परीक्षा टालने के लिए 2 छात्रों ने पार कर दी हदें... प्रिंसिपल के निधन का झूठा लेटर कर दिया वायरल, घर पर शोक संवेदना देने पहुंच गए लोग

Indore Holkar College: प्रिंसिपल की मौत की झूठी सनसनी फैलाने का मकसद ऑनलाइन परीक्षाएं टालना था. एफआईआर दर्ज होने के बाद कॉलेज की अनुशासन समिति ने दोनों छात्रों को 60 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है.

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दोनों छात्र 60 दिन के लिए कॉलेज से सस्पेंड. (Photo: Representational ) दोनों छात्र 60 दिन के लिए कॉलेज से सस्पेंड. (Photo: Representational )

aajtak.in

  • इंदौर ,
  • 17 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 10:53 AM IST

MP News: इंदौर के होलकर साइंस कॉलेज में दो छात्रों ने परीक्षाएं रोकने के लिए अजीबोगरीब हरकत को अंजाम दे डाला. उन्होंने कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अनामिका जैन की मौत का फर्जी पत्र सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.

दरअसल, बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (BCA) के तीसरे सेमेस्टर के दो छात्रों ने कॉलेज के लेटरहेड की नकल करके एक फर्जी पत्र तैयार किया. इस पत्र में प्रिंसिपल डॉ. अनामिका जैन के 'आकस्मिक निधन' के कारण 15 और 16 अक्टूबर की ऑनलाइन परीक्षाएं स्थगित करने और कक्षाएं स्थगित करने की बात कही गई थी. छात्रों ने 14 अक्टूबर को इस फर्जी पत्र को सोशल मीडिया पर प्रसारित किया, जिसका उद्देश्य परीक्षाएं टालना था.

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डॉ. अनामिका जैन ने बताया कि इस पत्र से उन्हें और उनके परिवार को बहुत तकलीफ हुई. कई लोग उनके घर संवेदना व्यक्त करने भी आए थे.

FIR और 60 दिन का निलंबन
प्रिंसिपल की शिकायत पर भंवरकुआं पुलिस थाना में दोनों छात्रों के खिलाफ बुधवार रात मामला दर्ज किया गया. दोनों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत किसी व्यक्ति को बदनाम करने के इरादे से जानबूझकर झूठा दस्तावेज तैयार करने का आरोप लगाया गया है. इसमें उन्हें तीन साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है.

प्रिंसिपल डॉ. जैन ने बताया कि दोनों छात्रों ने लिखित में अपनी गलती स्वीकार कर ली है. कॉलेज की अनुशासन समिति ने सर्वसम्मति से दोनों छात्रों को 60 दिनों के लिए निलंबित करने का फैसला किया है.

प्रिंसिपल का बयान

डॉ. जैन ने न्यूज एजेंसी भाषा से बातचीत में यह भी दावा किया कि कुछ असंतुष्ट तत्व उन्हें उनके आधिकारिक कर्तव्यों का ठीक से पालन करने से रोकने के लिए लंबे समय से परेशान कर रहे थे. हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया.

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बता दें कि होलकर विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना 1891 में इंदौर के तत्कालीन शासक शिवाजी राव होल्कर ने की थी. इसे मध्य भारत के सबसे पुराने विज्ञान महाविद्यालयों में से एक माना जाता है. वर्तमान में इसमें लगभग 15 हजार छात्र पढ़ते हैं.

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