हृदय में छेद होने की गंभीर समस्या से जूझ रहे एक एचआईवी पॉजिटिव मरीज के इलाज के लिए भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) आगे आया है. बीएमएचआरसी के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आशीष शंखधर और उनकी टीम ने मरीज के हार्ट में एएसडी क्लोजर डिवाइस इम्प्लांट की है. मरीज अब बिल्कुल ठीक है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.
डॉ आशीष शंखधर ने बताया कि इस मरीज को जन्म से ही हार्ट में छेद था. इस स्थिति को आट्रियल सेप्टल डेफेक्ट (एएसडी) कहा जाता है. उम्र बढ़ने के साथ बीमारी के लक्षण जैसे सांस फूलना, थकान होना आदि दिखने शुरू हो जाते हैं. युवावस्था आते-आते यह समस्या बढ़ जाती है. अगर समय रहते इलाज नहीं हुआ तो यह स्थिति मरीज के लिए घातक भी हो सकती है.
यह मरीज बीते कई वर्षों से अपना इलाज कराने के लिए कोशिश कर रहा था. सभी जगह से निराश होकर वह बीएमएआरसी आया. मरीज की स्थिति और बीमारी की गंभीरता को देखकर हमने सर्जरी करने का फैसला किया. पूरे स्टाफ को मरीज की स्थिति के बारे में बताया और उन्हें समझाया कि मरीज के जीवन के लिए यह प्रोसीजर कितना आवश्यक है. एक बड़े उद्देश्य की प्राप्ति के लिए पूरे स्टाफ ने एक टीम के रूप में इस ज़िम्मेदारी का निर्वाह करने का फैसला किया. एचआईवी पेशंट के इलाज के लिए आवश्यक सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए मरीज के हार्ट में एएसडी डिवाइस इम्प्लांट की गई. चूंकि बीएमएचआरसी में अनुभवी स्टाफ उपस्थित है अतः प्रोसीजर को सहजता से पूरा कर लिया गया.
संक्रमण का जोखिम
डॉ शंखधर ने बताया कि इस प्रक्रिया में एएसडी डिवाइस को पतले कैथेटर के साथ पैर की नस के रास्ते से हार्ट तक पहुंचाया जाता है और हार्ट में सही स्थान पर इम्प्लांट किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कुछ रक्त का रिसाव होता है, जिससे संक्रमण की आंशका बनी रहती है.
पूरी सावधानी बरती
संक्रमण से बचने के लिए पूरे स्टाफ ने गाउन के साथ प्लास्टिक डिस्पोजेबल एपरन पहनी. आंखों को अच्छी गुणवत्ता वाले चश्मों से कवर किया. पूरे पैरों को कवर करने वाले जूते पहने. ऑपरेशन के बाद कम से कम वस्तुओं को विसंक्रमित करना पड़े, इसके लिए अनावश्यक फर्नीचर को कैथलेब से बाहर किया. हाथ में सिरिंज लगने की आशंका को कम करने के लिए हाथ में अच्छी क्वॉलिटी के दो ग्लब्ज़ पहने.
करीब से देखी है HIV पॉजीटिव मरीज की तकलीफ
डॉ आशीष शंखधर ने बताया कि अपनी चिकित्सा की पढ़ाई के दौरान मुझे एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की तकलीफ जानने का करीब से मौका मिला. मुझे समझ आया कि समाज उनके साथ किस तरह का अछूत व्यवहार करता है. उनको इस बीमारी से लड़ते हुए कितना शारीरिक के साथ मानसिक कष्ट भी सहना पड़ता है. अगर मैं इस मरीज का इलाज नहीं करता, तो यह मेरे पेशे के साथ अन्याय होता. अपने स्टाफ को भी मैंने यही समझाया.
इनका कहना
बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव ने कहा, रक्ताधान चिकित्सा सेवाओं की विशेषज्ञ होने के नाते मैं एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की व्यथा अच्छी तरह समझती हूं. उनको भी सामान्य मरीजों की तरह इलाज प्राप्त करने का पूरा हक है. बीएमएचआरसी के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टर और स्टाफ ने पूरे समाज के लिए एक मिसाल कायम की है.
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