मध्य प्रदेश के गुना में एक मरीज 'सिस्टम' की लापरवाही की भेंट चढ़ गया. एंबुलेंस का टायर पंचर होने का खामियाजा मरीज को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा. ब्लड प्रेशर और सीने में दर्द होने के बाद जगदीश ओझा (65) को म्याना स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल रेफर किया गया था, लेकिन सरकारी एंबुलेंस बीच रास्ते में ही नेशनल हाईवे पर पंचर हो गई.
हद तो उस वक्त हो गई जब एंबुलेंस में टायर बदलने के लिए विकल्प के तौर पर स्टेपनी ही नहीं थी. पंचर होने के बाद एंबुलेंस लगभग 1 घंटे तक सड़क के किनारे खड़ी रही. इस बीच मरीज की हालत खराब हो गई और उन्होंने दम तोड़ दिया. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण एक व्यक्ति की जान चली गई.
एंबुलेंस(CG04 NU 5288) के ड्राइवर ने बताया कि वह पहली बार इस एंबुलेंस पर आया है. उसे पता ही नहीं था कि गाड़ी में स्टेपनी है या नहीं? केवल प्वाइंट मिल था कि मरीज को लेकर म्याना से जिला अस्पताल में भर्ती कराना है, इसलिए म्याना पहुंचा था. लेकिन बीच रास्ते में एंबुलेंस पंचर हो गई.
मृतक जगदीश ओझा के बेटे ने बताया, पिता को सीने में दर्द हुआ था. तबीयत बिगड़ रही थी, इसलिए एंबुलेंस को बुलाया था, लेकिन एंबुलेंस लगभग 45 मिनट बाद म्याना पहुंची. पिता जी को एंबुलेंस में जिला अस्पताल के लिए रवाना किया गया. लेकिन 10 km बाद ही एंबुलेंस का टायर पंचर हो गया. दूसरे वाहन की व्यवस्था करने में देर हो गई, जब पिता को अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है?
जगदीश ओझा की मौत से नाराज कांग्रेस के विधायक ऋषि अग्रवाल ने सवाल खड़े करते हुए कलेक्टर से शिकायत की है. जगदीश ओझा के शव के पास खड़े होकर विधायक ने कलेक्टर से फोन पर चर्चा की और सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए स्वास्थ्य विभाग पर को कठघरे में खड़ा किया. विधायक ने आरोप लगाया है कि एंबुलेंस की आड़ में प्रदेश में600 करोड़ से ज्यादा का भ्रष्टाचार किया गया है, जिसकी जांच होनी चाहिए.
जगदीश ओझा की मौत के बाद से प्रशासन भी बैकफुट पर है. जिला अस्पताल पहुंचे तहसीलदार गौरीशंकर बैरवा ने बताया कि इस मामले में जांच समिति गठित करते हुए रिपोर्ट तलब की है.
इससे पहले एक महीने पहले भी सरकारी एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म होने के कारण एक बच्ची की जान चली गई थी.
बीते दिनों जिला अस्पताल में सही वक्त पर एंबुलेंस नहीं पहुंची तो एक आदिवासी गर्भवती महिला को टैक्सी लेकर मैटरनिटी वार्ड पहुंचना पड़ा, इसी दौरान अस्पताल के मेन गेट के बाहर टैक्सी में ही महिला की डिलीवरी हो गई.
गुना में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण आए दिन हादसे हो रहे हैं. लेकिन अस्पताल प्रबंधन अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है. ISO सर्टिफिकेट वाला सरकारी अस्पताल व्यवस्थाओं के अभाव में 'पंचर' हो गया है.
विकास दीक्षित