MP: दो साल में 36 हजार से ज्यादा बाल विवाह रोके गए, साढ़े 4 हजार बच्चे मानव तस्करी से मुक्त

MP में बाल विवाह की दर 23.1 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत से थोड़ी कम है. हालांकि, राजगढ़ (46%), श्योपुर (39.2%), झाबुआ (36.5%) और आगर मालवा (35.6%) जैसे जिलों में स्थिति गंभीर है. 

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देशभर में 3 लाख 74 हजार बाल विवाह रोके. (Representative photo) देशभर में 3 लाख 74 हजार बाल विवाह रोके. (Representative photo)

aajtak.in

  • भोपाल,
  • 01 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST

मध्य प्रदेश में सरकारी एजेंसियों की मदद से करीब 3 हजार बाल विवाह रोके गए और मानव तस्करी के शिकार साढ़े 4 हजार बच्चों को बचाया गया. बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम करने वाले एक संगठन पिछले दो साल का यह आंकड़ा जारी किया है. 

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के संस्थापक भुवन रिभु ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, देशभर में 3 लाख 74 हजार बाल विवाह रोककर, एक लाख बच्चों को मानव तस्करी से बचाकर, यौन शोषण के शिकार 34 हजार बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य उपचार प्रदान करके और 63 हजार मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू करके भारत ने साबित कर दिया है कि वह एक ऐसा राष्ट्र बन सकता है जहां बच्चों के खिलाफ अपराध करने के बाद कोई भी कानून से बच नहीं पाएगा. 

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जेआरसी ने देश के 250 से ज़्यादा गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सहयोग से, अप्रैल 2023 से अगस्त 2025 के बीच मध्य प्रदेश के 41 ज़िलों में 36 हजार 838 बाल विवाह रोके, मानव तस्करी के शिकार 4 हजार 777 बच्चों को मुक्त कराया और यौन शोषण के शिकार 1200 से ज़्यादा बच्चों की मदद की. 

रिभु ने मीडिया से कहा कि सिर्फ़ इन दो वर्षों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर जेआरसी का काम यह साबित करता है कि अगर कानून को उद्देश्यपूर्ण और तत्परता से लागू किया जाए तो बच्चे वाकई सुरक्षित रहेंगे. 

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के संस्थापक ने ज़ोर देकर कहा, "साइबर दुनिया में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण के 1000 से ज़्यादा मामले दर्ज करके हमने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि कानून का राज हर जगह हर बच्चे की रक्षा करेगा."

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जेआरसी के पदाधिकारी ने कहा, "मध्य प्रदेश में, जेआरसी नेटवर्क के 17 सहयोगी संगठन पिछले दो वर्षों से 41 जिलों में काम कर रहे हैं. यह नेटवर्क बाल विवाह, बाल तस्करी, बाल यौन शोषण और बाल श्रम को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने और कानूनी हस्तक्षेप के उपायों की दोहरी रणनीति पर काम करता है. जेआरसी 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान का भी समर्थन करता है जिसका उद्देश्य 2030 तक इस प्रथा को समाप्त करना है.'' 

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