ऐसा लगता है कि आप जोर से चिल्लाना चाह रहे हैं पर गले से आवाज ही नहीं निकल रही है, सीने पर कुछ भारी सा सामान रख दिया गया है या कोई बैठ गया है और गले-फेफड़ों से हवा पास नहीं हो पा रही है. कई बार आपको अजीब सी चीजें दिखाई और सुनाई भी पड़ने लगती हैं.
ये कोई डरावना सपना नहीं है और ना ही किसी भूत-प्रेत का चक्कर, बल्कि मेडिकल भाषा में इसे 'स्लीप पैरालिसिस' कहा जाता है. यह तब होता है जब आपका दिमाग का कुछ हिस्सा जगा होता है जबकि शरीर को नियंत्रित करने वाला कुछ हिस्सा अब भी सो रहा होता है.
यह अक्सर सोने और जगने की अवस्था के बीच में घटित होता है. जब आप मूवमेंट करने की कोशिश करते हैं तो कई सेकेंड या मिनटों तक ऐसा करने में असमर्थ होते हैं. इस स्थिति में या तो आपको खुद को पूरी तरह जगाना पड़ता है या फिर नींद की आगोश में फिर से जाना पड़ता है.
आप इसको ऐसे समझ सकते हैं कि आपका दिमाग कई सारे लाइट बल्ब की तरह हैं जिनको बंद करने के लिए अलग-अलग ऑन-ऑफ स्विच है. वैसे तो दिमाग के सारे स्विच एक साथ बंद हो जाने चाहिए और पूरे दिमाग को एक साथ जगना चाहिए. हालांकि, कई बार दिमाग के कुछ स्विच पहले ऑन हो जाते हैं जबकि कुछ ऑन होने की तैयारी कर रहे होते हैं. नींद में चलने और बोलने की प्रक्रिया भी कुछ इसी तरह होती है. इसमें पूरी तरह जगने से पहले ही आपके कुछ अंग सक्रिय हो जाते हैं.
कब होता है स्लीप पैरालिसिस?
स्लीप पैरालिसिस सामान्यत: दो तरह से हो सकता है. एक जब आप सोने की कोशिश कर रहे होते हैं और एक जब आप जगने जा रहे हैं. सोते वक्त अगर ऐसी स्थिति बनती है तो इसे हिप्नैगोगिक स्लीप पैरालिसिस कहते हैं और अगर यह जगने के दौरान होता है तो इसे हिप्नोपॉम्पिक स्लीप पैरालिसिस कहा जाता है.
हिप्नोपॉम्पिक स्लीप पैरालिसिस में क्या होता है?
अधिकतर स्लीप पैरालिसिस की कंडीशन नींद में जाते समय नहीं बल्कि नींद से जगने के दौरान ही होती है.
किसको होता है स्लीप पैरालिसिस?
अगर आप सोच रहे हैं कि ये कंडीशन सिर्फ कुछ लोगों को होती है तो आप गलत है. हर 10 में से 4 लोग इसका अनुभव करते हैं. यह युवावस्था में ज्यादा सामान्य है लेकिन ये हर उम्र के पुरुषों और महिलाओं में होता है. इसकी वजहें आनुवांशिक होने के साथ-साथ नींद की कमी, अनियमित समय पर सोना, तनाव या बाइपोलर डिसऑर्डर, पीठ के बल सोना या नींद से जुड़ीं अन्य समस्याएं जैसे नार्कोलेप्सी आदि भी होती हैं.
स्लीप पैरालिसिस से बचने के लिए क्या करें-
नींद से जुड़ीं आदतों में सुधार लाएं जैसे 8 घंटे तक की पूरी नींद लें.
ज्यादा तनाव लेने से बचें.
अगर मानसिक सेहत से जुड़ी कोई परेशानी है तो उसका ट्रीटमेंट कराएं.
नींद से जुड़े डिसऑर्डर हों तो ट्रीटमेंट लें.
अगर आपके साथ कभी-कभी स्लीप पैरालिसिस होता है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. अच्छी नींद लें और सोने से पहले अपनी जिंदगी की परेशानियों के बारे में सोचने से बचें. अगर पीठ के बल पर सो रहे हैं तो किसी दूसरी पोजिशन में सोने की कोशिश करें. अगर आपको लगातार स्लीप पैरालिसिस होता है तो डॉक्टर से परामर्श लें.