कहानी | शहर, कोहरा और क़त्ल | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद क़मर सिद्दीक़ी

पागलखाने की मोटी दीवारों के बीच नादिया ज़ंजीरों से बंधी हुई थी। शहर के अरबपति इत्र कारोबारी शेख अब्दुल हुनैद की इकलौती औलाद, चीख रही थी। दो डॉक्टरों की उंगली चबा लेनी वाली नादिया ने अपने शौहर के टुकड़े टुकड़े क्यों कर दिए और क्यों उसेक पिता ने उसके पति से कहा था - नादिया को नुकीली चीज़ों से दूर रखना। कोहरे की चादर से ढके शहर में कौन कर रहा था एक के बाद एक कत्ल... सुनिए कहानी 'शहर कोहरा और कत्ल' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से

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जमशेद क़मर सिद्दीक़ी

  • नोएडा,
  • 23 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST

कहानी - शहर, कोहरा और क्राइम 
जमशेद क़मर सिद्दीक़ी

 

चुभती काटती तेज़ सर्द हवा... शहर को ऐसे काट रही थी कि जैसे हर हर जिस्म को काट डालेगी। कोहरे की धुंध में लिपटी हुई इमारतें, अंधेरे में तन्हा खड़ी कांप रही थीं। और इसी कंपकपाती ठंड में शहर के किनारे बना एक आलिशान हैरिटेज मैरिज हॉल रौशनी से नहाया हुआ था। इत्र कारोबारी शेख अब्दुल हुनैद की इकलौती औलाद, उनकी बेटी नादिया की शादी थी। हॉल के बाहरी लॉन में ठंड से बचने के लिए अलाव लगाए गए थे। खाने पानी की हर चीज़ इफराद थी। दुनिया भर के अलग अलग खाने, महंगे ड्रिक्स, तोहफे क्या नहीं था उस शादी में। लेकिन कुर्सियों पर बैठे मेहमान फिर भी खुसर फुसर कर रहे थे।
अजी, पैसा बोलता है... वरना कौन करती इस लड़की से शादी... हम्म... सूट पहने एक शख्स ने दूसरे से कहा, अब बताइये... उम्र 27 है लेकिन दिमाग कभी सात साल की बच्ची का हो जाता है और कभी... कभी वो वहशी बन जाती है... जो सामने आए उसे काट डाले... आखिर कोई बिल्कुल ठीक-ठाक आदमी उससे शादी करेगा... पैसे के लिए ही तो.. और क्यों...
दूसरा बोला, और नहीं तो क्या...  हमने तो ये भी सुना है कि छ महीने पागलखाने में इलाज चला है इसका, और वहां इसने किसी डॉक्टर की एक उंगली चबा ली...
औऱ नहीं तो क्या... वो सिर्फ पागल नहीं है, खतरनाक है... वो.. शेख हुनैद साहब का ड्राइव नहीं है... गंगाराम... वो बता रहा था कि हल्की नींद का इंजेक्शन देकर उसे बाहर लाते हैं... घर में तो जंजीर में बांध कर रखते हैं। एक नौकर को भी घायल कर दिया था... उसने

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जितने लोग थे उतनी बातें... पर उन लोगों की सारी बातें झूठी भी नहीं थी। नादिया वाकई नॉर्मल नहीं थी। ये भी सच था कि वो पागल खाने में ही रह जाती अगर उसके अमीर बाप पैसा खिलाकर उसके मेंटली फिट होना का फर्ज़ी सार्टिफिकेट न बनवाते। नादिया आप को ये निकाह कूबूल है? सुनहरी मोतियों वाला लाल सूट पहने नादिया लाल फूलों से सजे खूबसूरत स्टेज पर अंगूठा अपने मुंह में रखे थी। खास रिश्तेदार लोग, उसके कपड़ों को बार बार ठीक कर रहे थे... और सभी बहुत सतर्क थे कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए.... 
ताइये... आप को ये निकाह कुबूल है
काज़ी साहब ने फिर से पूछा तो नादिया ने अचानक सर ऊपर उठाया... उसकी गोल गोल आंखें सुर्ख थीं। लिप्स्टिक जो कुछ देर पहले किसी ने लगाई थी उसे उसने अपने हाथ से पोंछते हुए फैला लिया था। घघघघघघ की आवाज़ के साथ वो तेज़ तेज़ सांस लेनी लगी... 
लोग थोड़ा सा घबराए और पीछे हटने लगे। 
शेख हुनैद जल्दी से उसके पास आए और पीछे छुपा रखी एक गुड़िया उसे दी... ये वो गुड़िया थी जिससे वो खेलती थी... स्टेज पर अच्छा नहीं लगता इसलिए हुनैद साहब ने वो उसके हाथ से ले ली थी। वापस देते हुए बोले
देखो....देखो... ये डॉल तुम्हे कह रही है, कॉनग्रैचुलेशंस ... थैक्यू बोलो इसको
नादिया ने खतरनाक तरीके से उस गुड़िया को देखा... नादिया के होंठ बार बार उठ रहे थे और दांत नज़र आ रहे थे। सामने खड़े लोगों में, जो ये सब देख रहे थे... उनमें होने वाले दूल्हा भी था जो एक पतली सी फूल की दीवार के उस तरफ बैठा नादिया को देख रहा था। 
कूबूल है... नादिया ने कहा.... 
तो मुबारकबाद की आवाज़ें गूंजने लगीं। ऐसा लगा जैसे सारी परेशानियां दूर हो गयीं। तालियों का शोर गूंजने लगा... शेख अब्दुल हुनैद लोगों से गले मिलने लगे। पर लोगों की उसी भीड़ में नादिया ने उस एक शख्स को देखा... वो एक शख्स... जो दुबला पतला सा था... और उसके चेहरे पर बड़ा सा कट का निशान था। ऊपरी होंठ पर पुराने टाकों का निशान था। वो जब नादिया को गौर से देखता तो उसका सर दाएं बाएं हिलता रहता था... उसके हाथ में एक लाल रंग के कागज़ में लिपटा तोहफा भी था। 
स्टेज पर बैठी नादिया और उस कटे के निशान वाले शख्स की नज़रें मिलीं... फिर दोनों के चेहरे पर एक खतरनाक मुस्कुराहट उभरी। निकाह मुकम्मल हो गया था... 
बहुत बहुत मुबारक हो हुनैद साहब
जी शुक्रिया... बस यही एक ख्वाब था कि नादिया की अच्छे से शादी हो जाए। आज लग रहा है जैसे एक ख्वाब भी पूरा हो गया और एक बोझ भी उतर गया। 
शेख अब्दुल हुनैद जिनके पास दौलत का अंबार था... उनकी ज़िंदगी का दर्द बस यही था कि बेशुमार दौलत की वारिस सिर्फ नादिया ही थी। उनकी कोई औलाद नहीं थी... और बीवी को गुज़रे ज़माना हो गया था। बचपन में वो सोचते थे कि नादिया की ऐसी शादी करेंगे कि दुनिया देखेगी। पर नादिया जब सात-आठ साल की हुई... तो उसके बाद उसकी उम्र तो बढ़ी लेकिन ज़हन नहीं। नादिया को अचानक ऐसा दौरा पड़ता था कि उसकी आंखे चढ़ जाती थीं, और वो उसके सामने खड़े शख्स की गर्दन को अपने दांतों से कस लेती थी... घों-घों की आवाज़ के साथ गर्दन से कटा हुआ मांस का लोथड़ा... उसके दातों के बीच दबा दिखता... और चेहरे पर लाल खून... और फिर वो मुस्कुराती... फिर अचानक झटका सा लगता और वो वापस सात साल की बच्ची बनकर रोने लगती... जैसे ये सब किसी और ने किया... जैसे... जैसे कोई था उसके अंदर ... जो अब नहीं रहा... 
दुनियाभर के डॉक्टरों को दिखाया, इलाज हुआ... डॉक्टरों ने बताया कि उसे डिस्सोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर है... ये एक ऐसी मेंटल स्टेट है जिसमें कोई शख्स अपने अंदर एक से ज़्यादा पर्सनॉलिटीज़ रखता है... और वो उन सारी पर्सनलिटीज़ को पालता है... वक्त वक्त पर ट्रिगर से, वो मौका पाकर बाहर आ जाती हैं... नादिया की तबियत बिगड़ती गयी तो उसे पागल खाने में भेजना पड़ा... शुरु-शुरु में लगा कि वहां उसके इलाज से फर्क पड़ रहा है, लेकिन कुछ रोज़ बाद... अस्पताल में उसकी हालत और बिगड़ने लगी। डॉक्टर बताते थे कि वो अब पहले से भी ज़्यादा वायलेंट होने लगी है। एक उसने डॉक्टर की उंगली चबा ली थी। पर शेख साहब चाहते थे कि अब उसे अस्पताल में न रखा जाए। उसे मेंटली फिट होने का सर्टिफिकेट दे दिया जाए.. एक दोपहर, अस्पताल से फोन आया, शेख साहब को अस्पताल में बुलाया गया। 
हैलो, डॉक्टर्स... 
हैलो... आइये... प्लीज़ बैठिये
कहिए ... 
वो... आप कॉफी लीजिए...
देखिए शेख साहब... बात ये है कि ... हमने आपके कहने पर नादिया के मेंटली फिट होने का सर्टिफिकेट बना तो दिया है, पर होशियार रहिएगा। हमने नोटिस किया है कि जब से पागल खाने में वो काकुन के साथ मिलने जुलने लगी है... वो वायलेंट हो गयी है। 
काकुन.. ये कौन है
है एक और पागल ... आई एम सॉरी... डॉक्टर को एहसास हुआ कि उसने शेख साहब के सामने नादिया को पागल कह दिया... सॉरी आई मीन... एक लड़का है... अपने बाप को ज़िदा जला दिया था उसने... मेटंली इंबैलेंस है... उसकी थैरेपी होती हैं इसी अस्पताल में... काकुन और नादिया... ट्रीटमेंट के दौरान मेडिकल रूम में मिले थे... वीकली वीज़िट होती थी... वो दोनों दोस्त हो गए.... शुरु में हमें लगा कि इन दोनों के मिलने से दोनों को फायदा हो रहा है... क्योंकि तब दोनों शांत हो जाते थे। शायद वो एक दूसरे को पसंद करते थे। 

व्हाट .. क्या बक रहे हो... शेख हुनैद चिल्लाए....डॉक्टर ने कहा, आई एम सॉरी बट... इन दोनों के बीच कुछ तो था... देखिए... मेंटली चैलेंज्ड लोगों का हमें कई तरह से इलाज करना पड़ता है। ये भी एक तरीका था... अब भले नादिया दिमाग से सात साल की हो... पर उम्र तो उसकी 27 साल है न... शेख साहब ने सर झुका लिया। फिर डॉक्टर ने कहा, शुरु में तो हम लोगों ने नोटिस किया कि एक दूसरे के साथ वो दोनों बेहतर हो रहे हैं... पर एक वक्त के बाद... वो लोग और ज़्यादा वायलेंट हो गए। जब वो एक दूसरे से अलग होते थे और उन्हें पता होता था कि अब वो एक हफ्ते के बाद मेडिकल विज़िट के दौरान मिल पाएंगे... तो बहुत तमाशा होता था। वी आर सॉरी लेकिन... शायद नादिया और काकुन ... दे शेयर सम रिलेशनशिप...
चुप... शेख साहब हाथ में पकड़ा ग्लास मेज़ पर मारकर खड़े होते हुए बोले... खबरदार ये बात किसी और के सामने कही तो... मैं दुनिया से ये छिपाना चाहता हूं कि नादिया कभी पागल खाने में रही है, और तुम लोग बता रहे हो कि मैं एक और पागल को अपना दामाद बना लूं... नई.... मेरे पास इतनी दौलत है... कि मैं जिसे चाहूं उसे अपना दामाद बना सकता हूं... वो जोश में पलटे और कुछ कदम चलते हुए दोनों हाथ फैलाकर बोले आखिर कौन है, जो इतनी बड़ी दौलत का वारिस होने से मना करेगा... मैं नादिया की शादी एक नॉर्मल आदमी से करूंगा... जो उसका ख्याल रखेगा... ज़िंदगीभर... 

उस दिन के बाद शेख साहब ने पूरे शहर में खबर उड़ा दी कि नादिया ठीक हो गयी है। औऱ वो घर आ गयी है... और उन्होंने उसकी शादी भी तय कर दी किसी ऐसे शख्स से जो उनकी दौलत के बोझ तले... ज़िंदगीभर दबा रहना चाहता था... जो पूरी दुनिया के सामने यही कहता कि नादिया बिल्कुल ठीक है। 
 

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चलो भई, विदाई हो रही है... चलो देखते हैं... लॉन में ख़ड़े कुछ लोगों में खुसर फुसर हुई। देखा कि नादिया की विदाई हो रही थी। नादिया... मुंह में अपना अंगूठा दबाए... बड़ी बड़ी आंखों से इधर उधर देखते हुए चली आ रही थी। दूल्हा बार बार उसका अंगूठा, उसके मुंह से खींचकर दूर करता ताकि तस्वीरें अच्छी आएं। नादिया के सर से दुपट्टा गिरा हुआ था... बाल बिखरे हुए थे.. लिप्सटिक फैली हुई... वो दीवानों की तरह शादी की भीड़ में कार की तरफ जा रही थी... पर उसकी आंखें किसी को ढूंढ रही थीं। किसे... पता नहीं 
अच्छा भई चलते हैं ... दूल्हे ने गाड़ी में नादिया को बैठाने के बाद... पास खड़े शेख साहब के गले लगते हुए कहा। पर वो जब अलग होने लगा... तो शेख साहब ने उसे अलग नहीं होने दिया। उसने कोशिश की... फिर शेख साहब ने गले लगे लगे उसके कान में आहिस्ता से कहा... थोड़ा संभालना... नुकीलें चीज़ें... उसके आसपास से दूर रखना...  दूल्हे के चेहरे पर हल्का डर आया... उसने हां में सर हिलाया। 

इधर नादिया कार में बैठी थी...और कुछ खास रिश्तेदार कार की खिड़की से उसके पास आकर उसे खुदा हाफिज़ कह रहे थे... कुछ लोग तोहफे भी दे रहे थे। कि तभी खिड़की पर वही लाल कमीज़ वाला शख्स आया। 
नादिया और उसकी नज़रें टकराईं... दोनों के चेहरे पर मुस्कुराहट उभरी... उसने नादिया की तरफ वो लाल पैकेट वाला तोहफा बढ़ाया... नादिया ने तोहफा अपने बगल में रख लिया... और उसे उसका कटे के निशान से गुदा हुआ चेहरा देखने लगी... 
शादी मुबारक... उस लड़के ने कहा... तो नादिया की आंखों में कुछ तैरने लगा। 
तभी दूल्हा आया और नादिया के बगल मे बैठ गया। चलो भई। उसने कहा और कार चल दी। बहुत सारी आतिशबाज़ी हुई... ऐसी जैसे लगा कि दीवाली की रात हो। 
शेख हुनैद जाती हुई नादिया और उसके शौहर की कार को देख रहे थे और और सोच रहे थे कि कहीं, उनसे कोई गलती तो नही हुई। डॉक्टरों ने बताया था कि नादिया किसी को पसंद करती थी। फिर खुद ही खुद को दिलासा देते हुए कहा, चलो कोई नहीं, कुछ दिन में खुद ही भूल जाएगी... मेरी प्लैनिंग कामयाब रही। पूरी दुनिया ने देखा कि शेख अब्दुल हुनैद ने अपनी बेटी की आलीशान शादी की... और वो भी किसी पागल से नहीं, एक ठीक-ठाक लड़के से। जो पूरी ज़िंदगी... दुनिया के सामने नादिया की हकीकत नहीं आने देगा... 
अपनी तैयारी और सोच पर फख्र करते हुए वो वापस अपनी कोठी पर आ गयी। और इधर बारात दूल्हे के घर पर पहुंची। जहां नादिया का ख़ैर मकदम हुआ। और बिना किसी से मिलवाए उसे उसके कमरे में भेज दिया गया। 
कुछ देर बाद नादिया मुंह में अगूंठा दबाए, सुहागरात की फूलों से सजी, सेज पर अकेली बैठी थी। उसने दरवाज़ा बंद करने से पहले एक बार पूरे कमरे को ग़ौर से देखा... कहीं कोई पैनी चीज़... कोई सामान... कुछ ऐसा तो नहीं... जिसके बारे में शेख साहब ने हिदायत दी थी। खिड़कियों पर पर्दे थे कि कभी कोई बाहर का शख्स अंदर न देख सके। 
नादिया... मैं अभी आता हूं हां... तुम यहीं बैठो
इतना कहकर वो बाथरूम में चला गया। बाथरूम से पानी चलने की आवाज़ आने लगी। नादिया ने एक नज़र उस कमरे को देखा। वो कमरा, कमरा नहीं जेल था। एक ऐसी खूबसूरत जेल... जहां उसे सिर्फ इसलिए सजा दिया गया था... क्योंकि उसकी कीमत उसके बाप ने अदा कर रखी थी। 
नादिया बिस्तर से उठी... और खतरनाक तरीके से दीवार पर लेग आइने में खुद को देखा... चढ़ी हुई आंखों से वो खुद को घूर रही थी... वो मुस्कुराई और फिर उसने बिस्तर के पास रखा वो लाल तोहफे का पैकेट उठाया... जो उसे उस लड़के ने दिया था जिसके चेहरे पर निशान थे। 
नादिया के पैकेट खोला... गर्दन को कंधे की तरफ झुकाते हुए अजीब तरह से पैकेट को देखा... फिर बाथरूम की तरफ नज़र की और पैकेट खोला। 
उस पैकेट में एक लंबा सा चाकू था... तेज़ धारदार। उसकी भवें तिरछीं हुईं। 
नादिया ने चाकू हाथ में लिया... चाकू पर गुदा था – काकुन और नादिया... 
वो मुस्कुराई... और बाथरूम के बंद दरवाज़े की तरफ देखा। फिर एक खतरनाक मुस्कुराहट उसके चेहरे पर उभर आई। 

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To be continued

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