Sahitya Aajtak 2025: राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 21 से 23 नवंबर 2025 तक चलने वाले 'साहित्य आजतक 2025' की शुरुआत आज से हो चुकी है. शब्दों, सुरों, किस्सों और विचारों से सजे इस उत्सव के पहले दिन स्टेज–2 दस्तक दरबार पर 'किताबी गुफ्तगू… क्योंकि बात करना ज़रूरी है' सेशन का आयोजन हुआ.
इस रोचक संवाद में अभिनेत्री और रिव्यूअर नमिता दुबे के साथ ही साहित्य-समझ और समीक्षाओं के लिए जानी जाने वाली स्मृति नौटियाल ने शिरकत की. दोनों वक्ताओं ने किताबों, पढ़ने की संस्कृति, कंटेंट रिव्यू और आज के बदलते साहित्यिक परिदृश्य पर खुलकर अपने विचार रखे, जिससे यह सत्र दिन की चर्चित प्रस्तुतियों में शामिल हो गया. इस सेशन के होस्ट एंकर सईद अंसारी रहे.
अभिनेत्री समीक्षक नमिता दुबे ने कहा कि किताबों से मेरा प्यार कभी कम नहीं होगा. अगर आपको किताबों से डर लगता है तो आपने कभी सही किताबें नहीं पढ़ीं. जब तक हम उसे समझेंगे नहीं, पढ़ेंगे नहीं तो पता कैसे लगेगा. किताबें पढ़कर ही हम खुद को बेहतर तरीके से डेवलप कर सकते हैं. मेरा सवाल ये है कि हम किताबें पढ़ क्यों नहीं रहे हैं. मैं एक बात शेयर करना चाहती हूं कि अगर आप अपना कॉलेज खत्म कर लेते हैं तो उसके बाद आपको ये स्ट्रैटेजी बनानी चाहिए कि दो महीने आपको ये किताबें पढ़ना है.
नमिता ने कहा कि किताबें हमें हमारे व्यक्तित्व विकास में काफी मदद करती हैं. सोशल मीडिया ने हमारा टाइम खा लिया है. ऐप वीडियोज देख-देखकर थकान हो चुकी है. इसलिए मैं बॉलीवुड को फॉलो नहीं करती हूं. मुझे सोशल मीडिया पर मेरी बाउंड्रीज पता हैं. मैं सोने से पहले पढ़ती हूं. किताबों के अंदर जादू है. ये बहुत मजेदार चीज है. मैं अपनी पर्सनॉलिटी में पुख्ता चेंज देखती हूं.
उन्होंने कहा कि मेरे घर पर अगाथा क्रिस्टी की बुक थी, उसे उठाकर पढ़ना शुरू किया, कुछ और भी बुक्स पढ़ीं. इसी तरह धीरे-धीरे मेरी शुरुआत हुई. मेरे बाबा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे हैं. घर में पढ़ाई का माहौल रहा. शब्द बहुत बढ़ा पावर है. आप खुद से बात करो, ऐसी एक्सरसाइज करो, जो भी थॉट दिमाग में आए, उसकी मैं प्रैक्टिस करती हूं. मैं लखनऊ की रहने वाली हूं. अब किसी को अंग्रेजी से डर नहीं लगता. किताबें पढ़ना कभी मत छोड़ो, जो भी नया शब्द मिले, उसे लिखो, जरूरत पड़ने पर उसे यूज करो.
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वहीं स्मृति नौटियाल ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि जब मैं किताबें पढ़ती हूं तो अलग ही दुनिया में ट्रांसपोर्ट हो जाती हूं. किताबों में आप एक-एक कैरेक्टर के बारे में पढ़ रहे होते हैं तो ऑथर आपको वहां पर ले जाता है. कोई भी सीरीज वो फीलिंग नहीं दे सकती जो किताबें पढ़कर आती है. रीडिंग तो सभी को करनी चाहिए. हमारे सिलेबर में फिक्शन नॉवेल का पार्ट ज्यादा होना चाहिए.
स्मृति ने कहा कि टेक्स्ट बुक्स को इंटेरेस्टिंग बनाने की जरूरत है. मेरी मां मुझे प्रेमचंद की कहानियां सुनाती थीं. तो मुझे इंटेरेस्ट पैदा हुआ तो खुद किताबें पढ़ना शुरू किया. पढ़ने की आदत इंसान में दूसरों को देख-सीखकर आती है. पैरेंट्स् से सीखते हैं. रीडिंग आपको एक व्यक्ति के रूप में भी बदल देती है. एक पॉजिटिव चेंज आता है.
स्मृति नौटियाल ने कहा कि मैंने पहली नॉवेल रोमांस बुक पढ़ी थी. मेरे दसवीं क्लास में अंग्रेजी और हिंदी में सौ में सौ नंबर आए थे. उसके बाद मुझे समझ में आ गया कि बुक से है तो कुछ. मैं नॉवेल खूब पढ़ने लगी थी. इसके बाद मुझे पता चला कि इंटरनेट पर ऐसी स्पेस है, जहां आप बुक्स की बातें कर सकते हो. तो वहां मैंने एक पेज बनाया.
स्मृति ने कहा कि रीडिंग की हॉबी मेरा पैशन कब बन गई, मुझे पता ही नहीं चला. मैं अपने शब्दों को लेकर एक डायरी रखती हूं. हाल ही में मैंने ये नोटबुक रखना शुरू किया है. मैंने इंस्टाग्राम पर एक सीरीज भी शुरू की है कि मैंने कौन से नए शब्द सीखे, वो वहां शेयर करती हूं. एक बार आपको सही किताब मिल जाएगी, तो आपकी हैबिट बन जाएगी. आप पढ़ना शुरू कर देंगे. पढ़ने की आवाज आपके अंदर से आनी चाहिए.
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