भोपाल में 6 साल की बच्ची के लापता होने पर NHRC सख्त, MP सरकार और डीजीपी को नोटिस जारी

NHRC ने बताया कि यह सिर्फ एक लापता होने का मामला नहीं है, बल्कि मध्य प्रदेश पुलिस के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन साल में राज्य में 3400 से अधिक महिलाएं और लड़कियां लापता हुई हैं.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर) (प्रतीकात्मक तस्वीर)

aajtak.in

  • भोपाल ,
  • 02 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:50 PM IST

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्य प्रदेश सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी करते हुए भोपाल में एक 6 साल की बच्ची के लापता होने के मामले में जवाब मांगा है. बच्ची के गायब होने के 18 दिन बाद भी पुलिस कोई ठोस सुराग नहीं ढूंढ पाई है, जिसके बाद आयोग ने यह कदम उठाया है. एनएचआरसी ने इस मामले को मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा करार दिया है.

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एनएचआरसी ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें भोपाल के कोह-ए-फिजा इलाके में एक अंडरब्रिज से बच्ची के लापता होने की बात सामने आई थी. 

रिपोर्ट के मुताबिक, बच्ची के गायब होने के 18 दिन बाद भी पुलिस के पास इस मामले में कोई जवाब नहीं है. आयोग ने बताया कि यह सिर्फ एक लापता होने का मामला नहीं है, बल्कि मध्य प्रदेश पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन साल में राज्य में 3400 से अधिक महिलाएं और लड़कियां लापता हुई हैं.

आयोग ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि राज्य में सीसीटीवी नेटवर्क ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्विक रिस्पॉन्स टीम) कार्रवाई में निष्क्रिय हैं और विभिन्न पुलिस इकाइयों के बीच समन्वय की कमी है. इसके अलावा, लापता लड़कियों को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए पिछले साल शुरू किए गए 'ऑपरेशन मुस्कान' अभियान का भी कोई ठोस परिणाम नहीं दिखा है, जैसा कि 25 अप्रैल को प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था.

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बयान के अनुसार, लापता बच्ची की मां बेघर है और उसके आठ बच्चे हैं. उसने अपनी बेटी के लापता होने में एक रिश्तेदार की संलिप्तता का संदेह जताया है, लेकिन उसका आरोप है कि पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है. इस मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है. 

एनएचआरसी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. आयोग ने कहा कि यदि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री सत्य है, तो यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मामला है, जिस पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है.

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