भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर बुधवार को निकाले गए जुलूस में एक पुतला विवाद का कारण बन गया. बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह पुतला RSS के 'स्वंयसेवक' का था, जिसके बाद पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ धार्मिक वैमनस्य और अशांति फैलाने के आरोप में FIR दर्ज कर ली.
BJP समर्थकों के एक समूह ने हंगामा किया और आरोप लगाया कि जुलूस में शामिल लोग यूनियन कार्बाइड की मौजूदा मालिक कंपनी डाउ केमिकल के पुतले के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का पुतला भी जलाने की तैयारी कर रहे थे.
दुनिया के सबसे भयानक औद्योगिक हादसे के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले 4 गैर-सरकारी संगठनों की ओर से आयोजित यह जुलूस भोपाल के भारत टॉकीज से शुरू हुआ था, लेकिन विवाद के कारण बीच में ही रोक दिया गया.
यह जुलूस शहर के बस स्टैंड होते हुए जेपी नगर स्थित अब बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने के पास गैस स्मारक तक जाना था, जहां प्रदर्शनकारी पुतले फूंकने वाले थे.
सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) राकेश सिंह बघेल ने बताया कि शिकायत मिली थी कि डाउ कंपनी के पुतले के साथ-साथ प्रदर्शनकारियों ने एक अन्य संगठन के कार्यकर्ता जैसा दिखने वाला पुतला भी प्रदर्शित किया था. उन्होंने कहा कि शिकायत की पुष्टि होने के बाद विवादास्पद पुतले को जब्त कर जुलूस से हटा दिया गया क्योंकि कुछ लोगों को यह आपत्तिजनक लग रहा था.
पुलिस अधिकारी ने चेतावनी दी कि यदि जुलूस में कोई विवाद पैदा करने की कोशिश की गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.
एक्टिविस्टों ने आरोपों को नकारा
पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके तैयार किए गए पुतले 1984 की त्रासदी के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के थे, किसी समूह या संगठन के नहीं.
जुलूस आयोजित करने वाले चार संगठनों में शामिल भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन (BGIA) की रचना ढींगरा ने कहा कि एक पुतला डाउ केमिकल का था, जिसने हादसे के वर्षों बाद यूनियन कार्बाइड को अधिग्रहित किया था, जबकि दूसरा पुतला अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी से जुड़े व्यक्ति का था.
उन्होंने BJP के वैचारिक मार्गदर्शक RSS का पुतला जलाने के दावे को सिरे से खारिज किया. BJP नेता ठाकुर की शिकायत पर प्रदर्शन करने वाले संगठनों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज की गई.
मामला ढींगरा, सरिता गुप्ता और बालकृष्ण नामदेव के खिलाफ दर्ज हुआ, जो गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
शिकायतकर्ता बीजेपी मंडल अध्यक्ष आशीष सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया कि यूनियन कार्बाइड के पूर्व सीईओ वारेन एंडरसन के पुतले के साथ-साथ प्रदर्शनकारी आरएसएस का प्रतीक वाला एक और पुतला भी लेकर चल रहे थे जिसे जलाने का इरादा था.
शिकायतकर्ता ने कहा, ''उनके इस कृत्य से हमारी भावनाएं आहत हुई हैं और यह क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द एवं शांति भंग करने का प्रयास प्रतीत होता है.''
बीजीआईए की ढींगरा ने बयान में आरोप लगाया कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के डाउ केमिकल के साथ व्यापारिक संबंध हैं. उन्होंने दावा किया, ''पिछले 11 वर्षों में सरकारी उपक्रमों ने भारत में डाउ केमिकल के कारोबार को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, गेल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन जैसे पीएसयू डाउ के कारखानों को कच्चा माल सप्लाई करते हैं.''
ढींगरा ने दावा किया कि इनमें से कई PSUs डाउ केमिकल से यूनियन कार्बाइड की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी भी खरीदते हैं, जो कानून के तहत मना है.
बता दें कि 2-3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक विषैली मिथाइल आइसोसायनेट गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें कम से कम 5 हजार 479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे.
मंत्री ने राजनीति से किया इनकार
त्रासदी के बाद से हर साल की तरह इस साल भी भोपाल के केंद्रीय पुस्तकालय के 'बरकतुल्लाह भवन' में सर्वधर्म प्रार्थना सभा हुई, जिसमें मध्य प्रदेश जनजाति कल्याण मंत्री विजय शाह शामिल हुए. उन्होंने पुतला विवाद और गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों के आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह राजनीति करने का दिन नहीं है.
BJP सरकार के मंत्री ने कहा, ''आज आरोप-प्रत्यारोप का दिन नहीं है. हमारी सरकार ने लोगों के मन से जहरीले कचरे का भय खत्म कर दिया है. आज यह राजनीति का विषय नहीं है.''
उनकी पार्टी सहयोगी और राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि 41 वर्ष बाद भी पीड़ित परिवारों में इस गैस त्रासदी के घाव बने हुए हैं, इससे उन्हें दुख होता है.
उन्होंने कहा, ''हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि दुनिया में ऐसी कोई त्रासदी फिर कभी न हो.'' सोमवार को गैस त्रासदी पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने सत्तारूढ़ BJP पर न्याय से वंचित रखने और उनके दुख को लंबा खींचने का आरोप लगाया था, जिसे बीजेपी ने खारिज कर दिया था.
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