बाल नहीं धोना, अचार नहीं छूना... सेक्स एक्सपर्ट तान्या नरेंद्र ने तोड़े पीरियड्स से जुड़े मिथक

महिलाओं में माहवारी यानी पीरियड्स को लेकर लोगों के दिमाग में कई धारणाएं हैं. सोशल मीडिया पर डॉक्टर क्यूटरस के नाम से मशहूर MBBS डॉक्टर तान्या नरेंद्र ने साहित्य आजतक में पीरियड्स को लेकर समाज में फैले कई मिथकों पर बात की और उन्हें तोड़ा.

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सेक्स एक्सपर्ट तान्या नरेंद्र ने पीरिड्स के मिथक तोड़े (Photo: ITG) सेक्स एक्सपर्ट तान्या नरेंद्र ने पीरिड्स के मिथक तोड़े (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:53 PM IST

महिलाओं में माहवारी यानी पीरियड्स जन्म-जन्मांतर से चली आ रही एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन आज भी हमारे समाज में इसे एक बीमारी की तरह देखा जाता है. सेक्सपर्ट डॉ क्यूटरस के नाम से सोशल मीडिया पर पॉपुलर डॉक्टर तान्या नरेंद्र ने बताया कि पीरियड्स कोई बीमारी नहीं है और ना ही ये कोई शर्मिंदा करने वाली चीज है.

दिल्ली में साहित्य आजतक 2025 के आज आखिरी दिन 'श्श्श… चुप रहना मना है' सत्र में MBBS, Msc और 'एवरीथिंग नोबडी टेल्स यू अबाउट योर बॉडी' किताब की लेखिका डॉक्टर तान्या नरेंद्र और स्किन डॉक्टर व वेलनेस एक्सपर्ट डॉ. किरण सेठी शामिल हुईं. 

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क्या पीरियड्स में बाल नहीं धोने चाहिए

जब तान्या से पूछा गया कि पीरियड्स को लेकर आज भी लोगों के मन में कई गलत धारणाए हैं जैसे कि पीरियड्स में महिलाओं को बाल नहीं धोने चाहिए, नहाना नहीं चाहिए और अचार नहीं छूना चाहिए क्योंकि वो खराब हो जाता है?

इस पर तान्य कहती हैं, 'पीरियड्स में बाल नहीं धोने चाहिए, ये बिलकुल गलत धारणा है. हम इतने प्रगतिशील हैं लेकिन फिर भी कुछ चीजों में कितने पिछड़े हैं. ये पूरी तरह से मिथक हैं. लोगों को इन पर भरोसा नहीं करना चाहिए. अगर वाकई महिलाओं के पीरियड्स में इतनी शक्ति होती है तो फिर उन्हें जंग में भेज देना चाहिए जहां वो दुश्मन के फसलों को तबाह कर सकती हैं.'

चुप रहना और छुपाना गलत

तान्या से जब पूछा गया कि जब महिलाओं की हाइजीन की बात आती है तो एक महिला दूसरी महिला से तक बात नहीं कर पाती. लड़कियां अपनी मां या दादी से बात नहीं करतीं बल्कि अपनी सहेली से करती हैं. ये जनरेशनल गैप क्यों है. 

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इस पर तान्या ने कहा, 'हमारे समाज में यह टैबू है. मेरे घर में खैर ऐसा कुछ नहीं था. मुझे तो मेरे भाई ने पीरियड्स के बारे में बताया था. मैं एक उदाहरण देकर बताती हूं कि लोगों को इस चीज पर कितनी कम जानकारी है. मुझे एक लड़की ने बताया था कि जब उसे पहली बार पीरियड आया तो उसे लगा कि वो मर रही है क्योंकि उसकी वैजाइना से खून आ रहा था तो उसे लगा कि उसे कोई बीमारी हो गई.'  

पीरियड्स छुपाए नहीं, अपनाएं

उन्होंने आगे कहा,  'एक और लड़की थी जो हॉस्टल में रहती थी. उसे जल्दी पीरियड्स आ गए. तब उसके आसपास किसी को ये नहीं हुआ था इसलिए किसी को जानकारी भी नहीं थी. इसके बाद उसने अपनी मां को एक लंबी चिट्टी लिखी. उसमें उसने अपनी मां से माफी मांगते हुए लिखा कि मुझे किसी की सजा मिल रही है. शायद मुझसे कुछ गलत काम हुआ है. मुझे कोई बीमारी हो गई है. मुझे नहीं पता कि मैं बचूंगी या नहीं.'

'पहली बार सबके के लिए यह डरावना होता है. अगर किसी को इसकी जानकारी है तो भी ये पहली बार में घबराहट पैदा करता है. बहुत दुख की बात है कि हम इस पर बात नहीं करते हैं. हमें सही जानकारी नहीं है. हम डरते हैं इस पर बात करने में. जबकि हमें पीरियड पार्टी करनी चाहिए और खुल कर इसे स्वीकार करना चाहिए. ये कोई बुरी बात नहीं है.'

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सैनिटरी पैड कोई टाइम बम नहीं

वो कहती हैं, 'कई संस्कृतियों में पहली बार पीरियड आने पर सेलिब्रेशन किया जाता है. इसलिए इसे दूर नहीं भागना चाहिए. लड़की का पीरियड आना सामान्य है. नाक कान की तरह ही पीरियड्स भी नार्मल हैं. अभी भी सैनिटरी पैड्स लोग काली पन्नी में डालकर लाते हैं. उसे बगल में छुपा लेते हैं जैसे कोई टाइम बम हो. इस पर बात भी करते हैं तो शेम के ऐंगल से करते हैं. ये शर्मिंदगी की बात नहीं है.'

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