इन महिलाओं के बच्चों में होता है 'ऑटिज्म' का खतरा, जानें क्या है वजह

आइए जानते हैं किन नवजात शिशुओं में ऑटिज्म जैसी गंभरी बीमारी होने का खतरा सबसे अधिक होता है और क्यों...

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

प्रज्ञा बाजपेयी

  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

एक नई स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिलाओं के पैदा होने वाले बच्चों में ऑटिज्म विकसित होने की अधिक आशंका रहती है. स्टडी के अनुसार, पीसीओएस उच्च टेस्टोस्टेरोन की वजह से होने वाला एक विकार है, जिसके परिणामस्वरूप समय से पहले युवावस्था, अनियमित माहवारी और शरीर पर अतिरिक्त बाल होने लगते हैं.

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यह स्टडी 'ट्रांसलेशनल साइक्रियाट्री' में प्रकाशित हुई है. इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने पीसीओएस से पीड़ित लगभग 8,588 महिलाओं के आंकड़ों की जांच की थी.

वहीं, पिछली स्टडी से पता चला था कि ऑटिस्टिक बच्चों में टेस्टोस्टेरोन समेत 'सेक्स स्टीरॉयड' हार्मोन के स्तर बढ़ जाते हैं, जो बच्चे के शरीर और मस्तिष्क को समय से पहले ही युवावस्था की ओर जाने लगते हैं. हार्मोन के बढ़ते स्तर पर बहस करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि इसका एक कारण जन्म देने वाली मां का विकार हो सकता है.

निष्कर्ष बताते हैं कि अगर मां में सामान्य से अधिक टेस्टोस्टेरोन होता है, जैसा कि पीसीओएस वाली महिलाओं के मामले में देखा जाता है, तो कुछ हार्मोन गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा को पार कर जाते हैं, जिससे भ्रूण का इस हार्मोन से अधिक संपर्क हो जाता है और बच्चे के मस्तिष्क का विकास बदल जाता है.

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ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज से एड्रियाना चेरस्कोव बताती हैं, यह निष्कर्ष उस सिद्धांत को और मजबूत करता है, जिसमें बताया गया है कि ऑटिज्म न केवल जीनों के कारण होता है, बल्कि इसका टेस्टोस्टेरोन जैसे जन्मपूर्व सेक्स हार्मोन भी कारण हो सकते हैं.

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