मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बहुचर्चित व्यापमं मामले में भोपाल स्थित सेंटर फॉर रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल स्टाफ परफॉरमेंस (CRISP) के पूर्व चेयरमैन सुधीर शर्मा के खिलाफ दर्ज सभी चार एफआईआर को रद्द कर दिया.
व्यापमं घोटाला राज्य में पूर्ववर्ती भाजपा सरकारों के दौरान मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश और सरकारी भर्तियों में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं से संबंधित है.
व्यापमं घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने CRISP के पूर्व अध्यक्ष शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया था. सुधीर शर्मा आरएसएस, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विज्ञान भारती में भी तमाम पदों पर रहे थे.
इसके बाद व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई (CBI) को सौंप दी गई, जिसने उनके खिलाफ सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2012, पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2012, संविदा शाला शिक्षक भर्ती ग्रुप-II परीक्षा 2011 और वन रक्षक भर्ती परीक्षा 2013 में अनियमितताओं के लिए मामला दर्ज किया.
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सुधीर शर्मा के खिलाफ चार मामले दर्ज किए और अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए चारों एफआईआर रद्द करने के आदेश जारी किए. विस्तृत आदेश का इंतजार है.
सुधीर शर्मा के वकील कपिल शर्मा ने खंडपीठ को बताया कि चारों मामलों में याचिकाकर्ता और किसी व्यक्ति के बीच किसी तरह के वित्तीय लेन-देन का कोई सबूत नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि सीबीआई की ओर से पेश किए गए आरोपपत्र में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि याचिकाकर्ता ने किसी तरह का वित्तीय लाभ उठाया है.
वकील ने अदालत से कहा, "चूंकि वित्तीय लाभ लेने का कोई सबूत नहीं मिला है, इसलिए याचिकाकर्ता को मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता. इसलिए दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने योग्य है." मामले में सबूतों के अभाव में अदालत ने चारों मामलों में एफआईआर रद्द करने के आदेश जारी किए हैं.
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