एमपी: बीजेपी के मंत्री इंदर सिंह परमार ने मांगी माफी, राजा राम मोहन राय पर दिया था विवादित बयान

मध्य प्रदेश मंत्री इंदर सिंह परमार ने एक कार्यक्रम में राजा राम मोहन राय को “ब्रिटिश एजेंट” कह दिया, जिसके बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. हालांकि, मामले पर विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए माफी मांगी है.

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एमपी मंत्री के विवादित बयान पर देशभर में नाराज़गी बढ़ी (File Photo: ITG) एमपी मंत्री के विवादित बयान पर देशभर में नाराज़गी बढ़ी (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST

मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री और बीजेपी नेता इंदर सिंह परमार ने एक बयान दिया, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. उन्होंने समाज सुधारक राजा राम मोहन राय को “ब्रिटिश एजेंट” कहा और आरोप लगाया कि उन्होंने धर्म परिवर्तन का “खतरनाक सिलसिला” शुरू किया. इस बयान पर खूब आलोचना हुई, खासकर पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा कि यह बंगाल का अपमान है.

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आलोचना बढ़ने पर मंत्री ने रविवार को माफी मांग ली. उन्होंने कहा, “ये बात जुबान से गलती से निकल गई थी.”

विवाद कैसे शुरू हुआ?

यह विवाद उस वक्त उठा जब बीजेपी ने बिहार चुनाव जीतने के बाद अब पश्चिम बंगाल पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.

हाल ही में बंगाल में रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को लेकर भी बीजेपी और टीएमसी के बीच टकराव देखा गया था.

इंदर सिंह परमार ने ये विवादित बयान आगर मालवा जिले में बिरसा मुंडा की जयंती पर दिए एक कार्यक्रम में दिया था. उन्होंने कहा, “राजा राम मोहन राय ब्रिटिशों के एजेंट थे. उन्होंने देश में उनके ‘दलाल’ की तरह काम किया और धर्मांतरण की बुरी परंपरा शुरू की.”

मंत्री ने आगे कहा था कि अंग्रेजों ने कई “नकली समाज सुधारकों” को बढ़ावा दिया जो धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देते थे. उनके मुताबिक, “अगर किसी ने इसे रोकने और आदिवासियों की सुरक्षा की हिम्मत दिखाई, तो वो बिरसा मुंडा थे.”

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उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के वक्त मिशनरी स्कूल ही एकमात्र स्कूल होते थे, जिनसे शिक्षा के नाम पर धर्म परिवर्तन कराया जाता था. परमार के मुताबिक बिरसा मुंडा ने ये बात समझी, मिशनरी पढ़ाई छोड़ दी और अपने समाज के हक और ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

बंगाल में टीएमसी का पलटवार

कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मंत्री शशि पांजा ने कहा कि यह बयान दिखाता है कि बीजेपी बंगाल के बुद्धिजीवियों को नीचा दिखाना चाहती है. उन्होंने कहा, “देश की महिलाएं जानती हैं कि सती प्रथा को खत्म करने में राजा राम मोहन राय का बहुत बड़ा योगदान था. अगर बीजेपी खुद का नुकसान करना चाहती है तो करे, लेकिन बंगाल का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”

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समाजवादी पार्टी और एनएसयूआई का आरोप

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता यश भारती ने कहा कि “बीजेपी और आरएसएस आज भी अंग्रेजों के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें हर समाज सुधारक में कमी दिखती है.” उन्होंने आरोप लगाया कि “बीजेपी सरकार का मकसद अंधविश्वास और गलत परंपराओं को बढ़ावा देना है, इसलिए फर्जी बाबा फल-फूल रहे हैं.”

भारती ने कहा कि भले ही परमार का सोच नीच और घटिया है, लेकिन बीजेपी उन पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी. उन्होंने याद दिलाया कि पहले भी एमपी के मंत्री विजय शाह ने एक महिला आर्मी अफसर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.

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राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के प्रवक्ता विराज यादव ने भी परमार के बयान को “शर्मनाक और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने वाला” बताया.

उन्होंने कहा, “राजा राम मोहन राय एक महान समाज सुधारक थे जिन्होंने सती जैसी कुप्रथा खत्म कराई, महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों के लिए आवाज उठाई, और ब्रह्म समाज की स्थापना की ताकि जाति भेदभाव और अंधविश्वास का अंत किया जा सके। उनके विचारों ने आधुनिक भारत की नींव रखी.”

मंत्री ने मांगी माफी

लगातार आलोचना के बाद इंदर सिंह परमार ने वीडियो जारी कर माफी मांगी. उन्होंने कहा, “राजा राम मोहन राय समाज सुधारक थे और उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। मेरा बयान गलती से निकल गया, इसका मुझे अफसोस है.” परमार ने साफ कहा कि उनका मकसद किसी ऐतिहासिक व्यक्ति का अपमान करना नहीं था. 

राजा राम मोहन राय को ‘भारतीय पुनर्जागरण का पिता’ कहा जाता है. उन्होंने 1828 में ब्रह्म सभा की स्थापना की थी, जो बाद में ब्रह्म समाज नाम से जानी गई - एक ऐसा आंदोलन जिसने समाज और धर्म को नई सोच दी.

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