अगर समय रहते कोशिश की जाए, तो किसी की जान बचाई जा सकती है. सवाल केवल अपनी सतर्कता का है. उज्जैन जिले के नागदा स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला, जहां हार्ट अटैक के बाद अस्पताल के स्टाफ की तत्परता ने युवक की जान बचा ली.
सीने में दर्द होने की शिकायत लिए 30 साल का एक युवक सनी गेहलोत नागदा के चौधरी अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर पहुंचा था. डॉक्टर उनका ब्लड प्रेशर जांच रहे थे, तभी वह कुर्सी पर बैठे-बैठे अचेत होकर गिर पड़ा. जांच में न तो उसकी पल्स मिली और न ही ब्लड प्रेशर. तुरंत डॉक्टरों ने सीपीआर और इलेक्ट्रिक शॉक थेरेपी देने का निर्णय लिया और उपचार शुरू किया.
मरीज को तत्काल आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां उसे लगातार सीपीआर दी गई. डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और युवक की जान बच गई. यह पूरी घटना अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड हो गई, जो अब वायरल हो रही है.
डॉ. सुनील चौधरी ने बताया कि करीब 40 मिनट तक सीपीआर और इलेक्ट्रिक शॉक दिए गए, जिसके बाद युवक की धड़कन शुरू हुई. प्राथमिक उपचार के बाद उसे इंदौर रेफर किया गया, जहां उसका इलाज जारी है.यह घटना मंगलवार दोपहर करीब ढाई बजे की है.
जानकारी के अनुसार, ग्राम रूपेटा निवासी सनी गेहलोत सीने में दर्द की शिकायत लेकर चौधरी अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर पहुंचा था. ओपीडी में डॉक्टर उसे देख रहे थे, तभी अचानक सीने में तेज दर्द हुआ और वह कुर्सी पर बैठे-बैठे गिर गया. इस दौरान उसे लगभग 12 बार शॉक और 40 मिनट तक सीपीआर दिया गया, जिससे उसकी जान बच सकी.
संदीप कुलश्रेष्ठ