगी.
केस 9: रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर नशे में धुत युवकों ने पुलिसकर्मी को पीटा
बीते अप्रैल में भोपाल सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) के हेड कांस्टेबल और एक अन्य पुलिसकर्मी रात में गश्त पर थे. इस दौरान रानी कमलापति रेलवे स्टेशन परिसर में कुछ अज्ञात बदमाश कार में शराब पीते दिखे. पुलिसकर्मियों ने उन्हें सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने से रोका, जिसके बाद नशे में धुत हमलावरों ने हेड कांस्टेबल के साथ बहस शुरू कर दी. इससे पहले कि पुलिसकर्मी कुछ समझ पाते, हमलावरों ने उन पर हमला कर दिया और उनकी वर्दी फाड़ दी. पुलिस ने बताया कि हमलावरों ने जानबूझकर कांस्टेबल की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली बातें कही थीं. कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.
पूर्व DGP एनके त्रिपाठी की राय: सख्त कार्रवाई और ज्यादा पुलिस बल की जरूरत
aajtak ने पुलिसकर्मियों पर बढ़ते हमलों के बारे में रिटायर्ड डीजीपी एनके त्रिपाठी से बात की. त्रिपाठी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डीजीपी के रूप में रिटायर हुए और मध्य प्रदेश कैडर में गृह विभाग, खुफिया, प्रशासन, सीआईडी और परिवहन कमिश्नर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि समस्या का मूल कारण यह धारणा है कि पुलिस सामाजिक व्यवस्था से अलग है. उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मी लगातार खतरे में रहते हैं और इसे स्वीकार करना जरूरी है.
त्रिपाठी ने कहा, ''पुलिस पर हमले को अक्सर हल्के में लिया जाता है. इसके बजाय, औपचारिक एफआईआर दर्ज करनी चाहिए, मामला अदालत में ले जाना चाहिए और सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. इससे समाज में एक उदाहरण बनेगा कि पुलिसकर्मियों पर हमले की गंभीर परिणाम होंगे.''
उन्होंने ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में छोटी संख्या में पुलिसकर्मियों को भेजे जाने पर चिंता जताई, जहां वे अक्सर उग्र और हिंसक भीड़ का सामना करते हैं. उन्होंने बेहतर खुफिया जानकारी और तैयारी की जरूरत पर जोर दिया.
त्रिपाठी ने पुलिस बल की कमी को भी एक बड़ा मुद्दा बताया. उन्होंने कहा, “पुलिसकर्मियों की संख्या सीमित है, वे हर समय बड़ी संख्या में मौजूद नहीं हो सकते. मध्य प्रदेश में इस कमी को दूर करने की जरूरत है.” उन्होंने शहरी क्षेत्रों में भी अचानक भड़कने वाले तनावों पर त्वरित और सख्त कार्रवाई की वकालत की.
NCRB डेटा: पुलिसकर्मियों पर खतरा बढ़ा
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों पर हमले की घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं. 11 पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान हिंसक हमलों में घायल हुए, जबकि 19 पुलिस अधिकारियों ने अपनी जान गंवाई. यह आंकड़े पुलिसकर्मियों के सामने आने वाले गंभीर जोखिमों को दर्शाते हैं.
अमृतांशी जोशी