8 साल पहले हादसे में हो चुकी मौत, लेकिन राशन लेने आज भी आती है 'आत्मा', PDS मशीन में बाकायदा लगता है अंगूठा!

सचमुच एमपी का सरकारी सिस्टम गजब है... जहां जिंदा व्यक्ति राशन के लिए भटक रहा है और 'भूत' पिछले आठ साल से राशन उठा रहा है. हैरान- परेशान करने वाली घटना मध्य प्रदेश के सतना जिले के टिकुरी अकौना गांव की है.

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PDS मशीन में अंगूठा लगाकर राशन उठा रहे मृतक. PDS मशीन में अंगूठा लगाकर राशन उठा रहे मृतक.

वेंकटेश द्विवेदी

  • सतना ,
  • 22 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:19 PM IST

MP News: मध्य प्रदेश के टिकुरी अकौना गांव में कुछ अजीब हो रहा है. आठ साल पहले मृत व्यक्ति की आत्मा कथित तौर पर गांव के कोटे से राशन ले रही है. यह आत्मा बकायदा पीडीएस मशीन में अंगूठा लगाकर अपने हिस्से का राशन ले जाती है. यह आत्मा बलवंत सिंह की है, जो आठ साल पहले एक हादसे में मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन राशन लेने के लिए उनका नाम आज भी राशन कार्ड में दर्ज है. साक्ष्य मिलने के बाद गांव की महिला सरपंच श्रद्धा सिंह ने इसकी शिकायत तहसीलदार से की, लेकिन कोटर तहसीलदार ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद उन्होंने सीएम हेल्पलाइन का सहारा लिया.  

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जांच हुई तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है. यहां 8 साल पहले मृत बलवंत सिंह के नाम पर आज भी राशन कार्ड से राशन उठाया जा रहा है, जबकि जिंदा शंकर आदिवासी को 2017 में मृत घोषित कर राशन सहित सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया. यह मामला तब उजागर हुआ, जब गांव की महिला सरपंच श्रद्धा सिंह ने जिंदा व्यक्ति को राशन दिलाने की कोशिश की और मृतक के नाम पर राशन वितरण का खुलासा हुआ.

बलवंत सिंह की 8 साल पहले एक हादसे में मौत हो चुकी है, लेकिन उनका नाम राशन कार्ड पोर्टल से नहीं हटाया गया. फूड इंस्पेक्टर ब्रजेश पांडेय ने बताया कि शुरुआती जांच में पाया गया कि बलवंत सिंह का नाम समग्र पोर्टल से हटाया गया था, लेकिन राशन पोर्टल पर उनका नाम बरकरार रहा. उनके परिवार के अन्य सदस्य, धर्मेंद्र सिंह और प्रदीप सिंह, उनके नाम पर अंगूठा लगाकर राशन ले रहे थे. परिवार के 8 सदस्यों के नाम पर राशन वितरित हो रहा था. शिकायत के बाद खाद्य विभाग ने बलवंत सिंह का नाम राशन पोर्टल से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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वहीं, शंकर आदिवासी को 2017 में मृत घोषित कर दिया गया था. जैसे-तैसे उन्होंने खुद को जिंदा साबित किया, लेकिन राशन और अन्य सरकारी सुविधाओं से आज भी वंचित हैं. फूड इंस्पेक्टर ने बताया कि पात्रता और अपात्रता की जांच पंचायत स्तर पर होती है और पंचायत सचिव को राशन मित्र पोर्टल के जरिए नाम विलोपन की प्रक्रिया पूरी करने की जिम्मेदारी दी गई है. शंकर आदिवासी का नाम भी जल्द अपडेट कर लिया जाएगा.

गांव के पंच और सरपंच पति अनुराग सिंह ने इस भ्रष्टाचार पर हैरानी जताते हुए कहा कि जिंदा लोग राशन के लिए भटक रहे हैं, जबकि मृतक के नाम पर राशन उठाया जा रहा है. उन्होंने तहसीलदार से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर सीएम हेल्पलाइन का सहारा लिया. कोटर तहसील के सेल्समैन शिव कुमार गौतम ने इस मामले से अनभिज्ञता जताई और कहा कि अब नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

यह मामला पीडीएस में भ्रष्टाचार की काली छाया को उजागर करता है. भारत सरकार की मंशा हर गरीब को पर्याप्त राशन देने की है, जहां गरीबी रेखा से नीचे वालों को 35 किलो और उससे ऊपर वालों को 15 किलो राशन प्रति माह मिलता है. लेकिन टिकुरी अकौना जैसे हालात व्यवस्था की खामियों को दर्शाते हैं, जहां जिंदा लोग राशन के लिए तरस रहे हैं और मृतकों के नाम पर राशन का दुरुपयोग हो रहा है.

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