MP: पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता सईद अहमद को झटका, चेक बाउंस मामले में कोर्ट ने सुनाई एक साल की सजा

मध्य प्रदेश में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता सईद अहमद की मुश्किलें बढ़ गई हैं. कोर्ट ने चेक बाउंस के मामले में पूर्व मंत्री को एक साल की सजा सुनाई है. हालांकि उन्हें कोर्ट से जमानत भी मिल गई है. ये मामला साल 2013 का है जब उनके बिजनस पार्टनर ने उन पर पैसों में हेरफेर का आरोप लगाया था.

Advertisement
कांगेस नेता सईद अहमद की बढ़ी मुश्किलें कांगेस नेता सईद अहमद की बढ़ी मुश्किलें

योगितारा दूसरे

  • सतना,
  • 02 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 6:31 PM IST

मध्य प्रदेश में चेक बाउंस होने के एक मामले में कोर्ट ने कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यमंत्री सईद अहमद को एक साल कारावास की सजा सुनाई है. सतना में जिला न्यायालय की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पूर्व  वित्त और वाणिज्यिक कर राज्यमंत्री अहमद को ये सजा दी है. 

न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम) वंदना मालवीय ने सईद अहमद पर 2 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. हालांकि कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी है. फरियादी शैलेन्द्र त्रिपाठी के परिवाद पर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सईद अहमद को 9 फीसदी ब्याज के साथ फरियादी के पक्ष में 12 लाख 87 हजार 596 रुपये की चेक राशि का भुगतान किए जाने का फैसला सुनाया है.  

Advertisement

क्या है पूरा मामला

दरअसल शैलेश त्रिपाठी और आरोपी सईद अहमद नेशनल ट्रांसपोर्ट कम्पनी के पार्टनर थे. एक अक्टूबर 2021 को आरोपी और उसके पुत्र ने पार्टनरशिप से रिटायरमेंट लेकर अनुबंध को खत्म किया. रिटायरमेंट के समय आरोपी के ऊपर 10 लाख 72 हजार 996 रुपए की देनदारी थी. 

रिटायरमेंट के बाद नेशनल ट्रांसपोर्ट कम्पनी के नाम से नया खाता खोलकर 8 लाख 50 हजार रुपए और 10 हजार रुपए राशि व्यक्तिगत रूप से चेक के जरिए निकाल लिया. इसकी शिकायत परिवादी के पिता ने कोलगवां थाना में दर्ज कराई. परिवाद के मुताबिक इसी देनदारी पर आरोपी ने 9 जून 2013 को 12 लाख 87 हजार 596 रुपए का चेक उनके पक्ष में जारी कर दिया, जो 3 सितम्बर 2013 को बैंक में बाउंस हो गया. चेक बाउंस होने पर परिवादी की ओर से कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई.

Advertisement

चेक चोरी का बचाव

पूर्व मंत्री की ओर से वकील ने कोर्ट में उपस्थित होकर परिवादी के आरोपों को झूठा बताया और कहा कि फर्म में रहने के दौरान उसके चेकों को परिवादी के पिता रामवतार त्रिपाठी ने चुरा लिया था. जो भी कार्रवाई उसके खिलाफ परिवादी कर रहा है, वो झूठी है. पूर्व मंत्री ने अपने बचाव में हिमांशु रंजन और आशीष कुमार सिंह के बयानों का भी जिक्र किया.  

इस मामले के निपटारे के लिए हाई कोर्ट ने 30 जून की डेड लाइन निर्धारित की थी. 30 जून को आरोपी के अनुपस्थित रहने पर शनिवार को फैसला सुनाया गया है. अदालत ने मामले में प्रस्तुत साक्ष्य और जांच के बाद माना कि आरोपी ने ऋण और दायित्वों के तहत परिवादी को चेक प्रदान किया था जो अपर्याप्त निधि के कारण बाउंस हुआ है. 

चेक अनादरण अधिनियम की धारा 138 का जुर्म साबित पाए जाने पर अदालत ने चेक राशि समेत 2013 से भुगतान होने तक 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अदा करने का निर्णय सुनाया है.  

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement