लिवर डोनेट करने को तैयार है बेटी, लेकिन बालिग होने में बचे 2 महीने, उधर मरीज पिता की तबीयत बिगड़ी; अब फैसला HC के हाथ

MP News: एडवोकेट मनोरे ने कहा कि उनका मुवक्किल पिछले छह वर्षों से लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित है. उनकी पांच बेटियां हैं और सबसे बड़ी बेटी प्रीति (17) ने उन्हें अपने लिवर का एक हिस्सा दान करने की इच्छा जताई है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर) (प्रतीकात्मक तस्वीर)

aajtak.in

  • इंदौर ,
  • 19 जून 2024,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने इंदौर के एक प्राइवेट अस्पताल से गंभीर लिवर रोग से पीड़ित 42 साल के किसान की याचिका पर रिपोर्ट मांगी है. याचिका में किसान ने अपनी 17 वर्षीय बेटी को लिवर का एक हिस्सा दान करने की अनुमति देने के लिए अदालत से गुहार लगाई है.

याचिकाकर्ता शिवनारायण बाथम (42) की ओर से पेश हुए अधिवक्ता नीलेश मनोरे ने बताया कि हाईकोर्ट के जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी ने एक प्राइवेट अस्पताल से दो दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है, जहां उनके मुवक्किल को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. अदालत ने लिवर रोगी की याचिका पर अगली सुनवाई 20 जून को तय की है.

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एडवोकेट मनोरे ने कहा कि उनका मुवक्किल पिछले छह वर्षों से लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित है. उनकी पांच बेटियां हैं और सबसे बड़ी बेटी प्रीति (17 साल 10 महीने) ने उन्हें अपने लिवर का एक हिस्सा दान करने की इच्छा जताई है.

बताया गया कि मरीज बाथम इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसान हैं. उनके पिता 80 साल के हैं, जबकि उनकी पत्नी डायबिटीज की मरीज हैं. इसलिए उनकी सबसे बड़ी बेटी उन्हें लिवर का हिस्सा दान करने के लिए आगे आई है.

चूंकि बेटी की उम्र 18 साल नहीं है तो डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट करने से मना कर दिया. उधर डॉक्टरों ने कह दिया है कि अगर 15 दिन में मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हुआ तो  मल्टी ऑर्गन फेलियर हो सकता है. 

मरीज के वकील मनोरे के अनुसार, किसान का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि अगर लिवर का हिस्सा जल्द ही ट्रांसप्लांट नहीं किया गया, तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है.

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