मध्य प्रदेश में जहां एक ओर सरकार लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए ‘लाड़ली लक्ष्मी’ जैसी योजनाओं को बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करती है, वहीं दूसरी तरफ राज्य में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी चिंताजनक तस्वीर पेश कर रही है. यह खुलासा विधानसभा में दिए गए उस लिखित जवाब में हुआ है, जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग ने कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा पूछे गए सवाल का विस्तृत ब्योरा सामने रखा.
राघोगढ़ से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने विधानसभा में प्रश्न लगाया था कि मार्च 2020 से अब तक प्रदेश में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से जुड़े कितने बाल विवाह के मामले आए और जिलेवार इसकी क्या स्थिति रही. इस पर विभाग द्वारा दिए गए आंकड़े बताते हैं कि पिछले छह वर्षों में बाल विवाह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है.
सरकार ने जो आंकड़े पेश किए गए हैं, उनके अनुसार-
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इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि 2020 से 2025 के बीच कुल 2916 बाल विवाह के मामले दर्ज किए गए. आंकड़े यह भी बताते हैं कि कोरोना काल के बाद से लगातार हर साल बाल विवाह के मामलों में वृद्धि दर्ज हुई है, जो चिंता का विषय हैं.
सरकार द्वारा जारी जिलेवार डेटा में यह भी सामने आया कि प्रदेश के कुछ जिले इस समस्या से विशेष रूप से प्रभावित हैं. राजगढ़, गुना, देवास, रतलाम और छतरपुर वे जिले हैं, जहां बाल विवाह के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. आंकड़े बताते हैं कि बाल विवाह को रोकने की दिशा में और अधिक प्रभावी, कठोर और व्यापक कदम उठाने की जरूरत है.
रवीश पाल सिंह