मध्य प्रदेश के राजगढ़ में बंदर की मौत के बाद बैंड-बाजे के साथ मृत्यु भोज किया गया. इस भोज में करीब 35 KM तक दूर गांव से लोग शामिल हुए और करीब 5 हजार लोगों ने खाना खाया. यह बंदर की मौत से दुखी ग्रामीणों ने चंदा कर इस मृत्यु भोज का आयोजन किया. इसके लिए ग्रामीणों ने आसपास के करीब सैकड़ों गांव सहित अपने रिश्तेदारों को फोन पर निमंत्रण देकर इस आयोजन में बुलाया था .
खिलचीपुर के दरावरी गांव में बंदर का अंतिम संस्कार भी डीजे की धुन के साथ अंतिम यात्रा निकालकर किया गया था. ग्याहरवें दिन सोमवार को गांव के पटेल बिरम सिंह सौंधिया खुद पांच पंचों के साथ अस्थियां लेकर उज्जैन गए और विधि विधान से बंदर की अस्थियों को शिप्रा में विसर्जित किया गया. पटेल ने बंदर के लिए अपनी दाढ़ी भी बनवाकर परिवार के सदस्य की तरह ग्यारहवीं का कार्यक्रम संपन्न किया. ग्रामीणों का मानना है कि बंदर हनुमानजी का ही रूप हैं.
ग्रामीणों ने चंदा करके मृत्यु भोज कराया. इस आयोजन के लिए 35 KM दूर तक के गांवों में निमंत्रण दिया. गांव के बाहर खुले परिसर में मृत्यु भोज का आयोजन किया गया. जहां खाने में नुक्ती, सेव, पूड़ी और कढ़ी बनी. 5 हजार से ज्यादा लोगों ने खाना खाया. इस दौरान जहां भोजन चल रहा था, वहां बैंड बाजे बुलवाए गए थे, जिस पर हनुमान जी के भजन चल रहे थे .
हरि सिंह दिलावरी ने बताया कि 7 नवंबर को बंदर की मौत हो गई थी. बंदर सुबह जंगल की ओर से गांव में आ गया था. वह उछल-कूद कर रहा था . तभी वह गांव के बाहर से निकल रही हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया और घायल होकर नीचे गिर पड़ा. गांववालों ने उसे भोजन पानी दिया . लेकिन कुछ देर बाद उसने दम तोड़ दिया .
बैंड-बाजे के साथ निकाली गई थी अंतिम यात्रा
8 नवंबर को पूरा गांव मंदिर के पास इकट्ठा हुआ. यहां बंदर के लिए डोल बनाकर अर्थी सजाई गई. इसके बाद अंतिम यात्रा मुक्तिधाम के लिए रवाना हुई. देखें Video:-
आगे डीजे चला, वहीं पीछे गांव के लोग अंतिम यात्रा को पूरे गांव से होते हुए मुक्तिधाम तक पहुंचे. जहां शान्ति धाम में विधि-विधान से बंदर का अंतिम संस्कार किया गया था.
पंकज शर्मा