तीन दिवसीय e-साहित्य आजतक में शब्द, कविता और संगीत की धूम मची हुई है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 28 से अधिक वक्ता और कलाकार शामिल हो रहे हैं. कार्यक्रम के दूसरे दिन मंच पर आमंत्रित थे हास्य-व्यंग्य के महारथी अशोक चक्रधर. उन्होंने आजतक के मंच पर अपनी कई कविताएं सुनाईं. अशोक चक्रधर का कहना है कि कोरोना हमसे अनुशासन चाहता है. लॉकडाउन चाहती है यह पाबंदी. शत्रु अदृश्य है, डांवाडोल भविष्य है. कवि कहता है यह विषाणु हमें छोड़ जाएगा.